इतिहास

महाराणा सांगा - राणा सांगा - मेवाड़

महाराणा सांगा

महाराणा कुम्भा के बाद महाराणा संग्रामसिंह जो कि सांगा के नाम से प्रसिद्ध है मेवाड़ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक हुआ। उसने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया एवं राजपूताना के सभी नरेशों को अपने अधीन संगठित किया। रायमल की मृत्यु के बाद सन् 1509 में राणा सांगा मेवाड़ का महाराणा बना …

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Shri Lal Joshi

श्रीलाल जोशी

राजस्थान की लोक चित्रकला शैली फड़ की पहचान श्रीलाल जोशी के निधन के साथ ही फड परम्परा का सर्वाधिक रौशन सितारा कला जगत से लुप्त हो गया। फड़ कला के साथ राजस्थान के श्रीलाल जोशी का नाम ऐसे जुड़ा हआ था कि भारत ही नहीं विश्वभर में वे फड़ के पर्याय बन चुके थे। न …

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उण्डेश्वर मंदिर

Undeshwar Mandir Bijoliya

भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया में यूं तो कई प्राचीन शिव मंदिर बने हए हैं लेकिन यहां के उण्डेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला बेमिसाल है। मंदिर का प्रवेश द्वार चार प्रस्तर स्तम्भों पर टिका हुआ है। ये स्तम्भ घट पल्लव एवं विभिन्न देवी-देवताओं की आकृतियों से अलंकृत हैं। सभा मण्डप में नंदकेश्वर की प्रतिमा विराजमान है। …

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विजय सागर

विजय सागर

जल प्रबन्धन की दृष्टि से अलवर में रियासत काल के दौरान अनेक सर, सरोवर, समन्द और सागर बनाए गए। उसी श्रृंखला में है – विजय सागर। अलवर-बहरोड़ मार्ग पर शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर सन् 1897 में एक छोटे बांध के रूप में इसका निर्माण कराया गया। सन् 1903 में चूहड़सिद्ध की सहायक नदी …

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बटेवड़ा अर्थात गोबर कला

ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपनी कलात्मक अभिरुचियां विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त करती रहती हैं। उनमें से एक प्रकार है गोबर कला अर्थात बटेवड़ा। ईंधन के लिए गोबर के छाणे, कंडे अथवा ऊपळे थापे जाते हैं। वर्ष भर चलाने और वर्षा से बचाने के लिए सूखे ऊपळों को गोलाकार अथवा आयताकार रूप में जमा कर उन्हें …

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Gulal Gote

एक जमाना था जब गुलाबी नगर की शान गुलाल गोटों की बड़ी धूम थी। जयपुर के मणिहारों के रास्ते में ये आज भी बनाये जाते हैं। गुलाल गोटे बनाने के लिए लाख में बेरजा और सोपस्टोन पाउडर मिलाकर उसे कढ़ाही में पिघला लिया जाता है। इस लाख को एक डंडी में लिपटा कर आग में …

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