भारत सरकार द्वारा पूर्व में संचालित बार योजनाओं-राष्ट्रीय सूक्ष्म सिवाई मिशन राष्ट्रीय जविक खती परियोजना राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रवन्ध परियोजना तथा वर्षा आचाति क्षेत्र विकास कार्यक्रम का समावेश कर एक नया कार्यक्रम राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन 2014-15 से क्रियान्वित किया जाहा है। वर्ष 2015-16 में इसके वित्त पोषण में केन्द्रीयांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 है। राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन के अन्तर्गत बार सब-मिशन सम्मिलित किए गए हैं |
- वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आर.ए.डी.)
- यह योजना सामूहिक पद्धति पर आधारित है। प्रत्येक समुह में 100 हेक्टयर के लिए समन्वित कृषि पद्धति के साथ पशुधन सेयरी, मुर्गीपालन उद्यानिकी वृक्ष आधारित मधुमक्खी पालन कार्य किए जाते हैं।
- मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड
- परम्परागत कृषि विकास योजना (पी.के.बी.आई.)
- जैविक खेती में पर्यावरण अधारित न्यूनतम लागत तकनीकों के प्रयोग से रसायनों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कम करते हुए कृषि उत्पादन किया जाता है।
- परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत क्लस्टर एवं पी.जी.एस. प्रमाणन के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है।
- भारत सरकार के द्वारा वित पोषण पटने को 60 प्रतिशत कन्द्रीयांश एवं 40 प्रतिशत राज्यांश किया गया है।
- वर्ष 2018-19 में चयनित किसानो को 04 से 20 हैक्टेयर तक विभिन्न गतिविधियों के लिए 3 वर्ष तक लागू किया गया एवं एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 5000 नए क्लस्टरो का चयन किया गया।
- वर्ष 2018-19 में ₹12.00 करोड़ प्रावधान के विरुद्धर11.20 करोड़ व्यय किए गए हैं।
- कृषि वानिकी पर उप मिशन (एस.एम.ए.एफ.)
- कृषि वानिकी को एक पारम्परिक कृषि प्रणाली के रूप में प्रचलित किया गया है, जो स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली फसलों के साथ-साथ किसान के खेतों पर वृक्षों के विस्तार में सहायक होगी।
- राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन के तहत वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और विस्तार करने के उद्देश्य से कृषि वानिकी पर एक उप मिशन वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया जिसके अन्तर्गत गुणवत्ता रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने कृषि एवं पशुपालन में उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ वृक्षारोपण को बढ़ावा देना, रोजगार बढ़ाना आमदनी बढ़ाना और ग्रामीण परिवारों की विशेष रूप से छोटे कृषकों के जीवन स्तर में सुधार करना।
- इसमें केन्द्र और राज्य सरकार का वित्त पोषण पैटर्न क्रमशः 60:40 अनुपात में है।
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में ₹24.56 करोड़ प्रावधान के विरुद्ध 19.07 करोड़ व्यय किए गए है।