राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आर.के.वी.वाई.) कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में लगातार गिरते निवेश को देखते हुए केन्द्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना प्रारम्भ की गई, जिसमें कृषि जलवायु स्थितियां, प्राकृतिक संसाधन से सम्बन्धित मुद्दों को दृष्टिगत रखते हुए कृषि क्षेत्र के लिए विस्तृत योजना बनाने का कार्य किया जाएगा।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आर.के.बी.बाई)/ राष्ट्रीय कृषि विकास कार्यक्रम कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में (11वीं पंचवर्षीय योजना में) 4 प्रतिशत विकास दर अर्जित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा राजस्थान सहित सभी राज्यों में एक योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना वर्ष 2007-08 में प्रारम्भ की थी।
इस योजना में वर्ष 2007-08 से 2014-15 तक शत-प्रतिशत राशि केन्द्रीय सहायता क रूप में भारत सरकार ने उपलब्ध कराई थी। भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 में वित्त पोषण पैटर्न में परिवर्तन कर केन्द्रीयांश एवं राज्यांश का अनुपात 60: 40 कर दिया है।
राज्य के कृषि जलवायु एवं प्राकृतिक संसाधनों पर विचार करने के लिए एवं कृषि पशुपालन मत्स्य पालन मुर्गी पालन बागवानी और डेयरी के क्षेत्र में एकीकृत जिला कृषि योजना तैयार करने हेतु परियोजना आधारित सहायता प्रदान की जा रही है।
वर्ष 2018-19 में 138.03 करोड़ प्रावधान के विरुद्ध ₹120.70 करोड़ व्यय किए गए हैं।
उद्यानिकी
बागवानी विभाग के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में गठित राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति द्वारा वर्ष 2018-19 में ₹91.02 करोड़ उद्यानिकी विकास परियोजनाओं के लिए स्वीकृत किए गए हैं।
इसके अन्तर्गत खजूर की खेती, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन से वंचित जिलों में उद्यानिकी विकास कार्यक्रम, शहरी क्षेत्रों में वेजिटेबल क्लस्टर, झालावाड़, धौलपुर, टोंक, बूंदी, चित्तौड़गढ़ व सवाई माधोपुर में उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना, बस्सी (जयपुर) में अनार व नान्ता (कोटा) में खट्टे फलों के उन्नत उत्पादन केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण, संरक्षित खेती के विकास आदि पर ₹38.11 करोड़ व्यय किए गए हैं।
राज्य के उद्यानिकी विभाग की स्थापना के बाद बागवानी फसलों के क्षेत्रफल, उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।