राजस्थान के कुछ भाग मौर्यों के अधीन या प्रभाव क्षेत्र में थे। मौर्यवंशी राजा चित्रांगद मौर्य ने चित्तौड़गढ़ की स्थापना की तत्पश्चात मौर्यवंशी राजा ‘मानमोरी’ को हराकर बप्पा रावल ने चित्तौड़गढ़ जीता।
राजस्थान में मौर्य शासन के प्रमाण
- अशोक का बैराठ का शिलालेख तथा उसके उत्तराधिकारी कुणाल के पुत्र सम्प्रति द्वारा बनवाये गये मन्दिर मौर्यों के प्रभाव की पुष्टि करते हैं।
- कुमारपाल प्रबन्ध तथा अन्य जैन ग्रंथों से अनुमानित है कि चित्तौड़ का किला व चित्रांग तालाब मौर्य राजा चित्रांगद का बनवाया हुआ है।
- चित्तौड़ से कुछ दूर मानसरोवर नामक तालाब पर राज मान का, जो मौर्यवंशी माना जाता है, वि. सं. 770 का शिलालेख कर्नल टॉड को मिला, जिसमें माहेश्वर, भीम, भोज और मान ये चार नाम क्रमशः दिये हैं।
- कोटा के निकट कणसवा (कसुआ) के शिवालय से 738 ई. का शिलालेख मिला है, जिसमें मौर्यवंशी राजा धवल का नाम है।
इन प्रमाणों से मौर्यों का राजस्थान में अधिकार और प्रभाव स्पष्ट होता है।