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महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया | धरती धोरां री

धरती धोरां री

महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया द्वारा रचित राजस्थानी गीत ‘धरती धोरां री !‘ राजस्थान का वंदना गीत बन चुका है। राजस्थान का सरस, गौरवशाली वर्णन करने वाले इस गीत के बोल हर राजस्थानी के मन में प्रदेश के गौरव एवं स्वाभिमान को जगाते हैं। गीत में प्रयुक्त अलंकारिक भाषा, भाव, कल्पना, रस — इन सब में गौरव …

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महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया | धरती धोरां री

अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो

महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया द्वारा रचित पातल’र पीथल मूल राजस्थानी में लिखी अति लोकप्रिय और चर्चित कविता हैं | अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो। नान्हो सो अमर्यो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो। हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो मेवाड़ी मान बचावण नै, हूं पाछ नहीं राखी रण में …

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