राजस्थान में प्रयुक्त होने वाला पंचांग

राजस्थान में प्रयुक्त होने वाला पंचांग: विक्रमी पंचांग – मास, पक्ष व तिथियां

वे सभी पंचांग जो परम्परागत रूप में प्राचीन काल से भारत में प्रयुक्त होते आ रहे हैं हिन्दू पंचांग कहलाते है। पंचांग शब्द का अर्थ पाँच अंगो वाला है। पंचांग में समय गणना के पाँच अंग वार, तिथि, नक्षत्र, योग, और करण हैं | ये पंचांग चान्द्रसौर प्रकृति के होते हैं। सभी हिन्दू पंचांग कालगणना के एक समान सिद्धांतों और विधियों पर आधारित होते हैं किन्तु मासों के नाम, वर्ष का आरम्भ (वर्षप्रतिपदा) आदि की दृष्टि से अलग होते हैं।

राजस्थान में प्रयुक्त होने वाला पंचांग

विक्रमी पंचांग

विक्रम संवत् भारत के अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पंचांग है। भारत के पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के सरकारी संवत् के रुप मे विक्रम संवत् ही चला आ रहा है। यह चन्द्रमा आधारित पंचांग है। विक्रमी संवत् का आरम्भ 57 ई.पू. में हुआ माना जाता है। (विक्रमी संवत् = ईस्वी सन् + 57) ।
इस संवत् का आरम्भ उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा(नव वर्ष) से माना जाता है। इसमें बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह माना जाता है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिकमास कहा जाता है।

1 वर्ष में 12 मास होते है।
1 मास में 2 पक्ष तथा 30 दिन होते है : 15 दिन कृष्ण पक्ष व 15 दिन शुक्ल पक्ष

  • कृष्ण पक्ष (बदी) – इस पक्ष में प्रतिपदा(1) से चतुर्दशी(14) तक चन्द्रकला घटती है तथा अमास्या(15) के दिन चन्द्रमा को नहीं देखा जा सकता है।
  • शुक्ल पक्ष (सुदी) – इस पक्ष में प्रतिपदा(1) से चतुर्दशी(14) तक चन्द्रकला बढ़ती है तथा पूर्णिमा(15) के दिन पूर्ण चन्द्रमा दिखाई देता है।
क्र. सं.माह
(विक्रमी पंचांग)
माह
(ग्रेगोरियन कैलेंडर)
1.चैत्र मार्च – अप्रैल
2.बैसाख़अप्रेल – मई
3.ज्येष्ठमई – जून
4.आषाढ़जून – जुलाई
5.श्रावण जुलाई – अगस्त
6.भाद्र पदअगस्त – सितम्बर
7.अश्विनसितम्बर – अक्टूबर
8.कार्तिकअक्टूबर – नवम्बर
9.मार्गशीर्ष नवम्बर – दिसंबर
10.पौषदिसम्बर – जनवरी
11.माघजनवरी- फरवरी
12.फाल्गुनफरवरी – मार्च

तिथियां

कृष्ण व शुक्ल पक्ष के पंद्रह दिनों की तिथियां इस प्रकार है :

क्र. सं.तिथि आम भाषा में
1.प्रतिपदाएकम, पड़वा
2.द्वितीयादूज
3.तृतीयातीज
4.चतुर्थीचौथ
5.पंचमीपांचै
6.षष्ठीछठ
7.सप्तमीसातें
8.अष्ठमीआठें
9.नवमीनोमी
10.दशमीदस्सा
11.एकादशीग्यारस
12.द्वादशीबारस
13.त्रयोदशीतेरस
14.चतुर्थदशीचौदस
15. Aअमावस्या मावस
15. Bपूर्णिमापुन्यु, पूरनमासी
  • प्रथम हिन्दू त्यौहार – छोटी तीज (श्रावण शुक्ल तृतीया)
  • अंतिम हिन्दू त्यौहार – गणगौर (चैत्र शुक्ल तृतीया)

इस प्रथम व अंतिम त्यौहार के कारण यह कहावत प्रचलित है
“तीज त्यौहार बावड़ी ले डूबी गणगौर “

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