इतिहास

राजस्थान में यवन-शुंग-कुषाण काल

मौर्यों के अवसान के बाद शुंग वंश का उत्थान हुआ था। पंतजलि के महाभाष्य से ज्ञात होता है कि शुंगों ने यवनों से माध्यमिका की रक्षा की थी। यवन शासक मिनाण्डर ने 150 ई.पू. में माध्यमिका (नगरी) को जीता था। राजस्थान में नलियासर, बैराठ व नगरी से यूनानी राजाओं के 2 सिक्के मिले। कनिष्क के …

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राजस्थान में मौर्य शासन

राजस्थान के कुछ भाग मौर्यों के अधीन या प्रभाव क्षेत्र में थे। मौर्यवंशी राजा चित्रांगद मौर्य ने चित्तौड़गढ़ की स्थापना की तत्पश्चात मौर्यवंशी राजा ‘मानमोरी’ को हराकर बप्पा रावल ने चित्तौड़गढ़ जीता। राजस्थान में मौर्य शासन के प्रमाण अशोक का बैराठ का शिलालेख तथा उसके उत्तराधिकारी कुणाल के पुत्र सम्प्रति द्वारा बनवाये गये मन्दिर मौर्यों …

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मारोठ कला

मारोठ कला

राजपूताना हमेशा से अपनी कला व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध रहा है। राजपूताना व शाही रजवाड़ों के महल, मंदिर व किले हमेशा से इस कला व पेंटिंग्स से सुसज्जित हुए हैं। अंधेरे कमरे में जब रोशनी की एक किरण के हजारों प्रतिबिम्ब खुदे हुए या कटे हुए शीशों के बीच जगमगाते हैं तो वह अद्भुत …

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महाराजा सूरजमल

महाराजा सूरजमल

राजस्थान के ऐतिहासिक भरतपुर जिले का अतीत अनगिनत संघर्षों तथा साहस और पराक्रम की गाथाओं से परिपूर्ण रहा है। भरतपुर को भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान दिलाने में महाराजा सूरजमल का विशेष योगदान रहा है। महाराजा सूरजमल भरतपुर राज्य के दूरदर्शी जाट महाराजा थे। भारत में महाराजा सूरजमल का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव …

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पन्ना धाय

पन्ना धाय

राजस्थान में ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति में पन्ना धाय का नाम मातृत्व, बलिदान, साहस एवं वात्सल्य का प्रतीक बन गया है। पन्ना धाय समर्पण एवं त्याग की प्रतिमूर्ति थी। महाराणा सांगा की मृत्यु के बाद मेवाड़ में अस्थिरता रही । सांगा के बाद रतनसिंह शासक बना लेकिन सन् 1531 में उसकी मृत्यु हो गई। …

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मीराबाई

मीरां बाई

मीराबाई का जन्म 1498 ई. में मेड़ता के राठौड़ वंश के राव दूदा के पुत्र रतनसिंह के यहां ग्राम कुड़की में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि मीराबाई का मन बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में रम गया था। मीराबाई का कहना था – ‘ मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई। सन् 1519 …

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