नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ और मांगलोद गांवों की सीमा परदधिमति माता के नाम से विख्यात यह मंदिर नवीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है। यह मंदिर प्रतिहारकालीन मंदिर स्थापत्य की अनुपम थाती है। वेदीबंध की सादगी, जंघा भाग की रथिकाओं में देवीदेवताओं की मूर्तियां, मंडोवर व शिखर की मध्यवर्ती कंठिका में चहुंओर रामायण दृश्यावली तथा प्रतिहारकालीन परम्परा के अनुरूप शिखरबद्ध यह पूर्वाभिमुख मंदिर महामारू शैली के मंदिर का सुन्दर उदाहरण है। मंदिर की पश्चिम की प्रधान ताक में चतुर्भुजी दुर्गा, उत्तर की ओर चतुर्भुजी पार्वती, दक्षिण की ओर अष्टभुजी गणेश हैं। मंदिर के कर्णरथ पर अग्नि, यम, वरुण आदि दिक्पालों की प्रतिमाएं हैं। रामायण के विविध प्रसंगों का मनोहारी मूर्त्यांकन तो तत्कालीन मूर्तिशिल्प का जीवन्त उदाहरण है।