चम्बल नदी को राजस्थान की कामधेनु तथा प्राचीन काल में चर्मण्यवती के नाम से जाना जाता था|चम्बल नदी का उद्भव मध्य प्रदेश में महू के निकट मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (विंध्य पर्वत श्रेणी) से होता है ।यह राजस्थान में चौरासीगढ़ (चित्तौड़गढ़ जिला) के निकट प्रवेश कर कोटा-बूंदी जिलों की सीमा बनाती हुई सवाई माधोपुर, करौली तथा धौलपुर जिलों से होते हुए अन्त में यमुना नदी में मिल जाती है।यह बारहमासी नदी है तथा राज्य में सबसे अधिक सतही जल इसी नदी में उपलब्ध हैयह नदी तीन जिलों राजस्थान, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश में बहती है|यह नदी राजस्थान व मध्य प्रदेश के मध्य अंतरराज्यीय सीमा बनती है|चम्बल नदी द्वारा राज्य में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन किया जाता है|चम्बल नदी चित्तौडग़ढ़ के निकल भैंसरोड़गढ़ में चूलिया जलप्रपात बनती है जो राजस्थान का सबसे ऊँचा जलप्रपात है|इसी नदी के क्षेत्र (सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) को डांग क्षेत्र भी कहा जाता है| डांग क्षेत्र सर्वाधिक सवाईमाधोपुर में व प्रतिशतता के आधार पर सर्वाधिक धौलपुर में है|डांग की रानी करौली को माना जाता है
चम्बल संक्षिप्त सारणी
उद्गम | मध्य प्रदेश में महू के निकट मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (विंध्य पर्वत श्रेणी) |
लम्बाई | 965 किमी. 370 (राजस्थान में) |
राजस्थान में कुल अपवाह क्षेत्र | 19500 वर्ग किलोमीटर |
मुहाना | उतरप्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज के पास यमुना में |
बहाव क्षेत्र | मध्यप्रदेश: महू, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर राजस्थान: चित्तौड़गढ़, कोट, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर उत्तर प्रदेश: |
दाईं और से प्रमुख सहायक नदियाँ | पार्वती, कालीसिंध, शिप्रा |
बाईं और से प्रमुख सहायक नदियाँ | बनास, मेज |
प्रमुख बाँध | गाँधी सागर,जवाहर सागर,राणा प्रताप सागर बाँध, कोटा बैराज |
त्रिवेणी संगम | रामेश्वरम (सवाई माधोपुर): चंबल नदी-बनास नदी-सीप नदी |
नदी संगम या किनारे पर बने दुर्ग | भैसरोड़गढ़ दुर्ग: चम्बल व बामानी नदियों के संगम पर गढ़ पैलेस कोटा दुर्ग: चम्बल नदी के किनारे |
नदियों में या उनके निकट स्थित अभ्यारण्य | राष्टीय चम्बल घडियाल अभ्यारण्य: चम्बल नदी जवाहर सागर अभ्यारण्य: चम्बल नदी भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़): चम्बल व बामनी का संगम |
पौराणिक कथा
प्राचीनकाल में चम्बल नदी को चर्मण्यवती कहा जाता था महाभारत के अनुसार राजा रंतिदेव ने चम्बल के तट पर अनेक यज्ञों का आयोजन किया था जिनमे अनेक पशुओ की बलि दी जाती थी। रंतिदेव के यज्ञों में नदी तट पर जो आर्द्र चर्म राशि इकट्ठा हो गया था उसी से इसका नाम चर्मण्यवती पड़ा महाकाव्य महाभारत के अनुसार पांचाल साम्राज्य की दक्षिणी सीमा चर्मण्यवती थी यहाँ पांचाल नरेश द्रुपद का राज्य था। लोककथाओं के अनुसार चम्बल क्षेत्र कौरवों के मामा शकुनि के राज्य का हिस्सा था। इसी के किनारे कौरवों व पांडवों के बीच चौसर का खेल खेला गया था।
द्रौपदी के अपमान के पश्चात् द्रोपदी ने चम्बल को श्राप दिया था कि इसका पानी कोई भी नहीं पियेगा। चम्बल की स्वच्छता और इसके किनारे बड़ी आबादी नहीं बसने का यही काऱण माना जाता है। इसी कारण चम्बल आज देश की सबसे साफ़ सुथरी नदी है और इसमें विभिन्न जलीय जंतु पनप रहे हैं।
कालिदास ने मेघदूत-पूर्वमेघ 47 में चर्मण्वती नदी को रंतिदेव की कीर्ति का मूर्त स्वरूप कहा है।
चर्मण्वती नदी को वन पर्व के तीर्थ यात्रा अनु पर्व में पुण्य नदी माना गया है।
श्रीमदभागवत में चर्मवती का नर्मदा के साथ उल्लेख है।
चम्बल नदी पर चार बाँध बनाये गए है:-
- गाँधी सागर (मध्य प्रदेश की भानपुर तहसील)
- जवाहर सागर (बोराबास कोटा)
- राणा प्रताप सागर बाँध (रावतभाटा चित्तौड़गढ़)
- कोटा बैराज (कोटा)
चम्बल की प्रमुख सहायक नदियाँ
- चम्बल नदी की मध्यप्रदेश में सहायक नदियाँ सिवान, रेतम, शिप्रा है।
- चम्बल नदी की राजस्थान में सहायक नदियाँ
पार्वती नदी
- पार्वती नदी जिसे ‘पारा’ नाम से भी जाना जाता है मध्य प्रदेश में विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणी के सिरोह क्षेत्र से निकलती है।
- इसके उद्गम पर रामपुर डैम बना हुआ है।
- राजस्थान में यह बारां के करयाहाट गांव के निकट प्रवेश करती है तथा बारां व कोटा में बहती हुई सवाई माधोपुर व कोटा सीमा पर पालिया गांव के निकट चम्बल में मिल जाती है।
- पार्वती-चंबल संगम पर नेशनल चंबल सेंचुरी स्थित है।
- इसकी सहायक नदियोँ में ल्हासी, अंधेरी, विलास, बरनी, बैँथली आदि प्रमुख हैँ।
पार्वती संक्षिप्त सारणी
उद्गम | विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणी के सिरोह क्षेत्र से |
लम्बाई | 383 किमी. |
मुहाना | सवाई माधोपुर व कोटा सीमा पर पालिया गांव के निकट चम्बल में |
बहाव क्षेत्र | बारां,कोटा,सवाई माधोपुर |
प्रमुख सहायक नदियाँ | ल्हासी, अंधेरी, विलास, बरनी, बैँथली |
बाँध | रामपुर डैम |
आलनिया
- यह नदी कोटा में मुकुंदरा की पहाड़ियों से निकलती है।
- कोटा के नोटाना गाँव में यह नदी चम्बल में मिल जाती है।
बामनी नदी
- वापनी अर्थात ब्राह्मणी नदी – चित्तौड़गढ़ जिले में हरिपुर गाँव के निकट से निकलती है तथा भैसरोड़गढ़ के निकट चम्बल में मिल जाती है।
- चित्तौड़गढ़ में ओरई व बामानी नदी संगम पर बस्सी अभ्यारण्य स्थित है।
- भैसरोड़गढ़ दुर्ग – चम्बल व बामानी नदियों के संगम पर स्थित है।
मेज नदी
- यह नदी भीलवाड़ा जिले की माण्डलगढ़ तहसील से निकलती है तथा बूंदी जिले में बहती हुई कोटा की सीमा पर बूंदी के लाखेरी के निकट चम्बल में मिल जाती है।
- इसकी सहायक नदियाँ बाजन ,कुराल व मांगली है।
चाकण नदी
- यह नदी बूंदी जिले के कई छोटे नदी नालों से मिलकर बनी है।
- यह सवाईमाधोपुर जिले के करणपुर गाँव में चम्बल नदी में मिल जाती है।
- बूंदी जिले की नैनवा तहसील में इस नदी पर चाकण बाँध बनाया गया है।
छोटी कालीसिंध
- यह नदी मध्यप्रदेश से निकलती है तथा झालावाड़ के मांगसी गाँव के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है।
- झालावाड़ के मकेरिया गाँव के निकट मध्यप्रदेश की सीमा पर चम्बल में मिल जाती है।