धरोहर

झालावाड़ की बौद्ध गुफाएं

भगवान बुद्ध कभी राजस्थान नहीं आये किंतु उनके निर्वाण के बाद के 1000 सालों में राजस्थान बौद्ध धर्म के बहुत बड़े केन्द्र के रूप में उभरा। यह एक विस्मयकारी बात थी कि जब गुप्त शासक चौथी शताब्दी ईस्वी के मध्य से लेकर छठी शताब्दी ईस्वी के मध्य तक पूरे भारत में वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार …

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उण्डेश्वर मंदिर

Undeshwar Mandir Bijoliya

भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया में यूं तो कई प्राचीन शिव मंदिर बने हए हैं लेकिन यहां के उण्डेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला बेमिसाल है। मंदिर का प्रवेश द्वार चार प्रस्तर स्तम्भों पर टिका हुआ है। ये स्तम्भ घट पल्लव एवं विभिन्न देवी-देवताओं की आकृतियों से अलंकृत हैं। सभा मण्डप में नंदकेश्वर की प्रतिमा विराजमान है। …

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विजय सागर

विजय सागर

जल प्रबन्धन की दृष्टि से अलवर में रियासत काल के दौरान अनेक सर, सरोवर, समन्द और सागर बनाए गए। उसी श्रृंखला में है – विजय सागर। अलवर-बहरोड़ मार्ग पर शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर सन् 1897 में एक छोटे बांध के रूप में इसका निर्माण कराया गया। सन् 1903 में चूहड़सिद्ध की सहायक नदी …

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दधिमति माता मंदिर

दधिमति माता मंदिर

नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ और मांगलोद गांवों की सीमा परदधिमति माता के नाम से विख्यात यह मंदिर नवीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है। यह मंदिर प्रतिहारकालीन मंदिर स्थापत्य की अनुपम थाती है। वेदीबंध की सादगी, जंघा भाग की रथिकाओं में देवीदेवताओं की मूर्तियां, मंडोवर व शिखर की मध्यवर्ती कंठिका में चहुंओर …

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