संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया

आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020

अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने वाले प्रावधानों के साथ आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 आज राज्यसभा में पारित कर दिया गया। इससे पहले, बिल को उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री दानवे रावसाहेब दादाराव द्वारा 14 सितम्‍बर, 2020 को लोकसभा में पेश किया गया था | यह विधेयक लोकसभा द्वारा 15 सितंबर,  2020 को पारित किया गया था। यह बिल 5 जून, 2020 को जारी अध्यादेश का स्थान लेता है और आवश्यक वस्तु विधेयक, 1955 में संशोधन करता है।

Read this article in English

आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020: पृष्ठभूमि

यद्यपि भारत में अधिकांश कृषि-वस्तुएं आवश्यकता से अधिक हो चुकी है, लेकिन किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश की कमी के कारण अच्छा मूल्य प्राप्त नहीं हो पा रहा हैं क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम के कारण उद्यमशीलता की भावना में कमी आ जाती है। किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है जबकि पैदावार बहुत अच्छी होती है, विशेष रूप से खराब होने वाली वस्तुओं के मामले में। इस कानून से कोल्ड स्टोरेज में निवेश को बढ़ावा देने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी। यह मूल्य स्थिरता लेकर आएगा जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। इससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल तैयार होगा और भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली कृषि उत्पादों की बर्बादी को भी रोका जा सकेगा।

आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 का उद्देश्य निजी निवेशकों के व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक विनियामक हस्तक्षेप वाली उनकी आशंकाओं को दूर करना है। उत्पादन, संचालन, स्थानांतरण, वितरण और आपूर्ति की स्वतंत्रता से अर्थव्यवस्थाओं कोबड़े पैमाने तक पहुंचाने में मदद मिलेगी और इससे निजी क्षेत्र/कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित होगा। यह कोल्ड स्टोरेज में निवेश और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के आधुनिकीकरण में सहायता करेगा।

आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020: प्रमुख बिंदु

एक्ट केंद्र सरकार को कुछ वस्तुओं के उत्पादन, सप्लाई, वितरण, व्यापार और वाणिज्य को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। बिल कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि करने का प्रयास करता है। इसमें प्रावधान किया गया है कि केवल असामान्य परिस्थितियों में मूल्य वृद्धि के आधार पर कृषि उत्पाद पर स्टॉक लिमिट लागू हो सकती है।

खाद्य पदार्थों का रेगुलेशन: एक्ट केंद्र सरकार को कुछ वस्तुओं (जैसे खाद्य पदार्थ, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पाद) को अनिवार्य वस्तुओं के रूप में निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है। केंद्र सरकार एक्ट के अंतर्गत ऐसी अनिवार्य वस्तुओं के उत्पादन, सप्लाई, वितरण, व्यापार और वाणिज्य को रेगुलेट या प्रतिबंधित कर सकती है। बिल में यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार केवल असामान्य परिस्थितियों में कुछ खाद्य पदार्थों, जैसे अनाज, दालों, आलू, प्याज, खाद्य तिलहन और तेलों की सप्लाई को रेगुलेट कर सकती है। इन परिस्थितियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) युद्ध, (ii) अकाल, (iii) असामान्य मूल्य वृद्धि, और (iv) गंभीर प्रकृति की प्राकृतिक आपदा।

स्टॉक लिमिट लागू करना: एक्ट के अंतर्गत केंद्र सरकार यह रेगुलेट कर सकती है कि कोई व्यक्ति किसी अनिवार्य वस्तु का कितना स्टॉक रख सकता है। बिल में यह अपेक्षा की गई है कि विशिष्ट वस्तुओं की स्टॉक की सीमा मूल्य वृद्धि पर आधारित होनी चाहिए। स्टॉक की सीमा निम्नलिखित स्थितियों में लागू की जा सकती है:

  • (i) अगर बागवानी उत्पाद के रीटेल मूल्य में 100% की वृद्धि होती है, और
  • (ii) नष्ट न होने वाले कृषि खाद्य पदार्थों के रीटेल मूल्य में 50% की वृद्धि होती है। वृद्धि की गणना, पिछले 12 महीने के मूल्य, या पिछले पांच वर्ष के औसत रीटेल मूल्य (इनमें से जो भी कम होगा) के आधार पर की जाएगी।

छूट: बिल में प्रावधान है कि कृषि उत्पाद के प्रोसेसर या वैल्यू चेन के हिस्सेदार व्यक्ति पर स्टॉक की सीमा लागू नहीं होगी, अगर उस व्यक्ति का स्टॉक निम्नलिखित से कम है:

  • (i) प्रोसेसिंग की इंस्टॉल्ड क्षमता की सीमा, या (
  • ii) निर्यातक की स्थिति में निर्यात की मांग। वैल्यू चेन के हिस्सेदार का अर्थ है, ऐसा व्यक्ति जो किसी भी चरण में उत्पाद के मूल्य संवर्धन में संलग्न है, फील्ड में उत्पादन से लेकर अंतिम उपभोग तक। इन चरणों में कृषि उत्पाद की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज, परिवहन या वितरण शामिल हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की एप्लिकेबिलिटी: बिल के खाद्य पदार्थों के रेगुलेशन और स्टॉक लिमिट को लागू करने से संबंधित प्रावधान सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित सरकारी आदेश पर लागू नहीं होंगे। इन प्रणालियों के अंतर्गत सरकार पात्र व्यक्तियों को रियायती कीमतों पर खाद्यान्न वितरित करती है।

संदर्भ:

  • बिल सारांश पीआरएस वेबसाइट से पुन: प्रस्तुत किया गया है | बिल सम्बंधित सामग्री PRS की ही है। – मूल स्तोत्र
  • PIB NEWS
error: © RajRAS