राजस्थान मानवाधिकार आयोग

राजस्थान मानवाधिकार आयोग

राजस्थान मानवाधिकार आयोग

मानव अधिकार

मानव अधिकार मानव के अधिकार हैं जो किसी व्यक्ति के मनुष्य के रूप में जीवन जीने के लिए आवश्यक है। यह हर व्यक्ति का नैसर्गिक या प्राकृतिक अधिकार है। इसके अंतर्गत जीवन, आज़ादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार आता है। इसके अतिरिक्त गरिमामय जीवन जीने का अधिकार, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक अधिकार भी इसमें शामिल हैं। भारतीय संविधान निर्माता मानव अधिकारों के प्रति सजग व संवेदनशील थे। परिणाम स्वरूप अनेक मानवाधिकारों को मूल अधिकारों में शामिल किया गया तथा उन्हें न्यायोचित प्रकृति का बनाया गया। जैसे – जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता का अधिकार।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

देश में मानव अधिकारों की रक्षा तथा संस्थागत व्यवस्थाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से संसद द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 पारित किया गया तथा राष्ट्रीय(केंद्रीय) स्तर पर ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ के रूप में एक वैधानिक निकाय की स्थापना की गई।

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राज्य मानवाधिकार आयोग

स्थापना – 18 जनवरी 1999
मुख्य कार्यालय – जयपुर

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2(1) के तहत विभिन्न राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसी संदर्भ में राजस्थान सरकार द्वारा 18 जनवरी 1999 को “राजस्‍थान राज्‍य मानव अधिकार आयेाग” के गठन के संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई। मार्च, 2000 से यह आयोग क्रियाशील हो गया।

संरचना

  • राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहु सदस्य निकाय है।
  • आरम्भ में आयोग में एक पूर्णकालिक अध्‍यक्ष एवं चार सदस्‍य रखे गये।
  • 2006 में संशोधन – मानव अधिकार संरक्षण (संशोधित) अधिनियम, 2006 के अनुसार राज्‍य मानव अधिकार आयोग में एक अध्‍यक्ष और दो सदस्‍य का प्रावधान किया गया।

अध्यक्ष – आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सेवानिवृत न्यायाधीश हो सकता है।

सदस्य

  • उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त या कार्यरत न्यायाधीश।
  • राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायधीश जिसे 7 वर्ष का अनुभव हो ।
  • मानव अधिकार के क्षेत्र की विशेषज्ञता व अनुभव रखने वाला व्यक्ति।

नियुक्ति

राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा होती है।

समिति में निम्न शामिल होते हैं:-

  • समिति अध्यक्ष – मुख्यमंत्री
  • सदस्य
    • गृहमंत्री
    • नेता विपक्ष( विधानसभा)
    • विधानसभा अध्यक्ष
    • राज्य में विधान परिषद हो तो विधान परिषद अध्यक्ष व विधान परिषद में नेता विपक्ष भी शामिल होते हैं।

वेतन व भत्ते

राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के वेतन व भत्ते तथा अन्य सेवा शर्तें राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है। एकबार नियुक्ति के पश्चात् उनके कार्यकाल के दौरान इनमें कोई लाभ कारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

पदावधि व पदमुक्ति

  • आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्य 3 साल या 70 वर्ष जो भी पहले हो तक पद पर बने रह सकते है। यही 70 वर्ष की आयु न हुई हो तो वे पुनरनियुक्ति के पात्र होते हैं।
  • आयोग के अध्यक्ष व सदस्य किसी भी समय अपना हस्तलिखित त्यागपत्र राज्यपाल को सौंपकर पदमुक्त हो सकते है।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है, लेकिन उन्हें पद से केवल राष्ट्रपति ही हटा सकता है।
  • कार्यकाल पूर्ण होने पर आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्य केंद्र अथवा राज्य सरकार के अधीन कोई सरकारी पद ग्रहण नहीं कर सकते हैं।
  • निम्न स्थितियों में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटाया जा सकता है:-
    • दिवालियापन
    • कार्यकाल के दौरान लाभ का सरकारी पद धारण करने पर
    • मानसिक रूप से अस्वस्थ
    • कदाचार व अक्षमता
    • शारीरिक दुर्बलता
    • नैतिक पतन।

वार्षिक प्रतिवेदन

  • आयोग वार्षिक प्रतिवेदन राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करता है।
  • राज्य सरकार प्रतिवेदन को विधानसभा में रखती है।
  • विधान सभा द्वारा सिफारिशों को अस्वीकार करने पर इसका कारण बताना पड़ता है।

आयोग के कार्य व शक्तियां

राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्य व शक्तियां राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग जैसी ही है। लेकिन इनका कार्यक्षेत्र सीमित है। राज्य मानवाधिकार आयोग मात्र उन मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन की जांच कर सकता है जो संविधान की राज्य सूची व समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं। आयोग का कार्य विशुद्ध रूप से सलाह कारी प्रकृति का है। इसे मानव अधिकार का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा देने का कोई अधिकार नहीं है। आयोग पीड़ित व्यक्ति को अपनी तरफ से कोई सहायता या मुआवजा नहीं दे सकता है।

  1. आयोग को एक दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती है तथा उसी के समान कार्यवाही करता है
  2. किसी मामले की सुनवाई के लिए राज्य सरकार या किसी अन्य पदाधिकारी को निर्देश दे सकता है।
  3. आयोग स्वयं प्रेरणा या पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत याचिका पर मानवाधिकार उल्लंघन की जांच करता है।
  4. राज्य सरकार के नियंत्रण आधीन जेल या अन्य संस्थानों का निरिक्षण कर शिफारिशें कर सकता है।
  5. मानवाधिकारों की रक्षा हेतु बनाए गए संवैधानिक व विधिक उपबंधों की समीक्षा करना तथा इनका प्रभाव कार्यान्वयन हेतु उपायों की सिफारिश करना।
  6. न्यायालय में लंबित किसी मानव अधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करना |
  7. आयोग के पास जांच हेतु स्वयं का एक अन्वेषण दल है जिसका मुखिया राजस्थान पुलिस की IG रैंक का अधिकारी होता है।
  8. पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति या नुकसान के भुगतान के लिए एवं तत्काल अंतरिम सहायता प्रदान कराने हेतु संबंधित सरकार या प्राधिकरण को सिफारिश कर सकता है।
  9. दोषी लोक सेवक के विरुद्ध कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए संबंधित सरकार या प्राधिकरण को सिफारिश कर सकता है।
  10. मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कार्य व प्रोत्साहन करना।
  11. मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ को सहयोग व प्रोत्साहन देना।

आयोग निम्न स्थितियों में जांच नहीं कर सकता है:-

  • अस्पष्ट शिकायत |
  • 1 वर्ष की अवधि से पूर्व का मामला |
  • सेना से संबंधित शिकायत |
  • आयोग के कार्य क्षेत्र से बाहर के मामले |
  • ऐसे मामले जिनकी जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या अन्य किसी विधिक निकाय द्वारा की जा रही है।

मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम (2019) द्वारा परिवर्तन:-

  1. पूर्व में राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही बन सकता था,परंतु संशोधन के पश्चात उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी अध्यक्ष पद हेतु पात्र है।
  2. आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष से घटाकर 3 साल कर दिया गया है तथा उन्हें पुनः नियुक्ति हेतु पात्र बनाया गया है।
  3. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के नियंत्रण आधीन सभी प्रशासनिक व वित्तीय शक्तियों का उपयोग आयोग का सचिव करेगा।

राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष

क्र. सं.अध्यक्षटिपण्णी
1जस्टिस कांता कुमारी भटनागरप्रथम अध्यक्ष व अध्यक्ष के रूप मे न्यूनतम कार्यकाल
2जस्टिस एस सगीर अहमद
3जस्टिस नागेंद्र कुमार जैनहिमाचल प्रदेश मानवाधिकार आयोग के भी अध्यक्ष रहे।
4जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यासवर्तमान – जनवरी 2021 से

सदस्य:

  1. जस्टिस अमर सिंह गोदारा
  2. आरके अकोदिया
  3. बीएल जोशी
  4. आलम साह खान
  5. नमो नारायण मीणा (सदस्य के रूप में न्यूनतम कार्यकाल)
  6. धर्म सिंह मीणा
  7. जस्टिस जगत सिंह
  8. पुखराज सीरवी (सदस्य के रूप मे सर्वाधिक कार्यकाल- 7 वर्ष )
  9. H R कुरी
  10. m.k देवराजन
  11. जस्टिस महेश चंद्र शर्मा
  12. महेश गोयल- वर्तमान मे सदस्य
    (वर्तमान मे सदस्य का एक पद खाली है)

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