यह सभ्यता स्थल वर्तमान हनुमानगढ़ जिले में सरस्वती-दृषद्वती नदियों के तट पर बसा हुआ था, जो 2400-2250 ई. पू की संस्कृति की उपस्थिति का प्रमाण है। कालीबंगा की खोज एक इतालवी इंडोलॉजिस्ट और भाषाविद् लुइगी पियो टेसिटोरी (Luigi Pio Tessitori) ने की थी। स्वतंत्रता के बाद, सर्वप्रथम इसकी खुदाई 1952 ई. में अमलानन्द घोष द्वारा तथा 1961-1969 में ब्रजवासी लाल (बी.वी.लाल) व बालकृष्ण थापर (बी.के. थापर) द्वारा की गयी। कालीबंगा से पूर्व-हड़प्पाकालीन, हड़प्पाकालीन और उत्तर हड़प्पाकालीन साक्ष्य मिले है।
कालीबंगा में तीन टीले प्राप्त हुये हैं।
- KLB1 – पश्चिम में छोटा
- KLB2- मध्य में बड़ा
- KLB3 – पूर्व में सबसे छोटा
इनमें पूर्वी टीला नगर टीला है, जहाँ से साधारण बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। पश्चिमी टीला दुर्ग टीले के रूप में है। दोनों टीलों के चारों ओर भी सुरक्षा प्राचीर बनी हुई थी।
नगर योजना
- कालीबंगा की नगर योजना सिन्धु घाटी की नगर योजना के अनुरूप दिखाई देती है।
- पत्थर के अभाव के कारण दीवारें कच्ची ईंटों से बनती थी और इन्हें मिट्टी से जोड़ा जाता था।
- यहाँ संभवतः धूप में पकाई गई ईंटों का प्रयोग किया जाता था।
- व्यक्तिगत और सार्वजनिक नालियाँ तथा कूड़ा डालने के मिट्टी के बर्तन नगर की सफाई की असाधारण व्यवस्था के अंग थे।
- कालीबंगा से पानी के निकास के लिए लकड़ी व ईंटों की नालियाँ बनी हुई मिली हैं।
कृषि
- पूर्व-हड़प्पाकालीन स्थल से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं, जो संसार में प्राचीनतम हैं।
- ताम्र से बने कृषि के कई औजार भी यहाँ की आर्थिक उन्नति के परिचायक हैं।
ताँबे के औजार व मूर्तियाँ
- कालीबंगा में उत्खन्न से प्राप्त अवशेषों में ताँबे (धातु) से निर्मित औज़ार, हथियार व मूर्तियाँ मिली हैं, जो यह प्रकट करती है कि मानव प्रस्तर युग से ताम्रयुग में प्रवेश कर चुका था।
- इसमें मिली तांबे की काली चूड़ियों की वजह से ही इसे कालीबंगा कहा गया।
मुहरें
- कालीबंगा से सिंधु घाटी (हड़प्पा) सभ्यता की मिट्टी पर बनी मुहरें मिली हैं, जिन पर वृषभ व अन्य पशुओं के चित्र व र्तृधव लिपि में अंकित लेख है जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। वह लिपि दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी।
लिपि
- यहाँ से प्राप्त मिट्टी के बर्तनों और मुहरों पर जो लिपि अंकित पाई गई है, वह सैन्धव लिपि से मिलती-जुलती है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
धर्म संबंधी अवशेष
- यहाँ से धार्मिक प्रमाण के रूप में अग्निवेदियों के साक्ष्य मिले है।
- मुअनजोदड़ो व हड़प्पा की भाँति कालीबंगा से मातृदेवी की मूर्ति नहीं मिली है। इसके स्थान पर आयाताकार वर्तुलाकार व अंडाकार अग्निवेदियाँ तथा बैल, बारसिंघे की हड्डियाँ यह प्रकट करती है कि यहाँ का मानव यज्ञ में पशु-बलि भी देता था।
- कालीबंगा के निवासियों की मृतक के प्रति श्रद्धा तथा धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने वाली तीन समाधियाँ मिली हैं।
दुर्भाग्यवश, ऐसी समृद्ध सभ्यता का हास हो गया, जिसका कारण संभवतः सूखा, नदी मार्ग में परिवर्तन इत्यादि माने जाते हैं।
कालीबंगा – सारांश
- कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ काली चूड़ियां है ।
- नदी- सरस्वती (घग्घर)
- सर्वप्रथम इसकी खुदाई 1952 ई. में अमलानन्द घोष द्वारा तथा 1961-1969 में ब्रजवासी लाल (बी.वी.लाल) व बालकृष्ण थापर (बी.के. थापर) द्वारा की गयी।
- यह सैन्धव सभ्यता से भी प्राचीन-प्राक् हड़प्पा युगीन संस्कृति स्थल है।
- यह विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं के समकक्ष है। इसकी नगर योजना सिन्धु घाटी की नगर योजना के समान थी।
- यहाँ पर से मकानों से पानी निकालने के लिए लकड़ी की नालियों का प्रयोग किया जाता था।