इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार योजना
- शुभारम्भ – 9 सितम्बर 2022
- योजना शुभारंभ स्थल – खानिया की बावड़ी(जयपुर)
- उद्देश्य – प्रदेश के शहरी निकायों में गरीब, वंचित एवं जरूरतमंद लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु।
- प्रतिवर्ष अनुमानित व्यय – 800 करोड़ रूपए
भारत सरकार की ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्थान में ‘इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना’ शुरू गई है। योजना का शुभारम्भ 9 सितंबर 2022 को जयपुर स्थित खानिया की बावड़ी से किया गया है। योजना के तहत पंजीकरण और काम मांगने के लिए आवेदन की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई थी। योजना में लगभग 1.5 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया है। इस योजना की घोषणा राज्य बजट वर्ष 2022-23 में प्रदेश के शहरी निकायों में गरीब, वंचित एवं जरूरतमंद लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए की गई थी।
संशोधन
मनरेगा की तर्ज पर शुरू इस योजना में अब प्रति परिवार 125 दिवस का रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने हर हाथ को रोजगार और बेरोजगारों को सम्बल प्रदान करने के लिए 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन रोजगार के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।यह संशोधन 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगा। शहरी बेरोजगारों को 25 दिवस का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराने से लगभग 1100 करोड़ रुपए का व्यय होना संभावित है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में बजट 2023-24 में घोषणा की गई है।
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना से जुड़े दिशा-निर्देश
- राजस्थान के 213 शहरी निकाय क्षेत्रों में निवास करने वाले परिवारों को हर साल 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी। यह देश की इस तरह की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना है।
- इंदिरा गांधी शहरी गारंटी रोजगार गारंटी योजना में स्थानीय निकाय क्षेत्र में निवास कर रहे 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के सदस्य का जन आधार कार्ड के आधार पर पंजीयन किया जाएगा। कार्य हेतु आवेदन ई-मित्र से किया जा सकता है।
- योजना में अनुमत कार्य करवाने हेतु राज्य/जिला/निकाय स्तर पर कमेटियों के माध्यम से कार्य स्वीकृत एवं निष्पादित करवाया जाएगा। रोजगार आवेदनकर्ता परिवार के नगर निकाय क्षेत्र की सीमा के किसी भी वार्ड में उपलब्ध कराया जाएगा।
- सामान्य प्रकृति के कार्य स्वीकृत एवं निष्पादित कराने की सामग्री लागत व पारिश्रमिक लागत का अनुपात 25ः75 तथा विशेष प्रकृति के कार्यों हेतु सामग्री लागत तथा पारिश्रमिक भुगतान का अनुपात 75ः25 होगा।
- स्वायत्त शासन विभाग ने इन परिवारों के सदस्यों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कुल 9,593 कार्य चिन्हित किए हैं।
- कार्यों का भुगतान जन-आधार से लिंक श्रमिकों के बैंक अकाउन्ट में 15 दिवस में किया जाएगा। साथ ही, कार्यस्थल पर श्रमिकों को सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही शिकायतों के निवारण एवं सामाजिक अंकेक्षण के लिए भी योजना में प्रावधान किए गये हैं।
- योजना के संचालन हेतु स्थानीय निकाय विभाग तथा निकाय स्तर पर योजना प्रकोष्ठ गठित करते हुए विभिन्न अधिकारियों/कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति/संविदा नियुक्ति की जाएगी। साथ ही मनरेगा योजना के अनुरूप प्रस्तावित योजना के लिए प्रशासनिक व्यय को 800 करोड़ रूपए के 6 प्रतिशत तक सीमित रखे जाने के प्रस्ताव पर भी सहमति प्रदान की है।
शहरी क्षेत्रों में चिन्हित कार्य
- पर्यावरण संरक्षण कार्य
- जल संरक्षण कार्य
- स्वच्छता एवं सेनिटेशन कार्य
- सम्पत्ति विरुपण रोकने के कार्य
- कन्वर्जेन्स कार्य
- सेवा कार्य
- हेरिटेज संरक्षण से जुड़े कार्य
- नगरीय निकायो व सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा/चारदीवारी/गार्ड इत्यादि कार्य
- नगरीय निकाय क्षेत्र में पार्किंग विकास एवं प्रबंधन ।
- बेसहारा पशुओं को पकड़ने, रखने व प्रबंधन से सम्बन्धी कार्य
- राजीव गांधी सेवा केन्द्र की तर्ज पर मॉडल भवन निर्माण।
- राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अनुमत अन्य कार्य