सहकारिता का अर्थ व परिचय
सहकारिता दो शब्दों सह + कारिता से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- मिलजुल कर कार्य करना। व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा किसी साझा लक्ष्य (मुख्यतः आर्थिक) की प्राप्ति हेतु सहयोग करना सहकार कहलाता है। समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिये अनेक व्यक्तियों या संस्थाओं को सम्मिलित रूप से सहकारी संस्था कहते हैं। उदाहरण के तौर पर “अमूल” भारत में सहकारिता की एक प्रमुख मिसाल है जो कि एक सहकारी संस्था ” गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन” द्वारा संचालित है।
सहकारी आंदोलन
- विश्व में सर्वप्रथम सहकारी आंदोलन की शुरुआत जर्मनी से हुई, रॉबर्ट ओवेन को सहकारी आंदोलन का जनक माना जाता है।
भारत में सहकारी आंदोलन का इतिहास
भारत में सहकारी आंदोलन का इतिहास एक शताब्दी से भी पुराना है। सन 1900 में वायसराय लॉर्ड कर्जन के काल में भारतीय अकाल आयोग (तृतीय) का गठन किया गया। इस आयोग ने सरकार को सहकारी समितियों की स्थापना को लेकर रिपोर्ट दी। इसके परिणाम स्वरूप सर एडवर्ड लॉ समिति का गठन किया गया, जिसने 1903 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति की सिफारिशों पर 1904 ईस्वी में “सहकारी ऋण समिति अधिनियम” पारित किया गया। इस अधिनियम ने भारत में सहकारिता के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इसके बाद भारत में निरंतर सहकारी संस्थाओं का विकास जारी रहा। इसी कड़ी में सन्1982 में ‘नाबार्ड’ की स्थापना की गई जो सहकारी बैंकों की शीर्ष विनियामक संस्था है तथा सन् 2011 में 97th संविधानिक संशोधन द्वारा सहकारी संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
राजस्थान में सहकारी आंदोलन
नारा – एक सबके लिए सबके लिए एक
उद्देश्य – सहकारिता आन्दोलन का ध्येय किसानो, श्रमिको शिल्पकारों, लघु-व्यवासियों तथा विविध स्तरों पर उत्पादक गतिविधियों में संलग्न जनसाधारण को बिचौलियों के शोषण से मुक्त कराते हुए, उनकी पारस्परिक सहयोग पर आधारित सामूहिक आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित कर,उनका आर्थिक,सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करना, उन्हें उनके श्रम एवं उत्पाद का उचित मूल्य उपलब्ध कराना, इनके साथ ही उपभोक्ता को भी उचित मूल्य पर गुणवक्तायुक्त वस्तुए उपलब्ध करवाना तथा इसके माध्यम से एक शोषण मुक्त ,स्वावलंबी एवं सशक्त आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था करना है, ताकि राज्य की सर्वतोन्मुखी प्रगति सुनिश्चित की जा सके।
- राज्य में सर्वाधिक सहकारी समितियां– जयपुर
- राज्य में न्यूनतम सहकारी समितियां-सिरोही
राजस्थान में सहकारी आंदोलन की शुरुआत सन 1904 में अजमेर से हुई।1904 में ही डीग(भरतपुर)में राज्य के प्रथम सहकारी कृषि बैंक की स्थापना की गई। सन 1904 में भारत सरकार द्वारा “सहकारी ऋण समिति अधिनियम” पारित किया गया। इसके पश्चात 25 अक्टूबर 1905 को भिनाय(अजमेर)में राज्य की प्रथम सहकारी समिति की स्थापना की गई। 1910 में अजमेर में ही प्रथम केंद्रीय सहकारी बैंक की शुरुआत की गई। “सहकारी ऋण समिति अधिनियम” पारित होने के बाद राज्य में अनेक देसी रियासतों ने भी सहकारी कानूनों का निर्माण कर उन्हें लागू किया।
- 1915- भरतपुर (राज्य मे सर्वप्रथम)
- 1916- कोटा
- 1926- बीकानेर
- 1934 – अलवर
- 1938 – जोधपुर
- 1944 – जयपुर
उदयपुर, करौली, धौलपुर, झालावाड़, बूंदी आदि रियासतों में भी स्वतंत्रता से पूर्व ही सहकारी कानूनों का निर्माण हो चुका था। स्वतंत्रता के पश्चात 1953 ईस्वी में राज्य में ‘सहकारी समिति विधेयक’ पारित किया गया। यह राज्य का प्रथम सहकारिता कानून था। वर्तमान में राज्य में सहकारिता कानून 2001 लागू है, जिसे 14 नवंबर 2002 से राज्य में लागू किया गया था।
राजस्थान में प्रमुख सहकारी संस्थाएं:
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार राज्य में वर्तमान में सहकारी क्षेत्र में शीर्ष स्तर पर 29 केंद्रीय सहकारी बैंक, 23 दुग्ध संघ, 38 उपभोक्ता थोक भंडार, 36 प्राथमिक भूमि विकास बैंक तथा 7094 प्राथमिक कृषि साख समितियां संचालित है।
राज्य की प्रमुख सहकारी संस्थाएं निम्न हैं:-
(1) राजस्थान राज्य सहकारी बैंक
- स्थापना – 1953
- मुख्यालय -जयपुर
- कार्य – ग्रामीण व कृषक समुदाय को केंद्रीय सहकारी बैंकों व सहकारी समितियों के माध्यम से अल्पकालिक कृषि व गैर कृषि ऋण उपलब्ध करवाना। यह राज्य के सभी सहकारी बैंकों की शीर्षस्थ(apex)संस्था है।
(2) राजस्थान राज्य सहकारी संघ
- स्थापना -1957
- मुख्यालय -जयपुर
- यह राज्य की शीर्ष सहकारी संस्था है तथा एकमात्र राज्य स्तरीय वैधानिक संस्था है।
- कार्य – सहकारिता का प्रचार प्रसार व शिक्षण प्रशिक्षण प्रदान करना।
(3) राजस्थान राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड(RAJFED)
- स्थापना -1957
- मुख्यालय – जयपुर
- कार्य -सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को खाद बीज व कीटनाशक उपलब्ध करवाना। राजफैड द्वारा जयपुर( झोटवाड़ा) में सहकारी कीटनाशक फैक्ट्री तथा पशु आहार कारखाना संचालित है।
(4) राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड(CONFED)
- स्थापना– 1967
- मुख्यालय-जयपुर
- कार्य– उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध करवाना।
(5) राजस्थान जनजातीय क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ(राजस संघ)
- स्थापना -1976
- मुख्यालय – उदयपुर
- कार्य-जनजातीय लोगों को ऋण उपलब्ध करवाना व उनकी वन उपज का उचित मूल्य प्रदान करना।
(6) राजस्थान राज्य सहकारी दुग्ध संघ लिमिटेड(RCDF)
- स्थापना-1977
- मुख्यालय-जयपुर
- कार्य– दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य प्रदान करना। यह राज्य की सभी सहकारी डेयरी की नियंत्रक संस्था है।
- प्रमुख डेरिया –
- (1)वेस्टर्न राजस्थान मिल्क यूनियन लिमिटेड(Wrmul)- जोधपुर
- (2)उत्तरी राजस्थान मिल्क यूनियन लिमिटेड(Urmul)-बीकानेर
- (3) गंगानगर मिल्क यूनियन लिमिटेड (gangmul) – गंगानगर।
(7) राजस्थान राज्य सहकारी तिलहन, उत्पादन संघलिमिटेड( तिलम संघ)
- स्थापना-1990
- मुख्यालय-जयपुर
- कार्य– राज्य में तिलहन व खाद्य तेलों के क्षेत्र में शीर्षस्थ संस्था। तिलम संघ का RAJFED में विलय प्रायोजित है।
(8) राजस्थान राज्य सहकारी कताई एवं बुनाई संघ लिमिटेड(SPINFED)
- स्थापना -1993
- मुख्यालय -जयपुर
- कार्य – राज्य में कपास की खरीद व सहकारी कताई मिलों का संचालन। SPINFEDराज्य में 3 सहकारी कताई मिलों का संचालन करती है।
- (1) राजस्थान सहकारी कताई मिल-गुलाबपुरा(भीलवाड़ा)
- (2) गंगापुर सहकारी कताई मिल-भीलवाड़ा
- (3) श्री गंगानगर सहकारी कताई मिल हनुमानगढ़
(9) राजस्थान राज्य सहकारी शिक्षा व प्रबंधन संस्थान
- स्थापना -1994
- मुख्यालय -जयपुर
- कार्य -सहकारिता क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों व अधिकारियों को प्रशिक्षण व प्रदान करना।
सहकारिता से संबंधित अन्य तथ्य:-
- सहकारिता के क्षेत्र में किसान साख पत्र वितरित करने वाला देश का प्रथम राज्य –राजस्थान
- राजपूताना महिला नागरिक सहकारी बैंक
- स्थापना-1995
- मुख्यालय- जयपुर
- राजस्थान का प्रथम भूमि बंधक बैंक-अजमेर(1924)
- महिला मिनी बैंक योजना
- शुरुआत-2001(अकोला गांव जालौर)
- राज्य में सहकारी साख व्यवस्था को सुदृढ करने हेतु गठित समिति-वैद्यनाथन समिति
- नेफेड द्वारा राज्य में सहकारी क्षेत्र का प्रथम जीवाणु खाद कारखाना– भरतपुर
- सहकारिता क्षेत्र में किसान क्रेडिट कार्ड वितरित करने वाला पहला राज्य-राजस्थान।
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