सरकार द्वारा किए गए राजस्थान के उद्योग आधारित अनेक सुधारात्मक पहलों के कारण राज्य के समग्र औद्योगिक वातावरण में काफी सुधार हुआ है। राज्य सरकार का प्रयास पूर्णतः पर्यावरण संवहनीय औद्योगीकरण के साथ रोजगार के अधिकतम अवसर सृजित करना एवं राज्य के राजस्व में वृद्धि करना है। राज्य के सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन (जी.एस.वी.ए.) में उद्योग क्षेत्र का क्षेत्रीय योगदान 2022-23 में प्रचलित कीमतों पर 27.31 प्रतिशत है। समानवधि में उद्योग क्षेत्र में विनिर्माण उप क्षेत्र और खनन उप क्षेत्र का योगदान क्रमशः 41.26 प्रतिशत और 12.60 प्रतिशत है।
राज्य प्रचुर भौतिक संसाधनों, समृद्ध खनिज सम्पदा, विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प, हथकरघा और उत्कृष्ट कौशल से सम्पन्न है। ये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक (एम.एस.एम.ई.) इकाइयों के लिए लाभकारी विनिर्माण, प्रसंस्करण गतिविधियों और सेवाओं के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं, जो कि राज्य की ताकत रही है। राज्य के पास एम.एस.एम.ई. के लिए रत्न एवं आभूषण, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटोकम्पोनेंट, वस्त्र, चमड़ा और आयामी पत्थरों के क्षेत्र में एक अत्यन्त मजबूत आधार है। राज्य का प्रमुख ध्येय राज्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की स्थापना को बढ़ावा देना और उन्हें प्रोत्साहित करना तथा उद्यमों द्वारा उच्च क्षमता स्तर प्राप्त करने हेतु सक्षम एवं अनुकूल परिवेश का निर्माण करना है।
- भारत की औद्योगिक नगरी – कानपुर
- राजस्थान में औद्योगिक नगरी – कोटा
- सर्वाधिक औद्योगिक इकाईयों वाले जिले –
- जयपुर
- अलवर
- सबसे कम औद्योगिक इकाईयों वाला जिला – हनुमानगढ़
- राजस्थान में मध्यम एवम् वृहत औद्योगिक इकाईयों की दृष्टि से बड़ा जिला – अलवर व भीलवाड़ा
राजस्थान के प्रमुख उद्योगों में सीमेन्ट उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, नमक उद्योग, कांच उद्योग आदि शामिल है।
सूती वस्त्र उद्योग
सूती वस्त्र उद्योग राजस्थान का परम्परागत एवं प्राचीन उद्योग है तथा कृषि पर आधारित देश का सबसे बड़ा उद्योग है। वर्तमान समय में चीन सूती वस्त्र के उत्पादन में विश्न में प्रथम स्थान रखता है तथा भारत का इस क्षेत्र में तीसरा स्थान है। सूती कपडों के लिए इंग्लैण्ड का मैनचेस्टर ( Manchester ) शहर प्रसिद्ध है। भीलवाड़ा को राजस्थान का मैनचेस्टर कहा जाता है । नवीन मेनचेस्टर के नाम से भिवाड़ी (अलवर) को जाना जाता है ।
- राजस्थान मैनचेस्टर/टैक्सटाइल्स सीटी – भीलवाड़ा
- भारत में मैनचेस्टर/टैक्सटाइल्स सीटी – अहमदाबाद, मुम्बई
सूती वस्त्र उद्योग से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु :
- देश में प्रथम सूती मिल की स्थापना कलकता में घूसरी नाम स्थान पर 1818 ई. में की गई थी।
- महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा गुजरात सूती वस्त्र का प्रमुख केन्द्र।
- राजस्थान की प्रथम सूती वस्त्र मिल ‘दी कृष्णा मिल्स लिमिटेड’ की स्थापना 1889 में ब्यावर (अजमेर) में सेठ दामोदर दास राठी ने की थी।
- राजस्थान में सबसे बड़ी सूती वस्त्र मिल्स – महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स (पाली)
- कार्यशील कार्यशील हथकरघों की दृष्टि से राज्य की सबसे बड़ी मिल- दी कृष्णा मील ब्यावर(अजमेर)
- टेक्सटाइल पार्क – भीलवाड़ा
- पावरलूम उद्योग में कम्प्यूटर एडेड डिजाइन सेंटर-भीलवाड़ा
- राजस्थान में 1 नवम्बर 1956 तक केवल 7 सूती वस्त्र मिले थी।
- राजस्थान में वर्तमान में सूती वस्त्र मिले
- कुल मिल- 23
- निजी क्षेत्र- 17
- सार्वजनिक क्षेत्र- 3
- सहकारी क्षेत्र- 3
राज्य में सूती मिलों को तीन भागों मे विभाजित किया गया है
सार्वजनिक क्षेत्र की सूती मिलें | सहकारी क्षेत्र की सूती मिलें | निजी क्षेत्र की प्रमुख सूती मिलें |
एडवर्ड मिल्स ( ब्यावर )1906 | राजस्थान सहकारी कताई मिल लिमिटेड गुलाबपुरा (भीलवाडा) | मेवाड़ टेक्सटाईल मिल्स (भीलवाड़ा) |
श्री महालक्ष्मी मिल्स (ब्यावर) 1925 | श्री गंगानगर सहकारी कताई मिल लि.(हनुमानगढ) | राजस्थान स्पिनिंग एण्ड जिनीविंग मिल्स (भीलवाड़ा) |
श्री विजय कॉटन मिल्स (विजयनगर) | गंगापुर सहकारी कताई मिल लि. गगापुर ( भीलवाड़ा) | महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स लि. (पाली) |
दी कृष्णा मिल्स लिमिटेड ब्यावर(अजमेर) | ||
आदित्य सूती वस्त्र मिल किशनगढ़ (अजमेर) | ||
सार्दुल टैक्सटाइल मिल्स लिमिटेड श्री गंगानगर 1946 | ||
उदयपुर काॅटन मिल्स (उदयपुर) 1961 |
चीनी उद्योग
चीनी उद्योग देश का दूसरा बड़ा कृषि आधारित उद्योग है। रूस, ब्राजील, क्यूबा के बाद भारत चौथा बड़ा चीनी उत्पादक देश है। भारत विश्व का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक है। राजस्थान में बूंदी, गंगानगर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर में गन्ने का सर्वाधिक उत्पादन होता है। चीनी उद्योग की दृष्टि से उत्तर प्रदेश तथा बिहारी प्रमुख राज्य है।
चीनी उद्योग से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु :
- निजी क्षेत्र में स्थापित राजस्थान की प्रथम चीनी मिल ‘दी. मेवाड़ शुगर मिल लिमिटेड’ भोपाल सागर (चित्तौड़) में सन् 1932 मे खोली गई थी।
- चीनी बनाने की दूसरी इकाई सन् 1937 में गंगानगर मे ‘गंगानगर शुगर मिल्स’ के नाम से प्रारंभ की गई।
- 1956 से ‘गंगानगर शुगर मिल्स’ सार्वजनिक क्षेत्र में आ गई है । चुकन्दर से चीनी बनाने के लिए श्रीगंगानगर शूगर मिल्स लिमिटेड में एक योजना 1968 में आरंभ की गई थी ।
- इसके अधीन राशन तथा स्पिरित बनाने के कारखाने स्थापित किया गया।
- दी गंगानगर शूगर मील को वर्तमान में करणपुर के कमीनपुरा गाँव में स्थापित किया जाएगा ।
- मिल शराब बनाने का कार्यं भी करती हैं । अजमेर, अटरू ( बांरा ) प्रतापगढ तथा जोधपुर में भी इसके केन्द्र है । रॉयल हेरिटेज लिकर, कैसर कस्तुरी ब्राण्ड गंगानगर शुगर मील की उच्च गुणवत्ता वाली शराब है ।
- 1965 में बूंदी जिले के केशोरायपाटन में सहकारी क्षेत्र में चीनी मील स्थापित की गई ।
- 1976 में उदयपुर में निजी क्षेत्र में शुगर मिल की स्थापना की गई।
- चीनी उद्योग के उत्पादन व दक्षता में वृद्धि करने के उद्देश्य से विद्यमान कानूनों में परिवर्तन का सुझाव देने के लिए 1997 में V C. महाजन समिति का गठन किया गया ।
सीमेंट उद्योग
चीन के बाद भारत विश्व में दूसरा बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है। इस क्षेत्र में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है ।
सीमेंट उद्योग से सम्बंधित मुख्य बिंदु :
- भारत में प्रथम सीमेंट कारखाना 1904 में समुद्री सीपियों से सीमेंट बनाने के प्रयास हेतु मद्रास ( चैन्नईं ) में स्थापित किया गया था ।
- सर्वप्रथम 1915 में लाखेरी (बून्दी) में क्लीक निकसन कम्पनी द्वारा सीमेन्ट फैक्ट्री स्थापित की गई थी।
- दक्षिण एशिया का सबसे बडा सीमेंट कारखाना ‘ जयपुर उद्योग लि.'(1953 से 1959 में प्रारंभिक उत्पादन ) सवाई माधोपुर में स्थापित किया गया था, जो 1986 से बंद है ।
- सफेद सीमेंट का प्रथम उद्योग गोटन ( नागौर ) में स्थापित किया गया है।
राज्य के प्रमुख सीमेन्ट संयंत्र :
संयंत्र | स्थापना स्थान | टिप्पणी |
बिड़ला सीेमेन्ट वर्क्स | चित्तौड़गढ़ | |
उदयपुर सीमेन्ट वर्क्स | उदयपुर | |
जे.के. सीमेन्ट वर्क्स | निम्बाहेड़ा | सर्वाधिक सीमेंट का कारखाना |
मंगलम सीमेन्ट मोडक | कोटा | |
श्रीसीमेन्ट लिमिटेड | ब्यावर | उत्तरी भारत की सबसे बडी कम्पनी |
जे.के. बिरला व्हाइट सीमेंट कंपनी | (गोटन) नागौर | राजस्थान का प्रथम सफेद सीमेंट का कारखाना सन् 1984 में लगाया गया था। |
जे.के. बिरला व्हाइट सीमेंट कंपनी | (खारिया खंगार)जोधपुर | राजस्थान का सबसे बड़ा सफेद सीमेंट का कारखाना, स्थापना – 1988 |
नमक उद्योग
नमक उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है। गुजरात में देश का अधिकतम नमक का उत्पादन किया जाता है। राजस्थान में खारे पानी की झीलें बहुतायत में है। झीलों से नमक उत्पादन की दृष्टि से राज्य का देश में प्रथम स्थान है। देश का लगभग 12 प्रतिशत नमक का उत्पादन राज्य में होता है । राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र में नमक के कारखाने-सांभर, डीडवाना, पचपदरा।
देश में सर्वाधिक नमक उत्पादक राज्य हैं– 1. गुजरात 2. तमिलनाडु 3. राजस्थान 4. महाराष्ट्र
नमक उद्योग से जुड़े मुख्य बिंदु :
- सांभर झील देश का सबसे बड़ा आंतरिक नमक स्त्रोत है। जो कुल उत्पादन का 8.7 प्रतिशत है। यह नमक उत्पादन में अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।
- सांभर झील से नमक उत्पादन का कार्य सांभर सॉल्ट्स लि. द्वारा किया जा रहा है। जो केन्द्र सरकार का उपक्रम है।
- राज्य में कुल नमक उत्पादन का 70 प्रतिशत भाग सार्वजनिक क्षेत्र में।
- पचपदरा झील(बाड़मेर) में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी के उपयोग द्वारा नमक के स्फटिक बनाते हैं।
- लवण निर्माताओं को तकनीकि ज्ञान उपलब्ध कराने हेतु मॉडल सॉल्ट फॉर्म, नावां (नागौर) में स्थापित की गई है।
- वायु के प्रवाह द्वारा जो नमक बनाया जाता है, उसे रेशता नमक कहते है ।
- ‘साबू सोडियम परियोजना’ गोविन्द ग्राम (नावां, नागौर) में चलाई जा रही है जो आयोडीन नमक उत्पादन करने की परियोजना है।
- राजस्थान में नमक पर आधारित राज्य सरकार के उपक्रम – डीडवाना में तीन तथा पंचभदरा में एक है।
- फलौदी (जोधपुर),लूणकरणसर (बीकानेर), पोकरण (जैसलमेर) एवं जाब्दीनगर (नागौर) में भी छोटे पैमाने पर निजी उद्यमियों द्वारा नमक उत्पादित किया जाता है।
राज्य के प्रमुख नमक के उपक्रम :
उपक्रम | स्थापना | टिप्पणी |
पचपदरा सॉल्ट लिमिटेड | 1960 | राज्य सरकार का उपक्रम, आयोडीन नमक के कारखाने, 2008 में निजीकरण |
सांभर सॉल्ट लिमिटेड – सांभर (जयपुर) | 30 सितम्बर 1964 | केन्द्रीय सरकार का उपक्रम |
राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स डीडवाना (नागौर) | 1964 | राज्य सरकार का उपक्रम, सोडियम सल्फेट व सोडियम सल्फाइड का निर्माण किया जाता है, 2008 में निजीकरण |
कांच उद्योग
- कांच उत्पादन हेतु कच्चा माल – बालु मिट्टी, सिलिका, सोडियम सल्फेट व सीसा
- सिलिका उत्पादन में राजस्थान हरियाणा के बाद देश में दूसरे स्थान पर है।
- राजस्थान के धौलपुर जिले में काँच उद्योग सर्वाधिक फैला हुआ है।
- सिरेमिक पार्क की स्थापना बीकानेर में की गई है।
राज्य की प्रमुख ग्लास कंपनी :
ग्लास कंपनी | स्थान | टिप्पणी |
दी हाई टैक्नीकल प्रोसीजन ग्लास वर्क्स | धौलपुर | यह श्री गंगानगर शुगर मिल की सहायक कंपनी है। यहाँ शराब की बोतलों का निर्माण होता है। |
धौलपुर ग्लास वर्क्स | धौलपुर | निजी क्षेत्र का उपक्रम |
सेमकोर ग्लास इण्डस्ट्रीज | कोटा | टी.वी. पिक्चर ट्यूब बनाने हेतु |
बॉश एण्ड लाम्ब लि. कंपनी | भिवाड़ी (अलवर) | लेंस गवं चश्मों का निर्माण |
सेंट गोबेन कम्पनी | कहरानी (भिवाड़ी, अलवर) | विश्व का सबसे बड़ा फ्लोट ग्लास संयंत्र स्थापित किया है। |
ऊन उद्योग
राजस्थान ऊन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है।जबकि दूसरा स्थान कर्नाटक का है। राज्य के शुष्क व अर्द्धशुष्क जिलों में ऊन का उत्पादन अधिक होता है ।यहाँ सर्वाधिक ऊन उत्पादन जोधपुर, बीकानेर, नागौर में व न्यूनतम ऊन उत्पादन झालावाड़ में होता है।
ऊन उद्योग से जुड़े मुख्य बिंदु :
- एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी बीकानेर में है जहां 250-300 ऊन धागे की फैक्ट्रियां है।
- केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड जोधपुर में 1987 में स्थापित किया गया है।
- केन्द्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला बीकानेर में स्थित है।
- राजस्थान की भेड़ों से अन्य राज्यों के मुकाबले तीन गुना अधिक ऊन का उत्पादन होता है।
- विदेशी ऊन आयात-निर्यात केन्द्र कोटा में स्थित है ।
- भेड ऊन का प्रशिक्षण संस्थान जयपुर में स्थित है ।
- ऊन प्रोसैसिंग हाऊस की स्थापना भीलवाडा में की गई है ।
- कम्यूटर एडेड कारपेट डिजाइन सेंटर जयपुर में खोला गया है ।
- बीकानेर में ‘गलीचा प्रशिक्षण केन्द्र‘ की स्थापना 1992 में केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड द्वारा की गई थी। इसका संचालन राजसिको द्वारा किया जाता है।
- ऊनी कपड़े के धागे के 3 कारखाने भीलवाडा में है ।
- “वर्स्टेड स्पिनिंग मिल्स” लाडनूं(नागौर) में राजस्थान लघु उद्योग निगम का उपक्रम है ।
राज्य की प्रमुख ऊन मिल :
मिल | स्थान |
स्टेट वूलन मिल | बीकानेर |
जोधपुर ऊन फैक्ट्री | जोधपुर |
वर्स्टेड स्पिनिंग मिल्स | चूरू तथा लाडनूं(नागौर) |
राजस्थान वूलन मिल्स | बीकानेर |
रासायनिक उद्योग
राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स लि. ‘ डीडवाना ( नागौर ) में स्थित है। यह राज्य सरकार का उपक्रम है । यहाँ सोडियम सल्फेट व सोडियम सल्फाइड का निर्माण किया जाता है ।
राजस्थान में रासायनिक उद्योग में निर्मित प्रमुख रसायन इस प्रकार है :
उर्वरक
- जैव उर्वरक खाद कारखाना भरतपुर में है । यह राजस्थान का प्रथम जैव उर्वरक कारखाना है ।
- देवारी (उदयपुर) के जिंक स्मेल्टर से रासायनिक खाद का उत्पादन किया जा रहा है ।
- ‘शुष्क अमोनिया सल्फेट उर्वरक संयंत्र’ चितौडगढ में स्थापित किया गया है ।
- यूरिया – कोटा (चम्बल फर्टीलाइजर, गढ़ेपान)निजी क्षेत्र का देश का सबसे बड़ा रासायनिक खाद कारखाना, श्रीराम फटीलाइजर्स (कोटा), नेशनल केमिकल एण्ड फर्टिलाइजर्स लि. (कपासन) चित्तौड़गढ़
- सिंगल सुपर फास्फेट – श्रीराम फटीलाइजर्स(कोटा), उदयपुर, श्रीगंगानगर
- D.A.P (Diammonium Phosphate) – कपासन, चितौड।
रसायन | स्थान |
सल्फ्यूरिक एसिड (गंधक का तेजाब) | अलवर,सलादीपुरा (सीकर), खेतडी (झुंझुनूं), चंदेरिया (चितौडगढ), देवारी (उदयपुर), राजपुरा दरीबा (राजसमंद) |
कास्टिक सोडा | कोटा |
कीटनाशक | जयपुर, श्रीगंगानगर, कोटा, उदयपुर |
P.B.C. | जयपुर, कोटा |
गैसे (उद्योग में काम आने वाली कार्बनिक एवं अन्य गैसें) | जयपुर, उदयपुर, कोटा |
विस्फोटक: दी राजस्थान एक्सप्लोसिव एण्ड केमिकल लि. | धौलपुर |
विस्फोटक:मोदी एल्केलाइन एण्ड केमिकल लि. | अलवर |
अल्कोहल | श्रीगंगानगर, उदयपुर, कोटा |
अन्य औद्योगिक कारखाने
- राज्य में बिजली के मीटर बनाने की प्रसिद्ध फैक्ट्री – जयपुर मेटल्स एण्ड इलेक्ट्रीकल्स (जयपुर)
- नेशनल बॉल बियरिंग कारखाना – जयपुर
- देश का पहला MSME सेन्टर – (भिवाड़ी) अलवर
- प्रदेश का पहला राइस कलस्टर – बूंदी
- राजस्थान का पहला इंटीग्रेटेड स्टील प्लान्ट – पुर (भीलवाड़ा)
- हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड(HMT) – अजमेर (चैक गणराज्य की सहायता से स्थापित घड़ी बनाने का कारखाना)
- इन्स्टूमेंशन लिमिटेड – कोटा (सहायक इकाई – राजस्थान इलै. एण्ड इन्ट्रुमेंशन लिमिटेड)
- जे. के. टायर – कांकरोली, राजसमंद
- सिमको बिरला वैगन फैक्ट्री – भरतपुर, वैगन फैक्ट्री – कोटा (रेल्वे वैगन कारखाना)
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