हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास वर्ष का पांचवा महीना होता है।अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जुलाई-अगस्त महीने में आता है।
राजस्थान में श्रावण मास में मनाये जाने वाले व्रत व त्यौहार निम्न है :
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
पंचमी – नाग पंचमी(राजस्थान) राजस्थान में नागपंचमी या नागपूजा का पर्व श्रावण मास की कृष्ण पंचमी के दिन मनाया जाता है। जबकि अन्य राज्यों में यह श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नाग-नागिन की चांदी या तांबे की प्रतिमा का पूजन अर्चन कर, नाग देवता को प्रसन्न किया जाता है। | द्वितीय – सिंजारा श्रावण शुक्ल द्वितीया को सिंजारा मनाया जाता है। इस त्यौहार में जिन लड़कियों की सगाई हो जाती है या नई विवाहिता को भी अपने ससुराल से सिंजारा मिलता है।सिंजारा में साड़ी, मेहंदी, लाख की चूड़ियां, लहरिया, अन्य श्रृंगार का सामन, मठरी, पंजीरी, मिठाई और विशेषकर घेवर शामिल होता है। |
एकादशी – कामिका एकादशी | तीज – हरियाली तीज सिंजारा के अगल दिन श्रावण शुक्ल तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस त्यौहार में महिलाएं सामूहिक रूप से देवी पार्वती की पूजा करती हैं। यह एक श्रृंगार दिवस है। इस दिन महिलाएं सजती संवरती हैं और झुला झूलती और लोकगीत गाती है। यह पर्व अच्छे दांपत्य जीवन, धन, सुख-समृद्धि और दीर्घायु जीवन के लिए मनाया जाता है। |
अमावस्या – हरियाली अमावस्या हरियाली अमावस्या का सम्बन्ध प्रकृति, पितृ, तथा शिव से है। इस दिन पीपल की पूजा की जाती है एवं वृक्षारोपण कर वृक्षों की देखभाल का संकल्प लिया जाता है। | एकादशी – श्रावण पुत्रदा एकादशी |
पूर्णिमा – रक्षाबंधन / नारियल पूर्णिमा यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है।इस दिन श्रवण कुमार की पूजा की जाती है। |
राजस्थान में श्रावण मास में आयोजित होने वाले मेले निम्न है :
कल्पवृक्ष मेला – हरियाली अमावस्या (मांगलियावास, अजमेर)
अजमेर शहर से 26 किमी. की दूरी पर ब्यावर की ओर स्थित मांगलियावास में दुर्लभ प्रजातियों के 800 वर्ष पुराने दो वृक्ष जो “कल्पवृक्ष” के नाम से लोकप्रिय हैं के पास प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या को मेला भरता है। इस दिन महिलाएं, कन्याएं व्रत रखकर इन वृक्षों की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये वृक्ष उन लोगों की इच्छाओं को पूरा करते हैं जो यहाँ प्रार्थना करते हैं। इस कारण देश भर से भक्तों की एक बड़ी संख्या में भीड़ यहाँ आती है।
गुरुद्वारा बुद्धा जोहड़ मेला, श्रीगंगानगर
बुद्धा जोहड़ श्रीगंगानगर में स्थित राजस्थान का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है। इसका निर्माण संत फतेहसिंह ने 1954 में करवाया था।यहाँ प्रतिवर्ष श्रावण मास की अमावस्या को मेला भरता है।
राजस्थान में श्रावण मास में लगने वाले मेले
मेला | स्थान | तिथि |
कल्पवृक्ष मेला | मांगलियावास, अजमेर | हरियाली अमावस्या |
गुरूद्वारा बुड्ढा जोहड़ मेला | गंगानगर | श्रावण अमावस्या |
चारभुजानाथ मेला | मेडता सिटी (नागौर) | श्रावण शुक्ला एकादशी से सात दिन तक |
वीरपुरी मेला | मंडोर (जोधपुर) | श्रावण शुक्ला अन्तिम सोमवार |
चंद्रप्रभु मेला | तिजारा, अलवर | फाल्गुन शुक्ला सप्तमी व श्रावण शुक्ला दशमी |
सैपऊ महादेव | सैपऊ, धौलपुर | फाल्गुन व श्रावण मास की चतुर्दशी को |