राजस्थान में कुल भूजल उपलब्धता राष्ट्रीय संसाधनों का 1.72% है। प्रदेश में 249 प्रखंड हैं, जिनमें से केवल 31 प्रखंड सुरक्षित स्थिति में हैं |
अटल भू-जल योजना
भारत सरकार एंव विश्व बैंक के सहयोग से (50:50 प्रतिशत) देश के सात राज्यों क्रमशः हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट, राजस्थान, उतरप्रदेश एंव मध्यप्रदेश राज्यों में भू-जल के गिरते स्तर को रोकने, भू-जल के बेहतर प्रबन्धन हेतु 1 अप्रेल 2020 से लागू की गई है। यह योजना पांच वर्षो 2020-21 से वर्ष 2024-25 तक के लिये है।
इस योजना की अनुमानित लागत रुपये ₹6,000 करोड़ है जिसमें से 3,000 करोड़ विश्व बैंक का हिस्सा एंव ₹3000 करोड भारत सरकार का हिस्सा है। जिसमें से राजस्थान राज्य हेतु 5 वर्षों के लिये कुल बजट ₹1,189.65 करोड़ स्वीकृत है।
इस योजना के अन्तर्गत राजस्थान राज्य के 17 जिलों की 38 पंचायत समिति के 1,144 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया गया है। चिन्हित 1,144 ग्राम पंचायत स्तर पर जल सुरक्षा प्लान बनाया जाना प्रस्तावित है।
राजस्थान में भूजल के संदर्भ में महत्वपूर्ण सरकारी विभाग
भू-जल विभाग
राज्य के भू-जल संसाधनों के विकास एवं प्रबन्धन हेतु भू-जल विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। राजस्थान में, जहाँ अकाल की स्थिति बनी रहती है, ऐसे में जल की कमी की समस्या के समाधान हेतु काफी हद तक भू-जल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सतत् एवं सफल प्रयासों से राज्य के रेगिस्तानी व पहाड़ी जिलों में सिंचाई के लिए अतिरिक्त भूमिगत जल जुटाने के साथ स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता बढ़ी है। भू-जल विभाग मुख्यतः निम्नलिखित गतिविधियां संचालित करता है:
- सर्वेक्षण एवं अनुसंधान कार्यक्रम के अन्तर्गत नलकूपों व पीजोमीटर की संरचना का निर्माण एवं जल संसाधनों की खोज, मूल्यांकन एवं विकास करना।
- पेयजल एवं अन्य उद्देश्य हेतु नलकूपों व हैण्डपम्पों का निर्माण करवाना।
- सरकार की व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के अन्तर्गत व्यक्तिगत लाभ देने हेतु कुँओं को विस्फोटन द्वारा गहरा कर लाभान्वित करना।
राजस्थान भूमिगत जल बोर्ड
- भारत सरकार द्वारा राजस्थान भूमिगत जल बोर्ड की स्थापना की गई 1955 में इस बोर्ड का नियंत्रण राजस्थान सरकार को सौप दिया।
- 1971 से इस बोर्ड को भू-जल विभाग के नाम से जाना जाता ही।
- इसका कार्यालय जोधपुर है।