जल प्रबन्धन की दृष्टि से अलवर में रियासत काल के दौरान अनेक सर, सरोवर, समन्द और सागर बनाए गए। उसी श्रृंखला में है – विजय सागर। अलवर-बहरोड़ मार्ग पर शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर सन् 1897 में एक छोटे बांध के रूप में इसका निर्माण कराया गया।
सन् 1903 में चूहड़सिद्ध की सहायक नदी को रोककर बांध को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया गया। आगे चलकर चूहड़सिद्ध नदी, चांदौली तथा भण्डवाड़ा नदियों के पानी को विजय सागर में डालने के लिए ट्रेनिंग बांध का निर्माण किया गया। विजय सागर के किनारे एक भव्य राजप्रासाद है जिसका नाम विजय मन्दिर है।