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राजस्थान में आयुष्मान भारत योजना 1 सितम्बर, 2019 से लागू

राजस्थान में आयुष्मान भारत योजना 1 सितम्बर, 2019 से लागू

जयपुर, 28 अगस्त।राजस्थान में आयुष्मान भारत योजना 1 सितम्बर, 2019 से लागू होगी। प्रदेश की भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ एकीकरण के बाद अब योजना का नाम ‘आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना‘ होगा। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने …

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बटेवड़ा अर्थात गोबर कला

ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपनी कलात्मक अभिरुचियां विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त करती रहती हैं। उनमें से एक प्रकार है गोबर कला अर्थात बटेवड़ा। ईंधन के लिए गोबर के छाणे, कंडे अथवा ऊपळे थापे जाते हैं। वर्ष भर चलाने और वर्षा से बचाने के लिए सूखे ऊपळों को गोलाकार अथवा आयताकार रूप में जमा कर उन्हें …

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राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण | कृत्रिम हैचिंग सेन्टर से गोडावण को बचाने में होंगे कामयाब | राजस्थान का पर्यावरण

कृत्रिम हैचिंग सेन्टर से गोडावण को बचाने में होंगे कामयाब

राज्य पक्षी गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के संरक्षण के लिए 24 जून को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने जैसलमेर में अण्डा एकत्रीकरण एवं कृत्रिम हैचिंग केन्द्र शुरू होने पर प्रसन्नता जाहिर की है। गोडावण पक्षी की विलुप्त होती जा रही प्रजाति के संरक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यू.आई.आई.) देहरादून के सहयोग से विश्व में …

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राजस्थान में जल संचय कलात्मक स्थापत्य

राजस्थान में जल संचय कलात्मक स्थापत्य

जल केवल जल नहीं है बल्कि यह जीवन का रस है, जीवनी शक्ति है और इसी में जीवन की गति है। जल हमारे लिए ईश्वरका सबसे बड़ा वरदान है जो हमें वर्षा, झरनों, धरती के स्रोतों, नदियों, तालाबों, कूपों और बांधों आदि से प्राप्त होता है। अत: यह हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम इस …

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Gulal Gote

एक जमाना था जब गुलाबी नगर की शान गुलाल गोटों की बड़ी धूम थी। जयपुर के मणिहारों के रास्ते में ये आज भी बनाये जाते हैं। गुलाल गोटे बनाने के लिए लाख में बेरजा और सोपस्टोन पाउडर मिलाकर उसे कढ़ाही में पिघला लिया जाता है। इस लाख को एक डंडी में लिपटा कर आग में …

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सौरत का मेला

सौरत का मेला

हमारे समाज में सदियों से मेलों की अनूठी परंपरा रही है। इनके साथ आम जनमानस की गहरी भावात्मक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। आस्था के ये स्थल न केवल लोक जीवन की झांकी प्रस्तुत करते हैं बल्कि समाज को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में भी बांधते हैं। ग्रामीण इलाकों में लगने वाले मेले जहां एक ओर …

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