बनास नदी

बनास नदी – सहायक नदियाँ, बाँध

बनास नदी राजस्थान की यमुना,वन की आशा अथवा वर्णशा भी कहलाती है। बनास नदी अरावली की खमनोर पहाड़ियों से निकलती है जो कुम्भलगढ़ से 5 किमी. दूर है। यह कुम्भलगढ़ से दक्षिण की ओर गोगुन्दा के पठार से प्रवाहित होती हुई नाथद्वारा, राजसंमद, रेल मगरा पार कर चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक जिले से होती हुई सवाई माधोपुर में चम्बल से मिलती है| बनास राज्य में पूर्णतः बहने वाली सबसे लम्बी नदी व सबसे अधिक जलग्रहण क्षेत्र वाली नदी है| बनास नदी के तट के टोडारायसिंह कस्बे के निकट बीसलपुर बाँध बनाया गया है।

Banas River of Rajasthan

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बनास नदी संक्षिप्त सारणी

उद्गम
अरावली की खमनोर पहाड़ियाँ
लम्बाई
512 किमी.
मुहाना
सवाई माधोपुर में रामेश्वर के निकट में चम्बल में
बहाव क्षेत्र
नाथद्वारा, राजसंमद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक, सवाई माधोपुर
दाईं और की प्रमुख सहायक नदियाँ
बेडच, मेनाल
बाईं और की प्रमुख सहायक नदियाँकोठरी, मांसी, खारी, मोरेल, धुन्ध, ढील, डाई
प्रमुख बाँध
बीसलपुर
त्रिवेणी संगमरामेश्वरम (सवाई माधोपुर): चंबल नदी-बनास नदी-सीप नदी
मेनाल (भीलवाड़ा): बनास नदी-मेनाल नदी- बेडच नदी

पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने अपने गहन ध्यान और तपस्या से इस नदी को स्वर्ग लोक से नीचे उतारा था। नदी के भविष्य के सन्दर्भ में चिंता प्रकट करते हुए जब ऋषि ने भगवान शिव से पूछा कि नदी हिमनद के जल के बिना कैसे जीवित रह पायेगी। तब भगवान् शिव ने इस नदी को अपना आशीर्वाद देते हुए कहा :- वन तुम्हारी रक्षा करेंगे और तुम बदले में तुम वनों का पोषण करोगी । मैं तुम्हारे जल प्रवाह को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्थानों पर तुम्हारे किनारो पर प्रकट होऊंगा। इसलिए नदी को नाम मिला: बन की आस जो बाद में बनास बन गई।

भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का संबंध बनास से है। परशुराम ने अपने पिता के आदेश पर अपनी माता रेणुकाजी की हत्या कर दी थी। उसके पश्चात् वह मोक्षप्राप्ति के लिए कई स्थानों पर गए तब उन्होंने देखा कि एक बछड़ा, जो एक आदमी को मारने पर काला हो गया था, बनास नदी में डुबकी लगाने के बाद फिर से सफेद हो गया। परशुराम ने भी ऐसा ही किया और अपने पाप से मुक्त हो गए।अब वह स्थान भीलवाड़ा जिले में आता है तथा मातृकुण्ड के नाम से जाना जाता है। इसे राजस्थान के हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है।

वीरों का मठ एक पवित्र स्थान है जो बनास के उद्गम से लगता है। कहा जाता है कि यहां परशुराम ने महाकाव्य महाभारत के दो नायकों करण और भीष्म को शस्त्र प्रशिक्षण दिया था।
बनास के उद्गम से लगभग 10 किमी दूर एक महत्वपूर्ण तीर्थ जार्गाजी स्थित है। जारगा जी मेघवाल समुदाय के प्रमुख देवता बाबा रामदेव के भक्त थे। भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ के पास जहाँ बेड़च और मेनाली नदियाँ बनास से मिलती त्रिवेणी धाम स्थित है।

टोंक जिले के गोकर्णेश्वर मंदिर के गोकरन महादेव का भी बहुत महत्व है। माना जाता है कि महाकाव्य रामायण के,लंकापति रावण ने इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी और उन्हें अपना सर काट कर समर्पित किया था।

सवाई माधोपुर का रामेश्वरम घाट एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, यहां चंबल में बनास का विलय होता है।

बनास नदी की सहायक नदियाँ-

बेड़च नदी

  • बेड़च नदी का प्राचीन नाम आयड़ नदी है।
  • बेडच नदी के किनारे प्राचीन आहड़ ताम्र युगीन सभ्यता मिली है|
  • इस नदी का उदगम उदयपुर के उत्तर में गोगुन्दा की पहाड़ियों से होता है।
  • अपने उद्गम से उदयपुर तक यह नदी आयड़ के नाम से जानी जाती है,किन्तु उदय सागर से निकलने के पश्चात इसका नाम बेड़च हो जाता है।
  • यह चित्तौड़गढ़ जिले में प्रवाहित होती हुई बीगाँद (माण्डलगढ-भीलवाडा) के निकट बनास में मिल जाती है।
  • सहायक नदियाँ- गंभीरी, गुजरी, वागन।
  • गंभीरी नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में विंध्यांचल की पहाड़ियों से होता है यह मुख्यरुप से चित्तौड़गढ़ में बहती हुई में बेडच में मिल जाती है।

बेड़च नदी संक्षिप्त सारणी

उद्गम
उदयपुर के उत्तर में गोगुन्दा की पहाड़ियाँ
लम्बाई
157 किमी.
मुहाना
बीगाँद (माण्डलगढ-भीलवाडा) के निकट बनास में
बहाव क्षेत्र
उदयपुर,चित्तौड़गढ़
प्रमुख सहायक नदियाँ
गंभीरी, गुजरी, वागन
प्रमुख बाँध
घोसुण्डा बाँध
उपस्थित सभ्यता स्थलआहड़ ताम्र युगीन सभ्यता
नदी संगम या किनारे पर बने दुर्गचित्तौड़गढ़ दुर्ग (गम्भीरी व बेडच के संगम स्थल के निकट पहाड़ी पर स्थित)

कोठारी नदी

  • कोठारी नदी राजसमंद जिले में देवगढ़ के निकट दिवेर नामक स्थान से निकलती है तथा रायपुर, मंडल, भीलवाड़ा और कोटड़ी की तहसीलों से होकर बहती हुई भीलवाड़ा जिले की कोटड़ी तहसील के नंदराई में बनास में मिल जाती है।
  • इस नदी पर मेजा बाँध बनाया गया है जो भीलवाडा जिले को पयेजल उपलब्ध कराता है।
  • भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील में कोठरी नदी के किनारे पर बागोर सभ्यता स्थल स्थित है।

कोठारी नदी संक्षिप्त सारणी

उद्गम
राजसमंद जिले में देवगढ़ के निकट दिवेर
लम्बाई
380 किमी.
मुहाना
भीलवाड़ा जिले की कोटड़ी तहसील के नंदराई में बनास में
बहाव क्षेत्र
भीलवाड़ा
प्रमुख सहायक नदियाँ
उपस्थित सभ्यता स्थल बागोर सभ्यता
प्रमुख बाँध
मेजा बाँध

खारी नदी

  • खारी नदी राजसमंद जिले के बीजराल गांव के पास की पहाड़ियों से निकलती है तथ देवगढ़ के समीप से होती हुई अजमेर जिले में बहने के पश्चात् देवली (टोंक) के पास बनास नदी में मिल जाती है।
  • भीलवाड़ा जिले में प्राप्त ओझियाना पुरातत्व स्थल इसी नदी के किनारे स्थित है।

मैनाल नदी

  • मैनाल नदी माण्डलगढ़ की पहाड़ियों(भीलवाड़ा) से निकलती है|

मानसी नदी

  • मानसी नदी भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ तहसील से निकलती है|
  • यह नदी भीलवाड़ा अजमेर तथा टोंक जिले में प्रवाहित होती है|
  • भीलवाड़ा जिले की शाहपुरा तहसील में यह खारी नदी में मिल जाती है|

मोरेल नदी

मोरेल नदी की एक शाखा जयपुर की बस्सी तहसील के धारला व चैनपुरा गांव के निकट पहाडियों से निकलती है तथा दूसरी शाखा दौसा जिले के पपलाज माताजी पर्वत की तलहटी के जलग्रहण क्षेत्र से पानी प्राप्त करके बनती है।

  • बहाव क्षेत्र – जयपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर
  • यह नदी पहले दक्षिण-पूर्व फिर दक्षिण-पश्चिम में बहती हुई ढूंढ नदी से संगम करती है। उसके बाद पुनः दक्षिण-पूर्व में बहती हुई जयपुर, दौसा से गुजरती है तथा अंत में सवाईमाधोपुर के हडोती गांव में बनास में मिल जाती है।
  • इसकी मुख्य नदी ढूँढ है।
  • दौसा व सवाईमाधोपुर की सीमा पर स्थित पिलुखेडा गांव में इस पर मोरेल बांध बना है।

ढूंढ नदी

  • ढूंढ नदी जयपुर(अचरोल) से निकलती है तथा जयपुर व दौसा में बहती हुई दौसा के लालसोट में यह मोरेल में मिल जाती है।
  • इस नदी क कारण ही जयपुर के आसपास का क्षेत्र ढूंढाड़ कहलाता है।

गंभीरी नदी

  • गंभीर नदी का उदगम मध्यप्रदेश में विंध्यांचल की पहाड़ियों से होता है।
  • यह मुख्यतया चित्तौड़गढ़ जिले में बहती है तथा इसका समापन चितौड़गढ़ के चटियावाली नामक स्थान पर बेडच नदी में मिलने से होता है।
  • इस नदी पर निंबाहेड़ा चितौड़गढ़ में मिट्टी से निर्मित गंभीरी बांध बनाया गया है।

माशी नदी

  • यह नदी किशनगढ़(अजमेर) की पहाड़ियों से निकलती है तथा अजमेर व टोंक जिले में बहती हुई टोंक के निकट बनास में मिल जाती है।
  • बाण्डी नदी माशी की सहायक नदी है जो जोधपुर से निकलती है तथा टोंक जिले में माशी में मिल जाती है।
  • सहोदरा नदी अजमेर जिले से निकलती है तथा टोंक जिले में माशी नदी में मिल जाती है।

ढील नदी

  • यह टोंक जिले के बावली गाँव से निकलती है तथा सवाईमाधोपुर जिले में बनास नदी में मिल जाती है।
  • टोंक जिले में प्राप्त रैढ़ पुरातत्व स्थल इसी नदी के किनारे स्थित है।
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