राजस्थान में अरावली के पूर्वी भाग में स्थित झीले, मीठे पानी की झीलें है, इन्हे ताजे पानी की झील भी कहा जाता है। राज्य में सर्वाधिक मीठे पानी की झील उदयपुर जिले में स्थित है अथवा उदयपुर को झीलों की नगरी भी कहा जाता है। इन झीलों का पानी सिंचाई अथवा पेयजल के रूप में प्रयोग किया जाता है।
केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय झील सरंक्षण कार्यक्रम में राजस्थान की पांच झीलों क्रमश: अजमेर की आना सागर , पुष्कर का पुष्कर सरोवर , उदयपुर की पिछोला और फतेहसागर तथा माउंट आबू की नक्की झील को सम्मिलित किया गया है।
राजसमन्द झील, राजसमन्द
- राजसमंद झील का निर्माण मेवाड़ के राजा महाराणा राजसिंह के द्वारा 1620 ईस्वी में अकाल राहत कार्य के दौरान कांकरोली के पास करवाया गया था।
- इस झील में गोमती नदी आकर गिरती है।
- यह राजस्थान की एकमात्र झील है जिसके नाम पर जिले का नाम रखा गया है।
- यह राजस्थान की दूसरी बड़ी कृतिम झील है।
- राजसमंद झील के उत्तरी भाग में किनारे के चारों ओर 9 सीढियां होने के कारण इसे “नौ चौकी” की पाल के नाम से जाना जाता हैं।
- 9 चौकी की पाल पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे राजप्रशस्ति कहते है जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।
- राजप्रशस्ति अमरकाव्य वंशावली नामक पुस्तक पर आधारित है जिसके लेखक – रणछोड़ भट्ट तैलंग है।
- इसके किनारे पर द्वारकाधीश मंदिर और घेवर माता की छतरी स्थित है।
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जयसमंद झील ( ढेबर झील )
- जयसमंद झील का निर्माण मेवाड़ के राणा जयसिंह द्वारा गोमती नदी पर बाँध बनाकर 1687-1691 में करवाया गया था।
- यह झील राजस्थान की मीठे पानी की सबसे बडी व भारत की दूसरी (प्रथम गोविन्द सागर झील-भाखड़ा बाँध,हिमाचल प्रदेश ) बड़ी कृत्रिम झील है।
- इस झील में गोमती,झावरी तथा बागर नदी का जल आकर गिरता है।
- इस झील में कुल सात टापू है, जिनमें भील व मीणा रहते हैं। सबसे बड़ा टापू बाबा का भागड़ा और सबसे छोटा टापू प्यारी है।
- श्यामपुरा नहर व भाट नहर इस झील से सिंचाई के लिए निकाली गई प्रमख नहरें है।
- इस झील के एक टापू बाबा का मगरा पर आइसलैण्ड रिसोर्ट नामक होटल बनाया गया है।
- इसके निकट कलात्मक छतरियां तथा निकट की पहाड़ी पर रूठी रानी का महल स्थित है।
पिछोला झील
- पिछोला झील का निर्माण 14 वीं सदी में राणा लाखा के समय एक पिच्छू बंजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया था।
- इस झील में जलापूर्ति सीसाराम व बुझडा नदियों द्वारा होता है तथा यह लिंक नहर के द्वारा फतेहसागर झील से जुड़ी है।
- इस झील में स्थित दो टापूओं पर जगमन्दिर(लैक पैलेस) व जगनिवास(लैक गार्डन पैलेस) महल बने हुए है। वर्तमान में इन महलों को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है। इतिहासकार फग्र्यूसन द्वारा इन्हें राजस्थान के विण्डसर महलों की संज्ञा दी गई थी।
- जगमन्दिर महल का निर्माण महाराणा कर्णसिंह ने सन् 1620 ई. में शुरू करवाया था तथा जगत सिंह प्रथम ने 1651 ई. में इसे पूर्ण करवाया था।
- जगमन्दिर महल में ही 1857 ई. में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान महाराणा स्वरूप ने नीमच की छावनी से भागकर आए 40 अंग्रेजो को शरण देकर क्रांन्तिकारियों से बचाया था।
- जगनिवास महल का निर्माण 1746 ई. में महाराणा जगत सिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था।
- इस झील के किनारे पर “गलकी नटणी का चबुतरा” बना हुआ है।
- “राजमहल/सिटी पैलेस” जिसका निर्माण महाराणा जयसिंह ने करवाया था वह भी इसी झील के किनारे स्थित है।
फतेहसागर झील
- उदयपुर में स्थित इस झील का निर्माण 1678 में महाराणा जयसिंह ने थूर के तालाब के साथ करवाया था।
- फतेहसागर झील देवाली नामक गांव के पास स्थित है इस कारण इस झील को देवाली तालाब के नाम से भी जाना जाता है।
- कनॉट के ड्यूक(रानी विक्टोरिया के तीसरे बेटे) ने 1678 ई में इसकी की नींव रखी थी।
- इसका पुननिर्माण महाराणा फतेह सिंह ने 1888 में करवाया था।
- इस झील में एक टापू है जिस पर नेहरू उद्यान विकसित किया गया है।
- इस झील में सन 1975 में देश की पहली सौर वैद्यशाला स्थापित की गई है जिसके द्वारा सूर्य की क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
- इसी झील से उदयपुर शहर को पेयजल की आपूर्ति की जाती है।
आनासागर झील
- आनासागर झील का निर्माण पृथ्वी राज चौहान के पितामह आनाजी/अर्णोराज द्वारा 1137 ई. में करवाया गया था।
- आनासागर झील अजमेर जिले के नाग पहाड़ व तारागढ़ के बीच 13 किलोमीटर की परिधि में स्थित है।
- इस झील का निर्माण लूणी नदी पर किया गया है तथा बांडी नदी भी इसमें आकर गिरती है।
- इसी झील से अजमेर नगर को पेयजल उपलब्ध होता है।
- जब यह झील भर जाती है तो इसका पानी अजमेर नगर में ही स्थित एक अन्य झील ‘पाई सागर’ में छोड़ दिया जाता है।
- मुग़ल शासक जहाँगीर ने इसके किनारे एक उद्यान ‘दौलतबाग‘ बनवाया जिसे अब सुभाष उद्यान कहा जाता है।
- कलाप्रेमी शाहजहाँ ने 1637 में इसके किनारे संगमरमर की ‘बारहदरी’ का निर्माण करवाया जिसमें संगमरमर के दरवाजे हैं।
पुष्कर झील
- उपनाम- पंचम तीर्थ,कोंकण तीर्थ, मंदिरों की नगरी,तीर्थराज
- पुष्कर झील राजस्थान के अजमेर नगर से 11 किमी दूर पुष्कर कस्बे में स्थित अर्ध-वृत आकार पवित्र जल निकाय है।
- यह राजस्थान की मीठे पानी की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है
- भौगोलिक मान्यताओं के अनुसार इसे ज्वालामुखी निर्मित झील माना जाता है।
- पुष्कर ऊंट मेला ‘पुष्कर कैमल फेर‘ एशिया का सबसे बड़ा ऊंट मेला है जो कार्तिक मास की एकादशी को शुरू होता है, तथा कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर दूर-दूर से हज़ारों तीर्थयात्री यहाँ पुष्कर सरोवर में स्नान करने आते है।मान्यता है कि इस झील में डुबकी लगाने से त्वचा के सारे रोग दूर हो जाते है और त्वचा साफ सुथरी हो जाती है।
- झील के आसपास लगभग 500 हिन्दू मन्दिर स्थित है। तथा इसमें बावन स्नान घाट हैं,इन घाटों में वराह, ब्रह्म व गव घाट महत्त्वपूर्ण हैं।
- इस झील के किनारे मैडम मैरी के द्वारा महिला घाट का निर्माण करवाया गया। जहाँ महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई इसलिए वर्तमान में उसे गांधीघाट के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार पुष्कर झील का महत्त्व
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा जी ने किया था, इस कारण झील के निकट ब्रह्माजी का सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे वर्ष 2006 में राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित किया।
- वेद व्यास जी ने इसी झील के किनारे महाभारत की रचना की थी।
- इसी झील के किनारे ऋषि विश्वामित्र ने तपस्या की थी, जिसे इन्द्र की अप्सरा मेनका ने भंग कर दिया था।
- कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी ने इस झील के किनारे गुरु ग्रंथ साहिब का पवित्र भाषण दिया था।
नक्की झील
- नक्की झील सिरोही जिले के पहाड़ी इलाके माउंट आबू का एक सुंदर पर्यटन स्थल है।
- यह झील राजस्थान की मीठे पानी की झीलें में सबसे ऊंचाई पर स्थित मीठे पानी की झील हैं जो की सर्दियों में अक्सर जम जाती है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिन्दू देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदकर इस झील का निर्माण किया था इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून) झील के नाम से जाना जाता है।
- प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देने वाली यह झील चारों ओऱ से पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। यहाँ के पहाड़ी टापू बड़े आकर्षक हैं।
- झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है, जहाँ शाम के समय घूमने और नौकायन के लिए पर्यटक आते है।
- इस झील के पास पहाड़ी में हाथी गुफा स्थित है। तथा इसके पास पहाड़ी पे स्थित टॉड रॉक व नन रॉक प्रमुख पर्यटक आकर्षण केन्द्र है।
- गरासिआ जनजाति अस्थि विसर्जन नक्की झील में करती है।
- नक्की झील के किनारे की पहाड़ियों के बीच रामकुण्ड के नीचे सोलहवीं शताब्दी का रघुनाथ जी का मंदिर स्थित है।
उदयसागर झील
- उदयसागर झील का निर्माण महाराणा उदयसिंह ने 1559-1565 के बीच करवाया था।
- आयड़ नदी उदयसागर में गिरने के पश्चात् ही इसका नाम बेडच हो जाता है।
फॉयसागर झील
- फॉयसागर झील अजमेर में स्थित है।
- इस झील का निर्माण 1891-92 में अंग्रेज इंजीनियर फॉय के निर्देशन में बाढ़ राहत परियोजना के तहत करवाया गया था।
- पानी की आवक अधिक हो जाने पर इस झील का पानी आनासागर में जाता है।
बालसमंद झील
- बालसमंद झील जोधपुर से पांच किलोमीटर दूर जोधपुर-मंडोर मार्ग पर स्थित एक झील है।
- इस झील का निर्माण परिहार शासक बालक राव ने सन् 1159 में करवाया था।
- झील में बालसमंद लेक पैलेस स्थित है।
कायलान झील
- कायलाना झील द्वारा जोधपुर शहर की पेयजल आपूर्ति का कार्य किया जाता है।
- प्रारम्भ में यह एक प्राकृतिक झील थी इसे वर्तमान स्वरूप महाराजा प्रताप सिंह के द्वारा प्रदान किया गया है।
- दो पहाड़ियों के मध्य स्थित यह झील जोधपुर की सबसे सुंदर झील है। वर्तमान में इस झील में राजीव गाँधी नहर का पानी आता है।
- इस झील के किनारे देश का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी पार्क का निर्माण किया गया है।
सिलीसेढ़ झील
- अलवर जिले में स्थित इस झील निर्माण 1845 में महाराजा विनय सिंह द्वारा करवाया गया था।
- यह झील दिल्ली -जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर स्थित है।
- महाराजा विनय सिंह ने इस झील में अपनी रानी शीला हेतु एक शाही महल बनवाया था जो वर्तमान में लेक पैलेस होटल के नाम से जाना जाता है। यह होटल अब राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा संचालित की जा रही है।
- सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का नंदनकानन भी कहते है।
- दिसम्बर 2015 में राजस्थान पर्यटन विभाग ने सिलीसेढ़ झील में पोंटून व्यवस्था लागू की है जिसमें नावों के उपर लकड़ी के घर या महल बनाये जायेगें अर्थात् तैरते हुए महल बनाये जायेगें।
कोलायत झील
- यह बीकानेर में स्थित एक प्राकृतिक झील है।
- इसे शुष्क मरूस्थल का सुंदर मरू उद्यान कहा जा सकता है।
- इस झील पर कपिलमुनि का आश्रम स्थित है जहाँ कार्तिक माह की पूर्णिमा को प्रसिद्ध मेला लगता है।
सरदार समंद झील
- जोधपुर की यह झील भी राजस्थान की मीठे पानी की झीलें में सम्मिलित झील है।
- सरदार समंद झील का निर्माण सन 1933 में महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था।
- झील के किनारे पर स्थित सरदार समंद झील महल, महाराजा उम्मेद सिंह का गर्मियों के समय में रहने वाला महल था, जो अब एक विरासत होटल में परिवर्तित हो गया है।
मोती झील
- मोती झील भरतपुर जिले में स्थित है यह भरतपुर की जीवनरेखा कहलाती है।
- इसका निर्माण रूपारेल नदी का पानी रोककर करवाया गया है।
- इस झील में स्थित नील हरित शैवाल से N2 युक्त खाद प्राप्त होती है
गड़सीसर झील, जैसलमेर
- गडसीसर झील जैसलमेर जिले में स्थित वर्षा के पानी की झील है।
- इसका निर्माण 14 वीं सदी में राजा महरवाल गडसी द्वारा करवाया गया था।
- यह झील उस समय का पानी का प्रधान स्रोत थी।
राजस्थान की अन्य मीठे पानी की झीलें
ज़िले | मीठे पानी की झीलें |
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बीकानेर | गजनेर झील (पानी का शुद्ध दर्पण) |
बूंदी | दुगारी,नवलखा झील |
हनुमानगढ़ | तलवाड़ा झील |
गंगानगर | बुढ्ढा जोहड़ झील |
झालावाड़ | मानसरोवर |
- Saline Lakes of Rajasthan – Read in English