राजस्थान और सतत विकास लक्ष्य

राजस्थान और सतत विकास लक्ष्य

एस.डी.जी. इंडिया इंडेक्स, 2018 नीति आयोग द्वारा माह दिसम्बर, 2018 में प्रथम “एस.डी.जी. इंडिया इंडेक्स, बेस लाईन रिपोर्ट 2018” जारी की गई। इस इंडेक्स का उद्देश्य 62 प्राथमिकता वाले संकेतकों पर राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों की प्रगति को मापना है। इस रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान को कम्पोजिट एस.डी.जी. इंडिया इंडेक्स में 59 स्कोर के साथ में परफॉर्मर श्रेणी में रखा गया है। एस.डी.जी. इंडिया इंडेक्स के संदर्भ में भारत एवं राजस्थान की गोलवार स्थिति तालिका में दी गई है।

राजस्थान की सतत विकास गोल्स के प्रति प्रतिबद्धता

केन्द्र सरकार की भाँति, सतत् विकास गोल्स को प्राप्त करने की दिशा में राजस्थान द्वारा भी महत्वपूर्ण पहल की गई है। इनमें संस्थागत ढांचे की स्थापना करना, सतत विकास लक्ष्यों एवं उनसे संबंधित संकेतकों की राज्य एवं केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं (सी.एस.एस.) के साथ मैपिंग, सूक्ष्म स्तर पर योजनाओं के एस.डी.जी. लक्ष्यों के साथ कार्यान्वयन आदि सम्मिलित हैं। राजस्थान द्वारा सतत विकास गोल्स को प्राप्त करने के लिए की गई प्रमुख पहलों का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है: संस्थागत व्यवस्था राजस्थान में मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समिति का गठन किया गया है। इस समिति को राज्य में सतत विकास गोल्स एजेंडा को निर्धारित करने, राज्य स्तर पर संस्थागत फ्रेमवर्क को विकसित करने, राज्य में विभिन्न हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का निर्धारण करने तथा राज्य में हुई प्रगति की समीक्षा करने का कार्य सौंपा गया है। समिति के निर्देशों पर प्रारम्भ किये गये प्रमुख कार्य निम्नानुसार है:

क्षेत्रवार कार्य समूहों का गठन

राज्य स्तरीय कार्यान्वयन एवं निगरानी समिति की सिफारिशों के अनुसार सतत् विकास गोल्स के क्रियान्वयन एवं निगरानी कार्य में सुझाव हेतु सात क्षेत्रवार कार्य समूहों का गठन किया गया है। इन कार्य समूहों के प्रमुख उत्तरदायित्व निम्नानुसार है:

  • रणनीतिक संदर्भ का परीक्षण करना।
  • उन मुद्दों/विषयों को प्राथमिकता देना, जिन पर सतत् विकास गोल्स की प्राप्ति के लिये ध्यान देना आवश्यक है।
  • मॉनिटरिंग इंडिकेटर्स के संबंध में कमियों का विश्लेषण करना एवं संबंधित डाटा रिपोर्टिंग सिस्टम की कमियों की जांच करना।
  • प्रत्येक सतत विकास गोल के लिये ऐसे राज्य विशेष संकेतकों का सुझाव देना, जिनकी वर्ष 2015 की वैल्यू को आधार में रखकर 2019, 2023 एवं 2030 में प्राप्ति हेतु लक्ष्यों को निर्धारित करना।
  • सतत विकास गोल्स को प्राप्त करने के लिए सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में तेजी लाने वाले कारकों की पहचान एवं क्रमोन्नयन करना।
  • सार्वजनिक सेवा प्रदायगी में तकनीकी नवाचारों की पहचान करना और प्रारम्भ करना।
  • सहयोगी विभागों की पहचान करना, जो नियोजित हस्तक्षेपों के लिये महत्वपूर्ण हैं तथा अन्य विभागों के साथ कार्य करने के लिये समन्वय वाले क्षेत्रों की पहचान करना।
  • एस.डी.जी. संकेतकों के लिए समयबद्ध, विकेन्द्रीकृत एवं विश्वसनीय संमकों की उपलब्धता हेतु विभागों द्वारा उठाये जाने वाले कदमों की समीक्षा करना।
  • लैगिंक समानता और महिलाओं एवं लड़कियों के सशक्तिकरण हेतु विशिष्ट सिफारिशों का सुझाव देना।
  • संबधित विभागों में क्षमतावर्द्धन की आवश्यकताओं की पहचान करना तथा क्षमतावर्द्धक गतिविधियों के लिए योजना का निर्धारण।
  • सतत विकास गोल्स के स्थानीयकरण के लिए विशिष्ट रणनीति का निर्धारण।
  • एस.डी.जी. रोड मैप एवं रणनीति को अंतिम रूप देना और रिपोर्ट प्रस्तुत करना।

एस.डी.जी. के कार्यान्वयन एवं निगरानी के लिए आयोजना विभाग को नोडल विभाग घोषित किया गया है। लक्ष्यों/राष्ट्रीय संकेतकों के डेटा संग्रहण एवं प्रगति की समीक्षा हेतु आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में एक विशिष्ट प्रकोष्ठ/समर्पित केन्द्र की स्थापना की गई है। एस.डी.जी. प्रकोष्ठ की स्थापना निम्नलिखित गतिविधियों के लिए की गई है:

  • राज्य स्तरीय समिति/विभागों को प्रत्येक गोल/ लक्ष्य के । लिये संकेतकों की पहचान करने में सहायता प्रदान करना।
  • विभागों को चिन्हित संकेतकों (राज्य, जिला और ब्लॉक) की वर्तमान स्थिति तैयार करने में सहायता प्रदान करना।
  • चिन्हित किए गए लक्ष्यों के विरूद्ध रियल टाईम परफोर्मेन्स और उपलब्धियों को जानने के लिए आई.टी. आधारित प्लेटफॉर्म “एस.डी.जी.-एम.आई.एस.” को विकसित करना।
  • सम-सामयिक प्रतिवेदनों का प्रकाशन करना।
  • विभिन्न हितधारकों को समंक/विश्लेषण की सुविधा देना।
सतत विकास गोल्स के कार्यान्वयन हेतु जिला स्तरीय समितियों का गठन

सतत विकास लक्ष्य का स्थानीयकरण करना, इसके कार्यान्वयन का एक महत्वपूर्ण भाग है। बेहतर योजना एवं जमीनी स्तर पर एस.डी.जी. के कार्यान्वयन के लिये, ऐसे सक्षम वातावरण का निर्माण करना महत्वपूर्ण है जो जिला और उप-जिला स्तरों पर सतत विकास गोल्स को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, राजस्थान सरकार ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय सतत विकास गोल्स कार्यान्वयन और निगरानी समिति का गठन किया है। संबंधित जिले के उप/सहायक निदेशक, आर्थिक और सांख्यिकी की इस समिति के सदस्य सचिव के रूप में नामित किया गया है तथा विभिन्न सम्बद्ध विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को इस समिति का सदस्य बनाया गया है। इस समिति को सतत विकास गोल्स कार्यान्वयन के लिए जिला स्तरीय रोडमैप तैयार करने का कार्य सौंपा गया है।

यह सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय संकेतकों की स्थिति/प्रदर्शन के आधार पर जिले के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करेगी। इस समिति को स्टेट लेवल रिपोर्ट, फैक्टशीट और डैशबोर्ड के आधार पर एस.डी.जी. की जिले में प्रगति पर चर्चा के लिए वर्ष में कम से कम दो बार बैठके आयोजित करने के निर्देश भी दिये गये है। यह समिति योजनाओं/परियोजनाओं के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों/ बाधाओं की पहचान करने तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्थानीय प्रासंगिक रणनीति तैयार करने के लिए विभागों/हितधारकों के साथ नियमित रूप से परामर्श करेगी। इस समिति द्वारा जिला, ब्लॉक और शहरी स्थानीय निकायों में एस.डी.जी. पर समय-समय पर क्षमतावर्द्धन कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा। राज्य भी, स्थानीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों, नागरिक संगठनों, उद्योग संगठनों आदि के साथ साझेदारी बनाने के लिए प्रयास करेगा।

राजस्थान का एस.डी.जी. इंडिकेटर मोनिटरिंग फ्रेमवर्क नीति आयोग ने 17 गोल्स व 169 लक्ष्यों की केंद्रीय मंत्रालयों, केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सी.एस.एस.) और अन्य सरकारी नवाचारों के साथ विस्तृत मैपिंग की है। इसी तर्ज पर, राजस्थान ने भी एस.डी.जी. और इनके लक्ष्यों की मैपिंग राज्य में क्रियान्वित विभिन्न कार्यक्रमों के साथ की है। राज्य भी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा चिन्हित प्राथमिक संकेतकों सहित राष्ट्रीय संकेतकों के मेटा डेटा के अनुसार डेटा एकत्र करने का प्रयास कर रहा है। नवीन स्टेटस रिपोर्ट का कार्य एवं वर्तमान परिदृश्य में राष्ट्रीय संकेतकों/ लक्ष्यों की मैपिग प्रक्रियाधीन है। इनकी प्रगति की समीक्षा हेतु राज्य एक डैशबोर्ड विकसित करने पर भी कार्य कर रहा है।

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