1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान:
राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान
क्रम | स्थापना वर्ष | राष्ट्रीय उद्यान | क्षेत्रफ़ल (वर्ग की. मी. ) | जिले |
1 | 1980 | रणथम्भौर | 282.3 | सवाई माधोपुर |
2 | 1981 | केवला देव घना | 28.73 | भरतपुर |
3 | 2004 | मुकुन्दरा हिल्स | कोटा, चित्तौड़गढ़ | |
3 | प्रस्तावित | सरिस्का | अलवर | |
4 | प्रस्तावित | राष्ट्रीय मरूउद्यान | जैसलमेर, बाड़मेर |
राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान: विस्तृत जानकारी
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान
- यह राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है |
- यह सवाई माधोपुर जिले में स्थित है और लगभग 392 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- सन् 1955 में अभयारण्य घोषित कर दिया गया |
- सन् 1973 में इसे टाईगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया हैं।
- इसे 1 नवम्बर 1980 को राष्ट्रीयउद्यान का दर्जा दिया गया।
- वर्तमान में इसका नाम राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया है।
- इस उद्यान में त्रि-गणेशजी का मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है।
- रणथम्भौर राष्ट्रीय पार्क में 6 झीलें हैं, ये- पदम तालाब, रामबाग, मलिक तालाब, मानसरोवर, लाहपुरा गिलाई सागर।
- यह उत्तर में बनास नदी और दक्षिण में चंबल नदी से घिरा है।
- रणथम्भौर के बाघ परियोजना क्षेत्र को रामगढ़ अभयारण्य (बूंदी) से जोड़ दिया गया है।
केवला देव (घना) राष्ट्रीय पक्षी उद्यान
- यह राज्य का दूसरा राष्ट्रीय उद्यान है।
- यह उद्यान भरतपुर जिले में गंभीरी व बाणगंगा नदियों के संगम पर स्थित है।
- 1956 में इसे अभयारण्य का दर्जा प्राप्त हुआ।
- 1981 में राष्ट्रीय द्यान घोषित किया गया और यूनेस्कों द्वारा वर्ष 1985 में इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया।
- यह राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य – रामसर कन्वेशन के अनुसार विश्व के नम भूमि क्षेत्रों में अंकित है।
- पानी के पक्षियों के लिए केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त पार्क है।
- पानी अजान बांध से प्राप्त होता है।
- विदेशी पक्षी प्रजातियों में मुख्य आकर्षण दुर्लभ, साइबेरियाई क्रेन (सारस) है। इसके अलावा गीज, सफेद मोर, पोचार्ड, लेपबिंग, बेगटेल एवं रोजी पेलीकन इत्यादि आते है। अभयारण्य स्थित पाईथन पोइन्ट पर अजगर देखे जा सकते हैं।
- झील के साथ-साथ भूमि पर भी कदम्ब और अकेशिया के पेड़ों के घने जंगल पक्षियों को आकर्षित करते हैं।
सरिस्का वन्यजीव अभ्यारण्य
- यह अभ्यारण्य राजस्थान का दूसरा बाघ परियोजना क्षेत्र है।
- इसे 1979 बाघ रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया।
- यह 492 वर्ग किमी. क्षेत्र में अलवर में विस्तृत है।
- 1982 में राज्य सरकार ने इसे राष्ट्रीयउद्यान घोषित करने की अधिसूचना जारी की थी |
राष्ट्रीय मरूउद्यान जैसलमेर :
- पश्चिमी राजस्थान के थार के मरूस्थल में 3162 वर्ग किलो. क्षेत्र में विस्तृत|
- 1962 वर्ग किमी. जैसलमेर में और
- 1200 किमी. बाड़मेर
- यह मरूउद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य में सबसे बड़ा अभ्यारण्य है।
- भारतीय वन जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पूर्ण संरक्षण प्राप्त राज्य पक्षी गोडावण इस अभ्यारण्य का मुख्य आकर्षण है।
मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान –
- मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया |
- इसमें मुकुन्दरा राष्ट्रीयउद्यान, दरा अभयारण्य, जवाहर सागर व चंबल घडिय़ाल अभयारण्य का कुछ भाग शामिल है।
- यह करीब 760 वर्ग किमी में चार जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौडगढ़़ में फैला है।
- यहां सांभर, नीलगाय, चीतल, हिरण ओर जंगली सूअर पाये जाते है।
- यह गागरोनी (हीरामन) तोतों के लिए प्रसिद्ध है।
- रिजर्व में 12वीं शताब्दी का गागरोन का किला, 17वीं शताब्दी का अबली मीणी का महल, पुरातात्विक सर्वे के अनुसार 8वीं-9वीं शताब्दी का बाडोली मंदिर समूह, भैंसरोडगढ़ फोर्ट, 19वीं शताब्दी का रावठा महल, शिकारगाह समेत कई ऐतिहासिक व रियासतकालीन इमारतें, गेपरनाथ, गरडिय़ा महादेव भी हैं, जो कला-संस्कृति व प्राचीन वैभव को दर्शाती हैं।
- मुकन्दरा की पर्वत श्रृंखलाओं में आदिमानव के शैलाश्रय व उनके द्वारा बनाये गये शैलचित्र मिले हैं।