मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में कैबिनेट द्वारा ‘घर-घर औषधि‘ योजना के प्रदेश स्तर पर क्रियान्वयन का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत 4 तरह के औषधीय पौधों तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय और कालमेघ की प्रजातियों के औषधीय पौधे आमजन को वन विभाग की पौधशालाओं से वितरित किये जायेंगे।
- बहु उपयोगी औषधीय पौधे वन विभाग की पौधशालाओं में तैयार कर इच्छुक परिवारों को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।
- सभी मुख्य वन संरक्षक अपने-अपने जिलों की नर्सरियों में पौधे तैयार करवा रहे हैं। सभी प्रजातियों के पौधों की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में है।
- योजना का उद्देश्य केवल औषधीय पौधों का वितरण ही नहीं अपितु योजना के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए आमजन को इस योजना के बारे में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करवाना है ताकि वे औषधीय पौधों का उपयोग कर अपनी इम्यूनिटी को और बेहतर कर सकें।
- योजना को जनप्रतिनिधियों, पंचायती राज संस्थाओं, विभिन्न विभागों एवं संस्थानों, औद्योगिक घरानों आदि के सहयोग से जन-अभियान के रूप में क्रियान्वित किया जाएगा। घर-घर पौधों का वितरण कर समुचित तरीके से अभियान की सफलता सुनिश्चित की जाएगी।
घर-घर औषधि योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु टास्क फोर्स का गठन
- वन विभाग योजना का नोडल विभाग होगा।
- योजना के क्रियान्वयन के लिए जिलों में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स गठित की जाएगी, जबकि राजस्थान राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मोनिटरिंग कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी हर तीसरे महिने में योजना की समीक्षा करेगी।
- वन विभाग द्वारा योजना के मूल्यांकन के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाएगा।
- जुलाई माह से जिला प्रशासन द्वारा पौध-वितरण के लिए अभियान चलाया जाएगा।
- इसके अलावा आमजन को वन औषधियों एवं औषधीय पौधों की उपयोगिता एवं इनके संरक्षण-संवर्धन के बारे में जागरूक किया जाएगा।
- इस वर्ष जुलाई में मनाए जाने वाले वन महोत्सव की थीम भी ‘घर-घर औषधि‘ योजना रहेगी।