राजस्थान: कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र
राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र की गतिविधियों में प्राथमिक रूप से फसल, पशुधन, वानिकी एवं मत्स्य सम्मिलित हैं। जीविकोपार्जन हेतु राज्य की अधिकांश जनसंख्या कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों पर निर्भर रहती है।
राजस्थान में कृषि मूलतः वर्षा पर आधारित है। राज्य में मानसून की अवधि कम है। राज्य में मानसून अन्य राज्यों की तुलना में देर से आता है तथा जल्दी चला जाता है। वर्षा की अवधि में भी उतार-चढ़ाव रहता है, जो अपर्याप्त, कम एवं अनिश्चित रहती है।
राज्य में भूमिगत जल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। इसके बावजूद कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है एवं सकल राज्य घरेलू उत्पाद में इसका प्रमुख योगदान है।
राजस्थान के जी.एस.वी.ए. में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का योगदान और इसके उप क्षेत्रों की संरचना
राजस्थान के सकल राज्य मूल्य वर्धन (जी.एस.वी.ए.) में प्रचलित मूल्यों पर वर्ष 2011-12 में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का योगदान 28.56 प्रतिशत था, जो कि बढकर वर्ष 2021-22 में 30.23 प्रतिशत हो गया। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उप क्षेत्रों में फसल, पशुधन, मत्स्य तथा वानिकी है। वर्ष 2021-22 में फसल क्षेत्र का अंश 45.94 प्रतिशत, पशुधन क्षेत्र का अंश 46.25 प्रतिशत, वानिकी क्षेत्र का अंश 7.44 प्रतिशत और मत्स्य क्षेत्र का अंश 0.37 प्रतिशत हैं।
अर्थव्यवस्था में योगदान (जी.एस.वी.ए.)
- फसल क्षेत्र
- स्थिर (2011-12) मूल्यों पर: 12.61%
- प्रचलित मूल्यों पर: 13.89%
- पशुधन क्षेत्र
- स्थिर (2011-12) मूल्यों पर: 13.34%
- प्रचलित मूल्यों पर: 13.98%
- वानिकी क्षेत्र
- स्थिर (2011-12) मूल्यों पर: 2.79%
- प्रचलित मूल्यों पर: 2.25%
- मत्स्य क्षेत्र
- स्थिर (2011-12) मूल्यों पर: 0.11%
- प्रचलित मूल्यों पर: 0.11%
राजस्थान कृषि उत्पादन
राज्य में कृषि का उत्पादन मुख्यतः मानसून के उचित समय पर आने पर निर्भर करता है। खरीफ फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता केवल वर्षा की मात्रा पर ही निर्भर नहीं है, अपितु पर्याप्त समयावधि में वर्षा के उचित एवं समान वितरण और सघनता पर भी निर्भर करता है।
प्रारम्भिक पूर्वानुमान के अनुसार राज्य में वर्ष 2021-22 में खाद्यान्न का कुल उत्पादन 225.20 लाख मैट्रिक टन होने की सम्भावना है, जो कि गत वर्ष के 269.09 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 16.31 प्रतिशत कम है। वर्ष 2021-22 में खरीफ खाद्यान्न का उत्पादन 84.90 लाख मैट्रिक टन होने की सम्भावना है, जो कि गत वर्ष के 116.33 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 27.02 प्रतिशत कम है। वर्ष 2021-22 में रबी खाद्यान्न का उत्पादन 140.30 लाख मैट्रिक टन होना अनुमानित है, जो कि गत वर्ष 2020-21 में 152.76 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 8.16 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है।
वर्ष 2021-22 में खरीफ अनाज का उत्पादन 66.63 लाख मैट्रिक टन होना अनुमानित है, जो कि गत वर्ष के खरीफ उत्पादन 97.04 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 31.34 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। वर्ष 2021-22 में रबी अनाज का उत्पादन 115.95 लाख मैट्रिक टन होने की सम्भावना है, जो कि वर्ष 2020-21 के 129.58 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 10.52 प्रतिशत की कमी दर्शाता है।
वर्ष 2021-22 में खरीफ दलहन का उत्पादन 18.27 लाख मैट्रिक टन होने की सम्भावना है, जो कि वर्ष 2020-21 के 19.29 लाख मैट्रिक टन उत्पादन की तुलना में 5.29 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। वर्ष 2021-22 में रबी दलहन का उत्पादन 24.35 लाख मैट्रिक टन होने की सम्भावना है, जो कि वर्ष 2020-21 के 23.18 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 5.05 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
राजस्थान राज्य की उत्पादन में स्थिति
वर्ष 2021-22 में राजस्थान का उत्पादन में अन्य राज्यों के साथ तुलनात्मक विवरण निम्नानुसार है।
क्र.सं. | फसल | प्रथम स्थान | द्वितीय स्थान | तृतीय स्थान | राजस्थान का देश के कुल उत्पादन में योगदान (प्रतिशत में) |
1. | बाजरा | राजस्थान | उत्तर प्रदेश | हरियाणा | 45.56 |
2. | राई एवं सरसों | राजस्थान | हरियाणा | उत्तर प्रदेश | 46.28 |
3. | पोषक अनाज | राजस्थान | कर्नाटक | मध्य प्रदेश | 15.35 |
4. | कुल तिलहन | राजस्थान | गुजरात | मध्य प्रदेश | 20.30 |
5. | कुल दलहन | राजस्थान | महाराष्ट्र | मध्य प्रदेश | 19.41 |
6. | चना | राजस्थान | महाराष्ट्र | मध्य प्रदेश | 23.44 |
7. | मूंगफली | गुजरात | राजस्थान | तमिलनाडु | 16.04 |
8. | सोयाबीन | मध्य प्रदेश | महाराष्ट्र | राजस्थान | 4.68 |
9. | ग्वार* (ग्वार फसल में 2018-19 की स्थिति) | राजस्थान | 78.62 |
वर्ष 2021-22 में फसल क्षेत्र का प्रचलित मूल्यों पर सकल मूल्य वर्धन ₹1.55 लाख करोड़ अनुमानित है। राजस्थान राज्य के फसल क्षेत्र की आय में खरीफ में बाजरा, मूंगफली और मूंग एवं रबी में गेहूं, सरसों और चना फसलों का प्रमुख योगदान है।
भारत में राजस्थान का वर्ष 2019-20 में शीर्ष फसल उत्पादक के रूप में योगदान
- बाजरा: 45.56%
- राई एवं सरसों: 46.28%
- कुल तिलहन: 20.30%
- चना: 23.44%
- कुल दलहन: 19.41%
- ग्वार (2018-19): 78.62%
कृषि जलवायुवीय क्षेत्रवार मुख्य फसलें
राज्य का उत्तरी-पश्चिमी भाग जो कुल क्षेत्रफल का लगभग 61 प्रतिशत मरूस्थलीय या अर्द्ध मरूस्थलीय है, जो वर्षा पर निर्भर है। राज्य का दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र, जो कुल क्षेत्रफल का लगभग 39 प्रतिशत है, उपजाऊ है। राज्य को जलवायु के आधार पर 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनमें बोई जाने वाली मुख्य फसलों का विवरण निम्न है
स्त्रोत : राजस्थान की आर्थिक समीक्षा 2021-22
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