ऊँट रेगिस्तानी पारिस्थतिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। ‘रेगिस्तान का जहाज’ के नाम से प्रसिद्ध इस पशु ने अपनी अनूठी जैव-भौतिकीय विशेषताओं के कारण यह शुष्क एवं उर्द्ध शुष्क क्षेत्रों की विषमताओं में जीवनयापन की अनुकूलनता का प्रतीक बन गया है। भारत के समस्त ऊंटों (2.5 लाख) का 85.2 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है। तथा राजस्थान की कुल पशु-सम्पदा में ऊँटों की संख्या 0.36 प्रतिशत है।
राजस्थान के ऊँट
राजस्थान के ऊँट से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु
- राजस्थान सरकार ने 30 जून 2014 को ऊँट को राजस्थान के राज्य पशु का दर्जा दिया था। जिसकी घोषणा 19 सितम्बर 2014 को बीकानेर में की गई।
- राजस्थान में सर्वाधिक ऊँटों वाला जिला बाड़मेर तथा सबसे कम ऊँटों वाला जिला प्रतापगढ़ है।
- राजस्थान में ऊँटों की नस्लें – गोमठ ऊँट, नाचना ऊँट, जैसलमेरी ऊँट, अलवरी ऊँट, सिंधी ऊँट, कच्छी ऊँट, बीकानेरी ऊँट
- राजस्थान के लोकदेवता पाबूजी को ऊंटो का देवता भी कहते है।
- राजस्थान में ऊँट पालने के लिए रेबारी जाति प्रसिद्ध है।
- ऊँट की खाल पर की जाने वाली कलाकारी को उस्ता कला तथा ऊंट की खाल से बनाये जाने वाले ठण्डे पानी के जलपात्रों को काॅपी कहा जाता है।
- ऊंटनी के दूध में भरपुर मात्रा में Vitamin-C पाया जाता है। बीकानेर में स्थित उरमूल डेयरी भारत की एकमात्र ऊँटनी के दूध की डेयरी है।
- गोरबंद राजस्थान का ऊँट श्रृंगार का गीत है।
- ऊँट के नाक में डाले जाने वाला लकड़ी का बना आभूषण गिरबाण कहलाता है।
- गंगासिंह ने पहले विश्वयुद्ध में ‘गंगा रिसाला’ नाम से ऊंटों की एक सेना बनाई थी जिसके पराक्रम को (पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में) देखते हुए बाद में इसे बीएसएफ में शामिल कर लिया गया। आजकल उष्ट्र कोर भारतीय अर्द्ध सैनिक बल के अन्तर्गत सीमा सुरक्षा बल का एक महत्वपूर्ण भाग है।
- ऊंटनी के दूध की एकमात्र डेयरी बीकानेर में स्थित है।
राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र
शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों के समाजार्थिक विकास में ऊँटों के महत्व को अनुभव करते हुए भारत सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप के अधीन ) के अधीन बीकानेर में उष्ट्र परियोजना निदेशालय की स्थापना 5 जुलाई, 1984 को की थी। यह केन्द्र बीकानेर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जोड़बीड़ क्षेत्र में स्थित है जिसे 20 सितम्बर, 1995 को क्रमोन्नत कर राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र का नाम दिया गया है।
राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र का उद्देश्य
- भिन्न-भिन्न कृषि पद्धतियों से प्रभावित होते हुए उष्ट्र उत्पादन एवं स्वास्थ्य हेतु आधारभूत तथा प्रायोगिक अनुसंधान करना
- भारत में उष्ट्र आनुवंशिक संसाधनों का आधार-रेखीय सर्वेक्षण करना
- भारवाहकता पर अनुसंधान करना
- उष्ट्र- दुग्ध उत्पादन क्षमता पर अनुसंधान करना
- जनन क्षमता सुधार हेतु अनुसंधान करना
- सजगता, निगरानी एवं नियत्रंण उपायों द्वारा उष्ट्र रोगों का प्रबंधन
- उपयुक्त पोषण द्वारा उत्पादकता बढ़ाने हेतु अनुसंधान करना
- ऊँटों के प्रतिरक्षा तन्त्र पर अनुसंधान करना तथा इसकी मानव रोगों के निदान एवं उपचार हेतु उपयोगिता का पता लगाना
- प्रौद्योगिकी वैधता और ऊँट पालकों के समाजार्थिक स्तर पर इसके प्रभावों का अध्ययन करना
- ऊँट अनुसंधान और विकास हेतु सूचना संग्रहक के रूप में कार्य करना
- राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों के साथ सहयोग करना
- उष्ट्र पालन एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधनों का विकास करना
राजस्थान के ऊँट की प्रमुख नस्ले
राजस्थान में पाई जाने वाली ऊँट की प्रमुख नस्ले इस प्रकार है:
बीकानेर ऊँट
- बीकानेरी नस्ल भारत की एक प्रमुख ऊँट नस्ल है। इस नस्ल का नाम ‘बीकानेर’ शहर से लिया गया है। यह अपनी श्रेष्ठ भारवहन क्षमता के लिए जाना जाता है ।
- प्रमुख क्षेत्र – यह नस्ल राजस्थान के श्री गंगानगर, चुरू, झूंझनू, सीकर एवं नागौर तथा सीमा से लगे हरियाणा एवं पंजाब राज्यों में भी पायी जाती है।
जैसलमेरी ऊँट
- जैसलमेरी ऊँट स्वभाव से फुर्तीले एवं पूर्ण ऊँचाई व पतली टांगों वाले होते हैं।
- प्रमुख क्षेत्र – यह नस्ल रेतीले धोरे वाले क्षेत्रों जैसलमेर, बाड़मेर एवं जोधपुर जिले में पाए जाते है।
मेवाड़ी ऊँट
- इस नस्ल ने अपना नाम मेवाड़ क्षेत्र से प्राप्त किया है जहां ये बहुतायत पाए जाते हैं।
- ऊँट की यह नस्ल अपनी दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।
- ये ऊँट हल्के भूरे या सफेद रंग के होते हैं।
- प्रमुख क्षेत्र – इस नस्ल का प्रमुख निवास क्षेत्र राजस्थान के उदयपुर, चित्तौडगढ़, राजसमन्द जिले हैं। किन्तु यह भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपूर जिलों तथा राजस्थान के हाड़ौती में भी देखे जा सकते हैं ।
नांचना ऊँट
- राजस्थान में नाचना ऊँट सर्वाधिक जैसलमेर में पाया जाता है।
- यह ऊँट सबसे सुन्दर ऊँट माना जाता है।
- सवारी व तेज दौड़ने की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऊंट।
- BSF जवानो के पास यही ऊँट मिलता है।
गोमठ ऊँट
- गोमठ ऊंट सर्वाधिक जोधपुर की फलोदी तहसिल में पाया जाता है।
- गोमठ ऊँट सवारी /भारवाहक हेतु प्रसिद्ध माना जाता है।
ऊँट में पाए जाने वाले रोग
- सर्रा
- मेंज (पॉ) रोग
- थनैला