इतिहास

महाराणा कुम्भा

महाराणा कुम्भा

महाराणा कुम्भा के शासनकाल की जानकारी ‘एकलिंग महात्म्य’, ‘रसिक प्रिया’, ‘कुम्भलगढ़ प्रशस्ति’ आदि से मिलती है। वह 1433 ई. में गददी पर बैठा। कुम्भा ने अपने शासनकाल के प्रारंभ में स्थानीय और पड़ोसी राज्यों को जीत कर अपनी शक्ति को बढ़ाया। महाराणा कुम्भा ने 1437 ई. में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर भीषण आक्रमण …

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राजस्थानी हस्तशिल्प

आज सम्पूर्ण विश्व में राजस्थानी हस्तशिल्प को सराहा जाता है। अपने अनूठेपन, सूक्ष्मता और सौन्दर्य में यह विलक्षण है। राजस्थान का यह बहु प्रशंसित हस्तशिल्प लगभग उतना ही पुराना है जितना स्वयं मानव का अस्तित्व है। जब मनुष्य ने पत्थरों के औज़ार बनाने शुरू किए तभी से राजस्थान की धरा पर हस्त शिल्प की शुरुआत …

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राजस्थान के रीति-रिवाज

राजस्थान का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ के लोगों को अनेक उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ा है। संघर्ष और वैभव दोनों ही ने यहाँ के जीवन को प्रभावित किया और आकार दिया है। किसी भी प्रदेश के निवासी जैसा जीवन जीते हैं उसी के अनुरूप उनके रीति रिवाज भी बनते चलते हैं। रीति-रिवाजों का निर्माण …

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राजस्थान के प्रमुख मेले

पुष्कर मेला अजमेर जिले का पुष्कर हिन्दू धर्मावलम्बियों की आस्था का एक प्रमुख केन्द्र है। कदाचित पूरे देश में यहीं ब्रह्माजी का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें विधिवत उनकी पूजा होती है। इसी मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर सावित्री और गायत्री माता के मंदिर भी हैं। इसी तीर्थ स्थली पुष्कर में प्रति माह की …

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राजस्थान के प्रमुख त्योहार

पूरे देश में मनाए जाने वाले सभी पर्व, त्योहार आदि राजस्थान में भी उतने ही हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस, नया साल, उत्तरायण, पोंगल, बैसाखी, गणेश चतुर्थी, जन्माष्ठमी, गुरु नानक जयन्ती, और इसी तरह के सारे ही पर्यों-त्योहारों को राजस्थान के निवासी भी उसी उत्साह और उल्लास के साथ मनाते हैं …

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राजस्थान की मध्यकालीन भू राजस्व व्यवस्था

प्रशासन के तीन प्रमुख स्तम्भ थे सैनिक व सामान्य प्रशासन दूसरा न्याय व्यवस्था और तीसरा भू-राजस्व व्यवस्था, सैनिक और न्याय व्यवस्था के समान ही भू राजस्व व्यवस्था में भी सामन्तों की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। मध्यकाल में कृषि ही आय का मुख्य स्रोत था, इस दृष्टि से भूमि और उस पर उत्पादित फसल पर लगान वसूल …

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