3 जून 1947 को भारत विभाजन की घोषणा की गई थी तब भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के 8वें अनुच्छेद में देशी रियासतों को आत्म निर्णय का अधिकार दिया गया था की वे भारत संघ या पाकिस्तान जिसमे चाहे उसमे विलय कर सकते है या स्वयं को स्वतंत्र भी घोषित कर सकते है।
राजस्थान का एकीकरण के लिए 5 जुलाई, 1947 को रियासत सचिवालय की स्थापना की गई थी। इसके अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल व सचिव वी.पी. मेनन थे। रियासती सचिव द्वारा रियासतों के सामने स्वतंत्र रहने के लिए दो शर्त रखी गईं। प्रथम, जनसंख्या 10 लाख से अधिक एवं दूसरा, वार्षिक आय 1 करोड़ से अधिक होनी चाहिये।
- तत्कालीन समय में इन शर्तों को पूरा करने वाली राजस्थान में केवल 4 रियासतें जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर थीं।
- स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व वर्तमान राजस्थान 19 देशी रियासतों एवं तीन ठिकानों में विभक्त था।
- 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तब डूंगरपुर, भरतपुर, जोधपुर तथा अलवर रियासतों ने किसी के साथ नहीं मिलकर स्वतंत्र रहने का निर्णय किया जबकि उदयपुर, कोटा तथा बीकानेर रियासतों ने भारत संघ के साथ मिलने का निर्णय लिया।
राजस्थान का एकीकरण
राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन् 1948 से आरंभ होकर सन् 1956 तक सात चरणों में सम्पन्न हुई। तत्कालीन राजपूताना की 19 रियासतों एवं तीन चीफशिप (ठिकानों) वाले क्षेत्रों को 7 चरणों में एकीकृत कर 30 मार्च 1949 को राजस्थान का गठन किया गया।
राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन या 3144 दिन लगे।
राजस्थान राज्य भौगोलिक आधार पर नौ क्षेत्रों में विभाजित है। जिनमें अजेयमेरु (अजमेर), हाड़ौती, ढूंढाड़, गोड़वाड़ (गोरवार), शेखावाटी, मेवाड़, मारवाड़, वागड़ और मेवात हैं।
प्रथम चरण: 18 मार्च 1948
मत्स्य संघ की स्थापना
सर्वप्रथम अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली रियासतों के एकीकरण से 18 मार्च 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना हुई, जिसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री नरहरि विष्णु गाडगिल (N.V. गाडगिल) ने किया। राजधानी अलवर तथा राजप्रमुख धौलपुर महाराजा श्री उदयभानसिंह बनाये गये। मत्स्य संघ का क्षेत्रफल करीब तीस हजार किमी. था। जनसंख्या लगभग 19 लाख और सालाना-आय एक करोड़ 83 लाख रुपये थी। जब मत्स्य संघ बनाया गया तभी विलय-पत्र में लिख दिया गया कि बाद में इस संघ का राजस्थान में विलय कर दिया जाएगा।
- मत्स्य संघ का नामकरण – K. M. मुंशी
- रियासतें – अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली
- ठिकाने – नीमराणा(अलवर)
- राजधानी – अलवर
- राजप्रमुख – उदयभान सिंह(धौलपुर)
- उपराजप्रमुख – गणेशपाल सिंह (करौली)
- प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत
- उपप्रधानमंत्री – जुगलकिशोर चतुर्वेदी
- उद्घाटनकर्ता – श्री नरहरि विष्णु गाडगिल (N.V. गाडगिल)
- उद्घाटन – लोहागढ़ (भरतपुर)
नरेंद्र मंडल के अध्यक्ष हमीदुल्ला खां अलवर,भरतपुर को मेवस्थान बनाना चाहते थे। स्वतंत्रता पश्चात् डूंगरपुर, भरतपुर, जोधपुर तथा अलवर रियासतों ने किसी के साथ नहीं मिलकर स्वतंत्र रहने का निर्णय किया था।
द्वितीय चरण: 25 मार्च 1948
राजस्थान संघ/ पूर्व राजस्थान का निर्माण
द्वितीय चरण में 25 मार्च 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड, टोंक, किशनगढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाडा एवं शाहपुरा रियासतों को मिलाकर पूर्व राजस्थान का निर्माण किया गया। कोटा को इसकी राजधानी तथा महाराव श्री भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री नरहरि विष्णु गाडगिल ने किया। बूंदी के महाराव बहादुर सिंह ने उदयपुर रियासत को मनाया और राजस्थान संघ में विलय के लिए राजी कर लिया। इसके पीछे मंशा यह थी कि बड़ी रियासत होने के कारण उदयपुर के महाराणा को राजप्रमुख बनाया जाएगा और बूंदी के महाराव बहादुर सिंह अपने छोटे भाई महाराव भीमसिंह के अधीन रहने की मजबूरी से बच जाएंगे और इतिहास के पन्नों में यह दर्ज होने से बच जाएगा कि छोटे भाई के राज में बड़े भाई ने काम किया। शाहपुरा और किशनगढ़ ने अजमेर- मेरवाड़ा में विलय का विरोध किया था तथा इन रियासतों को तोपों की सलामी का अधिकार नहीं था। विलयपत्र पर हस्ताक्षर के समय बांसवाड़ा महारावल चंद्रवीर सिंह ने कहा की “में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ”
- रियासत – डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, कोटा, बूंदी, टोंक, झालावाड़, किशनगढ़, शाहपुरा(9 रियासतें + 1 ठिकाना विलय)
- ठिकाना – कुशलगढ़(बांसवाड़ा)
- राजधानी – कोटा
- राजप्रमुख – महाराजा भीमसिंह (कोटा)
- वरिष्ठ राजप्रमुख – बहादुर सिंह (बूंदी)
- कनिष्ठ राजप्रमुख – लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
- प्रधानमंत्री – गोकुल लाल असावा
- उद्घाटनकर्ता – श्री नरहरि विष्णु गाडगिल (N.V. गाडगिल)
तृतीय चरण: 18 अप्रेल 1948
संयुक्त राजस्थान
राजस्थान के तीसरे चरण में पूर्व राजस्थान के साथ उदयपुर रियासत को मिलाकर 18 अप्रेल 1948 को नया नाम संयुक्त राजस्थान रखा गया, जिसकी राजधानी उदयपुर तथा मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को राजप्रमुख कोटा के महाराव भीमसिंह को उपराजप्रमुख बनाया गया। माणिक्य लाल वर्मा के नेतृत्व में बने इसके मंत्रिमंडल का गठन हुआ। इसका उद्घाटन 18 अप्रेल 1948 को उदयपुर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया।यह निर्णय लिया गया की विधानसभा का एक अधिवेशन प्रतिवर्ष कोटा में होगा। तथा कोटा के विकास हेतु विशेष प्रयास किये जायेंगे। मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को 20 लाख की प्रिवीपर्स प्रदान किया गया।एकीकरण के समय एकमात्र अपाहिज व्यक्ति उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह थे।
- संयुक्त राजस्थान – राजस्थान संघ + उदयपुर (10 रियासतें + 1 ठिकाना)
- राजधानी – उदयपुर
- राजप्रमुख – महाराणा भूपालसिंह(मेवाड़)
- वरिष्ठ राजप्रमुख – महाराजा भीमसिंह(कोटा)
- कनिष्ठ राजप्रमुख – बहादुर सिंह (बूंदी), लक्ष्मणसिंह (डूंगरपुर)
- प्रधानमंत्री – माणिक्यलाल वर्मा
- उपप्रधानमंत्री – गोकुललाल असावा
- उद्घाटनकर्ता – पंडित जवाहर लाल नेहरू
चतुर्थ चरण: 30 मार्च 1949
वृहत् राजस्थान
राजस्थान की एकीकरण प्रक्रिया के चौथे चरण में 14 जनवरी 1949 को उदयपुर में सरदार वल्लभभाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, लावा और जैसलमेर रियासतों को वृहद राजस्थान में सैद्धांतिक रूप से सम्मिलित होने की घोषणा की। बीकानेर रियासत ने सर्वप्रथम भारत में विलय किया। इस निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए 30 मार्च 1949 को जयपुर में आयोजित एक समारोह में वृहत राजस्थान का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया उन्होंने सिटी पैलेस (जयपुर) का भी उद्घाटन किया। इसकी राजधानी जयपुर तथा उदयपुर के महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख, जयपुर के महाराजा मानसिंह को राजप्रमुख तथा कोटा के महाराव भीमसिंह को उपराज प्रमुख बनाया गया। 30 मार्च को वृहत राजस्थान के अस्तित्व में आने के बाद सैद्धांतिक रूप से इस दिन को राजस्थान दिवस घोषित किया गया।
- राजस्थान दिवस – 30 मार्च
- वृहत राजस्थान – संयुक्त राजस्थान + जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर + लावा (ठिकाना)(14 रियासतें + 2 ठिकाने)
- राजधानी – जयपुर
- महाराजप्रमुख – महाराणा भूपालसिंह(उदयपुर, मेवाड़)
- वरिष्ठ राजप्रमुख – हनुवंत सिंह (जोधपुर) व भीमसिंह (कोटा)
- राजप्रमुख – सवाई मानसिंह (जयपुर)
- कनिष्ठ राजप्रमुख – जवाहर सिंह (बूंदी) व लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
- प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री
- उद्घाटन कर्ता – सरदार वल्लभ भाई पटेल
राजस्थान एकीकरण के चौथे चरण में राजस्थान में 5 विभाग स्थापित किये गए जो निम्न है :
- शिक्षा विभाग – बीकानेर
- न्याय विभाग – जोधपुर
- वन विभाग – कोटा
- कृषि विभाग – भरतपुर
- खनिज विभाग – उदयपुर
इस चरण में रियासतों को निम्न प्रकार प्रिवीपर्स दिया गया :
- जयपुर – 18 लाख
- जोधपुर – 17. 5 लाख
- बीकानेर – 17 लाख
- जैसलमेर – 1 लाख 80 हज़ार
चतुर्थ चरण से जुड़े कुछ बिंदु :
- जयपुर व जोधपुर में राजधानी बनाने को लेकर विवाद हो गया इसके समाधान हेतु सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पी. सत्यनारायण राव समिति गठित की जिसके सदस्य बी. आर. पटेल, कर्नल टी. सी. पूरी व एस. पि. सिन्हा थे। इस समिति ने जयपुर को राजधानी बनाने की सिफारिश की।
- राममनोहर लोहिया ने राजस्थान आंदोलन समिति का गठन किया इस समिति ने शेष रियासतों के शीघ्र विलय की मांग की थी।
पंचम चरण: 15 मई 1949
संयुक्त वृहद राजस्थान
शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर 15 मई 1949 को मत्स्य संघ का वृहद राजस्थान में विलय कर देने से संयुक्त विशाल राजस्थान का निर्माण हुआ। नीमराना को भी इसमें शामिल कर लिया गया। आर. के. सिहवा, प्रभुदयाल इस समिति के सदस्य थे। भरतपुर व धौलपुर के विरोध को देखते हुए जनता का विचार जानने के उद्देश्य से वल्लभभाई पटेल ने इस समिति का गठन किया था।
- संयुक्त वृहद राजस्थान – मत्स्य संघ + वृहद राजस्थान
- प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री
- राजप्रमुख – सवाई मानसिंह (जयपुर)
- राजधानी – जयपुर
षष्टम चरण: 26 जनवरी 1950
वर्तमान राजस्थान
राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया चल रही थी, तब सिरोही रियासत के शासक नाबालिग थे। इस कारण सिरोही रियासत का कामकाज दोबागढ की महारानी की अध्यक्षता में एजेंसी कौंसिल देख रही थी जिसका गठन भारत की सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया था। सिरोही रियासत के एक हिस्से आबू-देलवाडा को लेकर विवाद के कारण आबू देलवाडा सहित 89 गाँवों को बंबई प्रान्त(सौराष्ट्र, गुजरात, महाराष्ट्र) में मिला दिया गया। इसमें गोकुल लाल असावा का गाँव हाथळ भी शामिल था। इसके अतिरिक्त शेष रियासत 26 जनवरी 1950 को संयुक्त विशाल राजस्थान में विलय हो जाने पर इसका नाम ‘राजस्थान’ कर दिया गया। 26 जनवरी, 1950 को राजस्थान को ‘B’ या ‘ख’ श्रेणी का राज्य बनाया गया।
- राजस्थान संघ – वृहतर राजस्थान + सिरोही – आबु देलवाड़ा
- राजधानी -जयपुर
- महाराज प्रमुख – भूपालसिंह (मेवाड)
- राजप्रमुख – सवाई मानसिंह (जयपुर)
- प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री – हीरालाल शास्त्री (प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री)
राजस्थान के मनोनीत मुख्यमंत्री
- हीरालाल शास्त्री
- सी. एस. वेंकटाचारी (I.C.S)
- जयनारायण व्यास
नोट :
- A श्रेणी – वे राज्य जो पूर्व में प्रत्य्क्ष ब्रिटिश नियंत्रण में थे जैसे – बिहार, बंबई, मद्रास आदि इनके प्रमुख का पद गवर्नर का था।
- B श्रेणी – वे राज्य, जो स्वतंत्रता के बाद छोटी-बड़ी रियासतों के एकीकरण द्वारा बनाए गए थे ,जैसे -राजस्थान ,मध्य भारत आदि।
- C श्रेणी – ये वे छोटे छोटे राज्ये थे, जिन्हें ब्रिटिश काल में चीफ कमिश्नर के प्रान्त कहा जाता था। जैसे – अजमेर व दिल्ली
सप्तम चरण : 1 नवम्बर 1956
राजस्थान पुनर्गठन
राज्य पुनर्गठन आयोग 1955 (सदस्य – फजल अली, हृदयनाथ कुंजरु, के. एम्. पणिक्कर)की सिफारिशों के आधार पर 1 नवम्बर 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू हो जाने से अजमेर-मेरवाड़ा, आबू तहसील को राजस्थान में मिलाया गया। इस चरण में कुछ भाग इधर-उधर कर भौगोलिक और सामाजिक त्रुटि भी सुधारी गई। इसके तहत मध्यप्रदेश में शामिल हो चुके सुनेल टप्पा क्षेत्र को राजस्थान के झालावाड़ जिले में मिलाया गया और झालावाड़ जिले का सिरनौज को मध्यप्रदेश को दे दिया गया। राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया । इस अधिनियम के द्वारा अ, ब एवं स राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया तथा राजप्रमुख और महाराज प्रमुख पद का अंत हुआ व राज्यपाल पद का सृजन हुआ(7वां संविधान संशोधन)| अजमेर को 26वां जिला 1 नवम्बर 1956 में बनाया गया।
- पुनर्गठित राजस्थान – राजस्थान संघ + अजमेर मेरवाड़ा + आबू देलवाड़ा + सुनेल टप्पा – सिरनौज क्षेत्र
- मुख्यमंत्री – मोहनलाल सुखाड़िया
- राज्यपाल – गुरुमुख निहाल सिंह
एकीकरण से जुड़े मुख्य बिंदु :
- स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व वर्तमान राजस्थान 19 देशी रियासतों, तीन ठिकानों व एक चीफ कमिश्नर शासित C श्रेणी का राज्य अजमेर-मेरवाड़ा में विभक्त था।
- राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़(उदयपुर) थी। मेवाड़ रियासत की स्थापना 565 ई. में गुहिल वंश के बाप्पा रावल के द्वारा की गई थी। तथा राजस्थान की सबसे नवीन रियासत झालावाड थी इसे कोटा से अलग करके रियासत का दर्जा दिया गया और इसकी राजधानी पाटन रखी गयी। झालावाड़ अंग्रेजों के समय में स्थापित एकमात्र रियासत थी।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से मारवाड़ व जनसंख्या की दृष्टि से जयपुर सबसे बड़ी रियासत थी जबकि शाहपुरा क्षेत्रफल व जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से सबसे छोटी रियासत थी।
- राजस्थान में अधिकार रियासतें राजपूतों की ही थी। उस समय टोंक एकमात्र मुस्लिम रियासत थी तथा भरतपुर व धौलपुर जाटों की रियासत थी।
- बीकानेर नरेश सार्दुल सिंह विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजा थे। उन्होंने 7 अगस्त 1947 ई. को सर्वप्रथम रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया था। एकीकरण के समय सर्वाधिक धरोहर राशि जमा करवाने वाली रियासत बीकानेर थी।इसने 4 करोड़ 87 लाख की धरोहर राशि जमा करवाई थी।
- धौलपुर रियासत विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अंतिम रियासत थी। धौलपुर के शासक उदयभान सिंह ने 14 अगस्त 1947 को रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया।
- राजस्थान के एकीकरण का प्रथम प्रयास जनरल लिनलिथगो ने (लगभग 1940) किया था।
- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डुंगरपुर, टोंक व जोधपुर रियासतें राजस्थान में नही मिलना चाहती थी। टोंक व जोधपुर रियासतें एकीकरण के समय पाकिस्तान में मिलना चाहती थी।
- विलयपत्र पर हस्ताक्षर के समय बांसवाड़ा महारावल चंद्रवीर सिंह ने कहा की “में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ”
- जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह मोहम्मद अली जिन्ना से मिलने दिल्ली गए। वी.पी. मेनन हनुवंत सिंह को दिल्ली में बहाने से वायसराय भवन में माउंटबेटन के पास ले गए। जहाँ मजबूरन उन्हें राजस्थान के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने पड़े।
- अलवर रियासत का सम्बन्ध महात्मा गाँधी की हत्या से जुड़ा हुआ है। अलवर रियासत के शासक तेजसिंह के दीवान नारायण भास्कर खरे ने महात्मा गाँधी की हत्या के कुछ दिन पूर्व नाथूराम गोडसे व उसके सहयोगी परचुरे को अलवर में शरण दी थी ।महात्मा गांधी की हत्या के संदेह में अलवर के शासक तेजसिंह व दीवान एम.बी. खरे को दिल्ली में नजर बंद करके रखा गया था। अलवर रियासत ने भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था।
- अलवर, भरतपुर व धौलपुर रियासतें एकीकरण के समय भाषायी समानता के आधार पर उत्तरप्रदेश में मिलना चाहती थी।
- 1971 में हुए 26वे संविधान संशोधन में राजाओं को मिलने वाले प्रवीपर्स समाप्त कर दिये गये।
राजस्थान के शासकों द्वारा संघ बनाने के प्रयास
- राजस्थान यूनियन – मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह ने राजस्थान, गुजरात, और मालवा के छोटे बड़े राज्यों को मिलाकर एक बड़ी इकाई राजस्थान यूनियन बनाने के उद्देश्य से 1946 में उदयपुर में सम्मलेन आयोजित किया, किन्तु जयपुर, बीकानेर व जोधपुर रियासत ने इस यूनियन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
- राजपुताना संघ – जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने राजपुताना संघ बनाने का प्रयास किया किन्तु असफल रहे।
- हाड़ोती संघ – कोटा महाराव भीमसिंह कोटा, बूंदी और झालावाड राज्यों को मिलाकर वृहत्तर कोटा राज्य बनाना चाहते थे। किन्तु अविश्वास व अपना पृथक अस्तित्व बनाये रखने की महत्वाकांक्षा के कारण वे असफल रहे।
- बागड़ संघ – डूंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह ने डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, कुशलगढ़, लावा और प्रतापगढ़ के राज्यों को मिलाकर बागड संघ के निर्माण का प्रयास किया, किन्तु वह भी असफल रहे।
- सिरोही विलय – गुजरात (सरदार वल्लभ पटेल) और राजस्थान के नेता (गोकुल भाई पटेल) सिरोही को अपने-अपने क्षेत्रों में मिलान चाहते थे। इसलिए प्रारम्भ में सिरोही को राजपूताना एजेंसी से निकालकर गुजरात एजेंसी में मिलाया गया। बाद में हीरालाल शास्त्री, गोकुल भाई भट्ट, बलवंत सिंह मेहता (नेहरूजी का पटेल को पत्र) आदि के प्रयासों से सिरोही का राजस्थान में 2 बार में विलय हआ।
- अजमेर विलय – अजमेर पहला केन्द्रशासित प्रदेश था। इसका शासन 30 सदस्यीय धारासभा चलाती थी। इसके अध्यक्ष हरिभाऊ उपाध्याय थे। तत्कालीन काँग्रेस नेतृत्व (हरिभाऊ उपाध्याय) अजमेर को अलग राज्य बनाना चाहते थे, परन्त फजल अली आयोग ने काँग्रेस का छोटे राज्य का तर्क नकार दिया और अजमेर का राजस्थान में विलय किया।
राजस्थान का एकीकरण सारणी
चरण | प्रथम चरण | द्वितीय चरण | तृतीय चरण | चतुर्थ चरण | पंचम चरण | षष्टम चरण | सप्तम चरण |
तिथि | 18 मार्च 1948 | 25 मार्च 1948 | 18 अप्रेल 1948 | 30 मार्च 1949 | 15 मई 1949 | 26 जनवरी 1950 | 1 नवम्बर 1956 |
नाम | मत्स्य संघ | राजस्थान संघ | संयुक्त राजस्थान | वृहत् राजस्थान | संयुक्त वृहद राजस्थान | वर्तमान राजस्थान | राजस्थान पुनर्गठन |
शामिल रियासतें व ठिकाने | अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, नीमराणा(ठिकाना) | कोटा, बूंदी, झालावाड, टोंक, किशनगढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाडा, शाहपुरा, कुशलगढ़(ठिकाना) | राजस्थान संघ + उदयपुर (10 रियासतें + 1 ठिकाना) | संयुक्त राजस्थान + जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर + लावा (ठिकाना)(14 रियासतें + 2 ठिकाने) | मत्स्य संघ + वृहद राजस्थान | वृहतर राजस्थान + सिरोही – आबु देलवाड़ा | राजस्थान संघ + अजमेर मेरवाड़ा + आबू देलवाड़ा + सुनेल टप्पा – सिरनौज क्षेत्र |
प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री | शोभाराम कुमावत | गोकुल लाल असावा | माणिक्यलाल वर्मा | हीरालाल शास्त्री | हीरालाल शास्त्री | हीरालाल शास्त्री | मोहनलाल सुखाड़िया |
राजप्रमुख(राजधानी) | उदयभान सिंह(धौलपुर) | महाराजा भीमसिंह (कोटा) | महाराणा भूपालसिंह(मेवाड़) | सवाई मानसिंह (जयपुर) | सवाई मानसिंह (जयपुर) | सवाई मानसिंह (जयपुर) | राजप्रमुख का पद समाप्त कर राज्यपाल नियुक्त गुरुमुख निहाल सिंह(राज्यपाल) |
टिप्पणी | नामकरण – K.M. मुंशी उद्घाटनकर्ता – श्री नरहरि विष्णु गाडगिल (N.V. गाडगिल) | उद्घाटनकर्ता – श्री नरहरि विष्णु गाडगिल (N.V. गाडगिल) | उद्घाटनकर्ता – पंडित जवाहर लाल नेहरू | उद्घाटन कर्ता – सरदार वल्लभ | शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ का वृहद राजस्थान में विलय | राजस्थान को ‘B’ या ‘ख’ श्रेणी का राज्य बनाया गया। | राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर 7वे संविधान संशोधन से राज्यों की श्रेणियां समाप्त |