राजस्थान के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है जिसमें जन जातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणनानुसार इस क्षेत्र की जनसंख्या 64.64 लाख है जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.52 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत हैं।
भारतीय संविधान में अनुसूचित क्षेत्र
भारतीय संविधान की धारा 244(1) की 5वीं अनुसूची के पैराग्राफ 6(1) के अनुसार ‘अनुसूचित क्षेत्र’ अभिव्यक्ति का अर्थ ऐसे क्षेत्रों से है जिसे राष्ट्रपति अपने आदेश से अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकते हैं। संविधान की अनुसूची 5 के पैराग्राफ 6/(2) के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी समय राज्य के राज्यपाल की सलाह के बाद एक राज्य में किसी अनुसूचित क्षेत्र में वृद्धि का आदेश दे सकते हैं, किसी राज्य और राज्यों के संबंध में इस पैराग्राफ के अंतर्गत जारी आदेश और आदेशों को राज्य के राज्यपाल की सलाह से निरस्त कर सकते हैं और अनुसूचित क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने के लिए नया आदेश दे सकते हैं।
पांचवी अनुसूची के क्षेत्र रखने वाले राज्य:
वर्तमान में, 10 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान और तेलंगाना में पांचवी अनुसूची के राज्य हैं ।
राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण
19 मई 2018 की अधिसूचना के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र में राज्य के 8 जिलों को सम्मिलित किया गया हैं |
- सम्पूर्ण अनुसूचित क्षेत्र जिले: बांसवाडा, डूंगरपुर व प्रतापगढ |
- आंशिक अनुसूचित क्षेत्र जिले: उदयपुर, सिरोही, राजसमन्द, चित्तौडगढ़ तथा पाली |
अनुसूचितक्षेत्र में सम्मिलित 8 जिलों में बांसवाडा, डूंगरपुर व प्रतापगढ सम्पूर्ण जिले, उदयपुर की 8 पूर्ण तहसीलें एवं तहसील गिर्वा के 252, तहसील वल्लभनगर के 22 व तहसील मावली के 4 गांव, सिरोही जिले की आबूरोड तहसील एवं तहसील पिंडवाड़ा के 51 गांव, राजसमन्द जिले की नाथद्वारा तहसील के 15 व तहसील कुम्भलगढ़ के 16 गांव, चित्तौडगढ़ जिले की बड़ीसादड़ी तहसील के 51 गांव, तथा पाली जिले की बाली तहसील के 33 गांव सम्मिलित है। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग
भारतीय संविधान की अनुसूची 5 में अनुसूचित जनजातियों एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण हेतु राज्य की कार्यपालिका की शक्तियों का विस्तार किया गया है, इन्ही शक्तियों के आधार पर राजस्थान में जनजाति समुदाय के समग्र विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1975 में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की स्थापना की गयी। जिससे एक समन्वित और सुनियोजित तरीके से अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिये कार्यक्रमों के विकास के लिये कार्यक्रमों की समग्र नीति, योजना और समन्वय किया जा सकें। जनजाति विकास की योजनाओं के निर्माण, क्रियान्वयन एवं प्रबोधन के लिये जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग का मुख्यालय उदयपुर में स्थित है।