राजस्थान एम-सेंड नीति-2020
25 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने “एम-सेंड नीति-2020” का लोकार्पण किया। निर्माण कार्यों के लिए प्रदेशवासियों की बजरी की जरूरतों को पूरा करने तथा बजरी के दीर्घकालीन विकल्प के रूप में मैन्यूफैक्चर्ड सेंड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एम-सेंड नीति लाइ गई है।
इस बहुप्रतीक्षित नीति से राजस्थान प्रदेश में एम-सेंड के उपयोग तथा इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और नदियों से निकलने वाली बजरी पर हमारी निर्भरता में कमी आएगी। साथ ही प्रदेश के माइनिंग क्षेत्रों में खानों से निकलने वाले वेस्ट की समस्या का भी समाधान होगा और बड़ी संख्या में एम-सेंड इकाइयां लगने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
प्रदेश में विभिन्न निर्माण कार्यों में करीब 70 मिलियन टन बजरी की मांग है। वर्तमान परिस्थितियों में बजरी की समस्या को दूर करने के लिए यह नीति उपयोगी साबित होगी।वर्तमान में 20 एम-सेंड इकाइयां क्रियाशील हैं जिनसे प्रतिदिन 20 हजार टन एम-सेंड का उत्पादन हो रहा है। नीति के आ जाने के बाद नई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा।
एम-सेंड की परिभाषा
किसी भी खनिज अथवा ओवरबर्डन की क्रशिंग से निर्मित की गई सेण्ड जो निर्धारित मानक कोड IS Code 383:2016 के अनुरूप हो।
एम-सेंड नीति-2020 का उद्देश्य
- बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प – प्रदेश के आमजन को विभिन्न निर्माण कार्यों हेतु बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प उपलब्ध कराया जाना।
- पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा – राज्य के विभिन्न खनन क्षेत्रों में उपलब्ध ओवरबर्डन का उपयोग करते हुए खनिज संसाधनों का दक्षतापूर्वक उपयोग कर खनन क्षेत्रों का पर्यावरण संरक्षित करना।
- पारिस्थितिकीय तंत्र में सुधार – एम-सेण्ड के उपयोग के कारण नदियों से बजरी की आपूर्ति पर निर्भरता में कमी एवं पारिस्थितिकीय तंत्र में सुधार।
- स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर – प्रदेश में खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
एम-सेण्ड नीति
- एम-सेण्ड इकाई स्थापित करने वाली इकाईयों को उद्योग का दर्जा दिया जायेगा।
- राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2019 के अनुच्छेद 4 तथा 5.13 के अन्तर्गत एम-सेण्ड की नवीन/विस्तारित इकाईयों को योजनान्तर्गत पात्र होने पर समस्त परिलाभ देय होगें।
- खनन क्षेत्रों में उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स को एम-सेण्ड के उत्पादन हेतु केप्टिव प्रयोजनार्थ दस वर्ष की अवधि के लिए संबंधित खनि अभियंता/सहायक खनि अभियंता द्वारा परमिट जारी किये जायेंगे।
- खनिज मेसेनरी स्टोन के खनन पट्टा आवंटन में एम-सेण्ड इकाई लगाने के लिये पृथक से प्लॉट आरक्षित किये जाकर केप्टिव प्रयोजनार्थ नीलाम किये जायेंगे।
- एम-सेण्ड इकाई स्थापित करने के संबंध में आवेदक को विस्तृत योजना प्रस्तुत करनी होगी। इस हेतु कीननेस मनी के रूप में दो लाख रूपये की एफ.डी.आर. परमिट जारी करने से पूर्व जमा करानी होगी।
- नई एम-सेण्ड इकाई स्थापित करने हेतु आवेदक को पात्रता की निम्न शर्ते पूर्ण करनी आवश्यक होगी
- न्यूनतम तीन करोड़ रुपये की नेटवर्थ तथा तीन करोड़ रुपये का टर्नओवर।
- पूर्व में इस क्षेत्र (क्रशिंग) का सफलतापूर्वक (न्यूनतम तीन वर्ष) चलाने का स्वयं का अथवा संयुक्त उपक्रम में भागीदार का अनुभव।
- खनन क्षेत्रों में राजकीय भूमि पर उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स के प्लॉट डेलीनियेट किये जायेंगे। नीलामी विज्ञप्ति निदेशालय स्तर पर विभागीय वेबसाइट एवं ई-नीलामी सर्विस प्रदाता कम्पनी की वेबसाइट पर अपलोड की जायेगी, जिसमें प्लॉट की साइज, रिजर्व प्राइस, लोकेशन, उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स की अनुमानित मात्रा इत्यादि का विवरण अंकित किया जायेगा। इन ओवरबर्डन डम्प्स प्लॉटों की नीलामी में बोली एकबारीय प्रीमियम राशि की ली जायेगी।
- ओवरबर्डन डम्प्स के परमिट जारी करने में राज्य सरकार के उपक्रम आर.एस.एम.एम.लि. को पूर्व के आवेदकों, यदि कोई है तो, उस पर प्राथमिकता प्रदान की जायेगी।
- एम-सेण्ड इकाई स्थापित करने वाली इकाईयों द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्रों का 120 दिवस की अवधि में समयबद्ध तरीके से, जिसमें भूमि का रूपान्तरण (कन्वर्जन) भी सम्मिलित है, निस्तारण किया जायेगा।
- विभिन्न खनन क्षेत्रों में उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स का विवरण विभागीय वेब-साइट पर अपलोड किया जायेगा।
- एम-सेण्ड की गुणवत्ता, निर्धारित मानक कोड IS Code 383: 2016 के अनुरूप होना अनिवार्य होगा। उक्त नीति के तहत दी गई रियायते एवं सुविधा उन्हीं एम-सेण्ड इकाईयों पर लागू होगी जो उक्त मानक स्तर के अनुरूप एम-सेण्ड का उत्पादन करेगी।
- एम-सेण्ड की गुणवत्ता मापने हेतु प्रत्येक इकाई पर प्रयोगशाला आवश्यक होगी तथा एम-सेण्ड के निर्गमन के समय परमिट/रवन्ना के साथ गुणवत्ता का प्रमाण पत्र जारी किया जाना आवश्यक होगा। एम-सेण्ड की गुणवत्ता हेतु किसी भी एन.ए.बी.एल./राजकीय लेब से गुणवत्ता रिपोर्ट का त्रैमासिक प्रमाण पत्र प्राप्त करना भी आवश्यक होगा।
- राज्य के सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, स्थानीय निकाय, पंचायती राज संस्थाएं एवं राज्य सरकार से वित्त पोषित अन्य संगठनों द्वारा करवाये जाने वाले विभिन्न निर्माण कार्यों में उपयोगित खनिज बजरी की मात्रा का न्यूनतम 25 प्रतिशत एम-सेण्ड का
- उपयोग अनिवार्य होगा जो कि उपलब्धता के आधार 50 प्रतिशत बढ़ाया जा सकेगा। 25 प्रतिशत की बाध्यता उन्हीं निर्माण कार्यों पर लागू होगी, जिनमें निर्माण स्थल से 100 कि.मी. परिधि में आई.एस. स्थापित हो। संवेदक को निर्माण कार्य में रखन्ना/परमिट के माध्यम से प्रयुक्त एम-सेण्ड की मात्रा को उस कार्य की उपयोगित कुल खनिज मात्रा की गणना में आवश्यक रूप से सम्मिलित करना होगा।
- उक्त प्रावधान नीति प्रभावी होने के पश्चात् जारी किये गये कार्यादेशों पर ही लागू होंगें।
- किसी भी क्षेत्र में एम-सेण्ड का अनुपलब्धता प्रमाण पत्र (एन.ए.सी.) संबंधित खनि अभियंता/सहायक खनि अभियंता द्वारा जारी किया जायेगा। इस हेतु पंचायती राज संस्थाओं एवं स्थानीय निकायों के लिए अनुपलब्धता प्रमाण पत्र तहसीलवार व अन्य निर्माण विभागों के लिए जिलेवार जारी किये जा सकेंगे।
- विभाग द्वारा जारी किये गये परमिट के क्षेत्र में परमिट धारक सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त कर एम-सेण्ड इकाई स्थापित कर सकेगा।
- एम-सेण्ड उत्पादन में शहरी सीवेरज ट्रीटमेंट प्लान्ट का पानी प्रचलित दर अनुसार उपलब्धता के आधार पर उपयोग किया जा सकेगा।
- परमिट धारक को परमिट जारी होने की तिथि से 18 माह की अवधि में एम-सेण्ड का उत्पादन प्रारंभ करना अनिवार्य होगा एवं इस संबंध में अवधि विस्तार देय नहीं होगा।
- परमिट धारक को ओवरबर्डन डम्प्स का उपयोग एम-सेण्ड के अतिरिक्त किया जाना अनुज्ञात नहीं होगा, परन्तु एम-सेण्ड उत्पादन के दौरान यदि क्रशर डस्ट/मिट्टी भी निकलती है तो परमिट धारक उसका नियमानुसार राशि का भुगतान कर निर्गमन कर सकेगा।
- परमिट धारक को एम-सेण्ड के निर्गमन हेतु विभाग में रॉयल्टी एवं अन्य देय राशि अग्रिम रूप से जमा करानी होगी।
- परमिट धारक इकाई से उत्पादित एम-सेण्ड का निर्गमन विभाग द्वारा जारी रवन्ना/ट्रांजिट पास से कर सकेगा।
- एम-सेण्ड के निर्माण में उपयोगित ओवरबर्डन पर देय डी.एम.एफ.टी. की राशि में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी।
- पूर्व से स्थापित एम-सेण्ड इकाईयां/क्रशर इकाईयां भी एम-सेण्ड उत्पादन हेतु परमिट/खनन पट्टा प्राप्त करने हेतु पात्र होंगी। पूर्व से स्थापित इकाईयां जो विद्यमान इकाई के विस्तार अथवा नई इकाई स्थापित करने हेतु निवेश करती हैं, वे इकाईयां भी राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2019 के तहत पात्र होने पर अनुच्छेद 4 व 5.13 के अन्तर्गत देय परिलाभ हेतु पात्र होंगी।
- परमिट धारक द्वारा निर्धारित अवधि में इकाई स्थापित नहीं करने, निर्धारित गुणवत्ता की एम-सेण्ड उत्पादित नहीं करने अथवा किसी भी नियम/अधिनियम का उल्लंघन करते हुए पाये जाने पर कीननेस मनी जब्त करते हुए खनन पट्टा/परमिट निरस्त कर दिया जावेगा।
- एम-सेण्ड के अधिक से अधिक उपयोग के संबंध में आमजन को जागरूक करने बाबत् विभाग द्वारा कार्यशाला/सेमीनार आयोजित किये जायेंगे तथा इस हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।
एम-सेंड नीति की समीक्षा
एम-सेंड नीति की समीक्षा छः माही आधार पर की जाएगी।
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