बाड़मेर के पास हाथमां गांव के किराडू के मन्दिर राजस्थान के खजुराहो के रूप में विख्यात हैं। कहा जाता है कि 1161 ईसा पूर्व इस स्थान का नाम ‘किराट कूप’ था।
दक्षिण भारतीय शैली में बना किराड़ू का मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। करीब 1000 ई. में यहां पर पांच मंदिरों का निर्माण कराया गया। लेकिन इन मंदिरों का निर्माण किसने कराया, इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन मंदिरों की बनावट शैली देखकर लोग अनुमान लगाते है कि इनका निर्माण दक्षिण के गुर्जर-प्रतिहार वंश, संगम वंश या फिर गुप्त वंश ने किया होगा | खम्भों के सहारे निर्मित यह मंदिर भीतर से दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता है तो इसका बाहरी आवरण खजुराहो की कलात्मक प्रतिमाओं के समतुल्य है। काले व नीले पत्थर पर हाथी-घोड़े व अन्य आकृतियों की नक्काशी मंदिर की कलात्मक भव्यता को चार चांद लगाती है।
मंदिरों की इस श्रृंखला में सबसे बड़ा मंदिर शिव को समर्पित है। श्रृंखला का दूसरा मंदिर पहले से आकार में छोटा है। लेकिन यहां शिव की नहीं विष्णु की प्रधानता है। शेष मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। लेकिन बिखरा स्थापत्य अपनी मौजूदगी का एहसास कराता है।
किराडू मंदिर का स्थान
बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर हात्मा गांव में ये मंदिर है।