बटेवड़ा अर्थात गोबर कला
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपनी कलात्मक अभिरुचियां विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त करती रहती हैं। उनमें से एक प्रकार है गोबर कला अर्थात बटेवड़ा। ईंधन के लिए गोबर के छाणे, कंडे अथवा ऊपळे थापे जाते हैं। वर्ष भर चलाने और वर्षा से बचाने के लिए सूखे ऊपळों को गोलाकार अथवा आयताकार रूप में जमा कर उन्हें …