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राजस्थान के रीति-रिवाज

राजस्थान का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ के लोगों को अनेक उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ा है। संघर्ष और वैभव दोनों ही ने यहाँ के जीवन को प्रभावित किया और आकार दिया है। किसी भी प्रदेश के निवासी जैसा जीवन जीते हैं उसी के अनुरूप उनके रीति रिवाज भी बनते चलते हैं। रीति-रिवाजों का निर्माण …

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राजस्थान के प्रमुख मेले

पुष्कर मेला अजमेर जिले का पुष्कर हिन्दू धर्मावलम्बियों की आस्था का एक प्रमुख केन्द्र है। कदाचित पूरे देश में यहीं ब्रह्माजी का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें विधिवत उनकी पूजा होती है। इसी मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर सावित्री और गायत्री माता के मंदिर भी हैं। इसी तीर्थ स्थली पुष्कर में प्रति माह की …

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राजस्थान के प्रमुख त्योहार

पूरे देश में मनाए जाने वाले सभी पर्व, त्योहार आदि राजस्थान में भी उतने ही हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस, नया साल, उत्तरायण, पोंगल, बैसाखी, गणेश चतुर्थी, जन्माष्ठमी, गुरु नानक जयन्ती, और इसी तरह के सारे ही पर्यों-त्योहारों को राजस्थान के निवासी भी उसी उत्साह और उल्लास के साथ मनाते हैं …

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राज्य के चार जिलों के 1388 गांव सूखाग्रस्त घोषित

राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर राज्य के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर तथा हनुमानगढ़ की कुल 13 तहसीलों के एक हजार 388 गांवों को सूखा प्रभावित घोषित किया है।  अधिसूचना के तहत बाड़मेर जिले के 131 गांव गंभीर सूखाग्रस्त तथा 92 गांव मध्यम सूखाग्रस्त एवं जैसलमेर जिले के 632 गांव गंभीर तथा 40 गांव मध्यम सूखाग्रस्त …

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राजस्थान के मध्यकाल इतिहास के प्रश्न

खालसा भूमि से क्या तात्पर्य है? मध्यकाल में सामन्त जागीर किसे कहा जाता था? राजा की सामन्तों के मध्य क्या स्थित थी? राजा किसके परामर्श के बिना कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले सकता था? मगल मनसबदारी स्वीकार करने के बाद रियासतो में उत्तराधिकारी विवाद होने पर कौन मुख्य भूमिका निभाते थे? सामन्त द्वारा राजा …

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राजस्थान की मध्यकालीन भू राजस्व व्यवस्था

प्रशासन के तीन प्रमुख स्तम्भ थे सैनिक व सामान्य प्रशासन दूसरा न्याय व्यवस्था और तीसरा भू-राजस्व व्यवस्था, सैनिक और न्याय व्यवस्था के समान ही भू राजस्व व्यवस्था में भी सामन्तों की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। मध्यकाल में कृषि ही आय का मुख्य स्रोत था, इस दृष्टि से भूमि और उस पर उत्पादित फसल पर लगान वसूल …

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