प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तर्गत वर्तमान में संचालित योजनाओं का समावेश किया गया है जैसे-त्वरित सिंबाई लाभ कार्यक्रम (ए.आईबी.पी), समन्वित जलग्रहण प्रबन्ध कार्यक्रम (आई.उबल्यूएमपी) तथा ऑन फार्म जल प्रबन्ध (ओ.एफ. उबल्यूएम) आदि।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सम्पूर्ण राज्य में वर्ष 2015-16 से क्रियान्वित की जा रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का वित्त पोषण पैटर्न केन्द्रीयांश एवं राज्याशकबीच अनुपात 60-40 है।
वर्ष 2018-19 मे र 104.64 करोड़ प्रावधान के विरुद्ध 70.77 करोड़ व्यय किए गए हैं।
उद्यानिकी
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-सूक्ष्म सिंचाई (पी.एम. के.एस.वाई.-एम.आई.)
राज्य में, जल एक सीमित एवं बहुमूल्य संसाधन है। इस दृष्टि से फसल उत्पादकता बढ़ाने एवं पानी को बचाने के लिए लघु सिंचाई पद्धति में ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई पद्धति, प्रभावी जल प्रबन्धन की व्यवस्था है। भारत सरकार द्वारा इन पद्धतियों के समुचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015-16 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत सूक्ष्म सिंचाई योजना प्रारम्भ की गई है। इसमें सभी श्रेणी के कृषकों के लिए केन्द एवं राज्य सरकार का अनुपात 60:40 है। वर्ष 2018-19 के लिए ₹110.27 करोड़ (केन्द्रीयांश ₹65.20 करोड़ व राज्यांश ₹45.07 करोड) का प्रावधान किया गया था। ड्रिप एवं फव्वारों द्वारा सिंचाई के लिए राज्य निधि में अतिरिक्त अनुदान के रूप में ₹20.94 करोड़ रखे गए है। वर्ष 2018-19 में ₹97.23 करोड़ (केन्द्रीयांश ₹57.38 करोड़ एवं राज्यांश ₹39.85 करोड़) एवं अतिरिक्त सब्सिडी के ₹17.44 करोड़ व्यय किए गए हैं। 16,378 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप संयंत्रों एवं 37,603 हैक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई की स्थापना की गई है।