राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ सिंचित के क्षेत्रफल की दृष्टि से तीन वर्गों में विभाजित की गयी हैं |
- लघु सिंचाई परियोजनाएं –2000 हैक्टेयर तक भूमि सिंचित करने वाली परियोजनाएं इस वर्ग में शामिल की जाती हैं। इनका योगदान सर्वाधिक है।
- मध्यम सिंचाई परियोजनाएं – 2000 से 10000 हैक्टेयर भूमि सिंचित करने वाली परियोजनाएं इस वर्ग में शामिल की जाती हैं।
- वृहद् सिंचाई परियोजनाएं – 10000 हैक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित करने वाली परियोजनाएं इस वर्ग में शामिल की जाती हैं।
राज्य की अर्थव्यवस्था में वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से राज्य के अल्प जल संसाधनों के दोहन, उपयोग एवं प्रबंधन का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्ष 2020-21 में:
- 7 वृहद् (नर्मदा नहर परियोजना, परवन, धौलपुर लिफ्ट, राजस्थान के मरू क्षेत्र हेतु जल पुनर्गठन परियोजना (आर.डबल्यू.एस.आर.पी.डी.) एवं नवनेरा बांध (ई. आर.सी.पी.), ऊपरी उच्च स्तरीय नहर एवं पीपलखंट |
- 6 मध्यम परियोजनाएं (गरड़दा, ताकली, गागरिन, ल्हासी, राजगढ़ एवं हथियादेह) तथा
- 46 लघु सिंचाई परियोजनाओं
का कार्य प्रगति पर है।
राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ: वृहत
- इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना
- गंग नहर
- भरतपुर नहर
- गुड़गांव नहर
- भीखाभाई सागवाड़ा माही नहर
- जाखम परियोजना
- सिद्धमुख-नोहर परियोजना
- बीसलपुर परियोजना (राज्य की सबसे बड़ी पेयजल योजना)
- नर्मदा नहर परियोजना
- ईसरदा परियोजना।
- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.)
इंदिरा गांधी नहर परियोजना
बीकानेर के इंजीनियर श्री कंवर सेन को इस नहर का जनक माना जाता है। इस परियोजना की आधारशिला तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत द्वारा 31 मार्च, 1958 को रखी गई। सर्वप्रथम नहर में पानी अक्टूबर, 1961 में नोरंग देसर (हनुमानगढ़) से तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन् द्वारा छोड़ा गया था। इसे राजस्थान की जीवन रेखा तथा मरू गंगा(गोविन्द वल्लभ पंत द्वारा) कहा जाता है| शुरू में इसका नाम राजस्थान नहर था, जिसे 2 नवंबर 1984 को इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (IGNP) नाम दिया गया।
इस नहर का उद्गम सतलज व व्यास नदी के संगम स्थल हरिके बैराज (फिरोजपुर, पंजाब) से होता है। इसका निर्माण दो चरणों में पूर्ण हुआ:
- प्रथम फेज – हरिके बैराज (फिरोजपुर) से मसीतावाली (हनुमानगढ़) हेड तक 204 किलोमीटर फीडर नहर (राजस्थान में लम्बाई 35 किमी.) का निर्माण हुआ है जो कि मुख्य नहर को जलापूर्ति करती है। मुख्य नहर मसीतावाली से दातोर(बीकानेर) तक 189 किलोमीटर लंबी है। अतः कुल 393 किलोमीटर लंबाई में विस्तृत है ।
- द्वितीय फेज – दातौर (बीकानेर) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक 256 किमी. लम्बाई तक निर्माण कार्य किया गया, जिसे बढ़ाकर मोहनगढ़ (जैसलमेर) से अन्तिम स्थान गडरा रोड (बाड़मेर, लम्बाई 165 किमी.) तक निर्माण किया गया है। गडरा रोड (बाड़मेर) को जीरो पॉइन्ट भी कहा जाता है।
इन्दिरा गाँधी नहर की शाखाएं
IGNP पर 9 शाखाओं का निर्माण किया गया है। रावतसर शाखा के अलावा सभी शाखाएं दायीं तरफ है। इनके नाम उत्तर से दक्षिण तक निम्न हैं:
- रावतसर शाखा – एकमात्र शाखा जो बांयी ओर निकाली गई है।
- सूरतगढ़ शाखा – श्रीगंगानगर
- अनूपगढ़ शाखा – श्रीगंगानगर
- पूगल शाखा – बीकानेर
- दातोर शाखा – बीकानेर
- बिरसलपुर शाखा – बीकानेर
- चारणवाला शाखा – एकमात्र शाखा जो दो जिलों (बीकानेर व जैसलमेर) तक विस्तृत है।
- शहीद बीरबल शाखा – जैसलमेर
- सागरमल गोपा शाखा -जैसलमेर
IGNP पर लिफ्ट नहर
इंदिरा गांधी नहर परियोजना से राज्य के 9 जिले (श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, झुंझुनू) लाभान्वित होते है। पेयजल हेतु IGNP से तीन लिफ्ट नहर निकाली गई है :
- कँवरसेन पेयजल लिफ्ट – बीकानेर तथा श्रीगंगानगर को पेयजल आपूर्ति की जाती है। इसे बीकानेर की जीवनरेखा कहा जाता है।
- गंधेली साहेबा परियोजना– यह हनुमानगढ़, चूरू तथा झुंझुनूं जिलों में पेयजल आपूर्ति हेतु जर्मनी के सहयोग से संचालित परियोजना है। इसे आपणी पेयजल परियोजना भी कहा जाता है।
- राजीव गाँधी लिफ्ट नहर– इसे जोधपुर की जीवन रेखा कहा जाता है। जोधपुर व बाड़मेर में पेयजल आपूर्ति की जाती है।
IGNP पर 7 लिफ्ट नहरें बनायी गयी हैं जो कि बायीं तरफ हैं। इनके नाम उत्तर से दक्षिण तक निम्न हैं:
क्र. सं. | लिफ्ट नहर | लाभान्वित जिले | टिपण्णी |
1 | चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर | बीकानेर, झुंझुनू, चूरू तथा हनुमानगढ़ | इंदिरा गाँधी नहर की सर्वाधिक जिलों तक विस्तृत लिफ्ट नहर है। |
2 | कँवरसेन लिफ्ट नहर | बीकानेर व श्रीगंगानगर | इन्दिरा गाँधी नहर की पहली तथा सर्वाधिक लम्बी (151 किमी.) नहर है जिसे बीकानेर की जीवन रेखा भी कहते है। |
3 | पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर | बीकानेर तथा नागौर | विफ्लोराइडीकरण हेतु जायल (नागौर) में योजना चलायी जा रही है। |
4 | वीर तेजाजी लिफ्ट नहर | बीकानेर | सबसे छोटी लिफ्ट नहर है | |
5 | डॉ. करणीसिंह लिफ्ट नहर | बीकानेर व जोधपुर | |
6 | गुरू जम्भेश्वर लिफ्ट नहर | बीकानेर, जैसलमेर तथा जोधपुर | |
7 | जयनारायण व्यास लिफ्ट | जैसलमेर व जोधपुर |
अन्य तथ्य –
IGNP से सर्वाधिक सिंचाई बीकानेर जिले में होती है।
- IGNP से 8 जिलों में सिंचाई और नौ जिलों में पेयजल आपूर्ति होती है।
- IGNP में जल प्रबंधन हेतु स्काडा(SCADA) तकनीक का प्रयोग होता है। IGNP से भूमि में लवणीयता, सेम, दलदल, मरूस्थलीय जैव विविधता का ह्रास आदि समस्याएँ भी उत्पन्न हुई है।
- इराडी आयोग रावी – व्यास जल विवाद को हल करने के लिए गठित किया गया था जिसके तहत राजस्थान को 8.6MAF जल मिलेगा। इससे IGNP को अतिरिक्त जल मिल सकेगा।
गंग नहर
- लम्बाई – 292 किमी
- सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला जिला – श्रीगंगानगर
यह सतलज नदी पर निर्मित नहर है, जिसका निर्माण सन् 1927 में बीकानेर महाराजा गंगा सिंह जी ने करवाया था। महाराजा गंगासिंह जी को राजस्थान का भागीरथ भी कहा जाता है। यह राजस्थान की पहली नहर सिंचाई परियोजना थी। गंग नहर विश्व की पहली पक्की नहर है। यह हुसैनीवाला(पंजाब) से सतलज नदी से निकाली गई है। गंग नहर से श्रीगंगानगर में चार लिफ्ट नहरें निकली गई है :
- करणी लिपट
- समीजा लिपट
- लालगढ़ लिफ्ट
- लक्ष्मीनारायण लिफ्ट
भरतपुर नहर
- राज्यों की परियोजना– उत्तर प्रदेश व राजस्थान की संयुक्त नहर परियोजना है।
- सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला जिला – भरतपुर
भरतपुर नहर पश्चिमी यमुना की आगरा नहर से निकाली गई है। सन् 1906 में भरतपुर नरेश ने इस नहर का निर्माण कार्य शुरू करवाया था जो 1963 – 64 में पूर्ण हुआ था। इसकी कुल लम्बाई 28 कि.मी. उत्तर प्रदेश(16) व राजस्थान (12) है।
यमुना नहर परियोजना / गुड़गांव नहर
- राज्यों की परियोजना – हरियाणा व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला जिला – भरतपुर
उत्तर प्रदेश के औंखला से यमुना नदी से यह नहर निकाली गई है। इसका मुख्य उद्देश्य मानसूनकाल में यमुना नदी के अतिरिक्त जल को उपयोग लाना है। 1966 से 1985 तक इस नहर का निर्माण कार्य हुआ है। इसकी कुल लम्बाई 58 कि.मी. है। राजस्थान में यह जुरहरा गाँव, कामां (भरतपुर) से प्रवेश करती है। इससे भरतपुर की कामा व डींग तहसील की जलापूर्ति होती है।
भीखाभाई सागवाड़ा नहर
डुंगरपुर जिले की इस परियोजना को 2002 में केन्द्रीय जल आयोग ने स्वीकृति प्रदान की थी। इस परियोजना में माही नदी पर माही साइफन का निर्माण कराकर भीखाभाई सागवाडा नहर से 21 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा सृजित की जायेगी। इस परियोजना से डूंगरपुर जिले में सिंचाई की जाती है।
जाखम परियोजना
- सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला जिला – प्रतापगढ
प्रतापगढ़ के निकट अनूपपुरा गाँव में जाखम नदी पर निर्मित यह परियोजना 1962 में प्रारम्भ की गई थी। यह प्रतापगढ़ जिले की धरियावड एवं प्रतापगढ़ तहसील के 23.505 हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराती है। यह परियोजना आदिवासी क्षेत्रों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है। इससे प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा के आदिवासी क्षेत्रों को सिंचाई सुविधाएँ व पेयजल उपलब्ध होता है। परियोजना में जाखम बाँध से नीचे नागरिया गाँव में एक पिकअप बाँध बनाया गया है। मुख्य बाँध पर दो लघु पन विद्युत इकाईयाँ स्थापित की गई है।
राजीव गाँधी सिद्धमख व नोहर
वर्ष 1986 के व्यास रावी नदियों के जल बँटवारे के समझौते के तहत इन नदियों के अतिरिक्त जल के उपयोग हेतु यूरोपियन आर्थिक समुदाय के आर्थिक सहयोग से 5 अक्टूबर,1989 को भारत के भूतपूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी ने भिरानी गाँव के समीप इस परियोजना का शिलान्यास किया।
इस परियोजना से हनुमानगढ़ जिले की नोहर व भादरा तहसील तथा चूरू जिले की राजगढ़ तहसील के कुल 113 गाँवों की 1.11 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है। यह योजना वर्ष 2001-02 में पूर्ण हुई तथा 12 जुलाई, 2002 को भिरानी गाँव में श्रीमति सोनिया गाँधी द्वारा इसका लोकार्पण किया गया।
बीसलपुर परियोजना
यह राज्य की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में बनास नदी पर स्थापित है। इसका प्रारम्भ 1988-89 में हुआ था। इससे दो नहरें भी निकाली गयी है। इससे अजमेर, जयपुर, टोंक में जलापूर्ति होती है।
नर्मदा नहर परियोजना
- राज्यों की परियोजना – राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है
- सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला जिला – जालौर
नर्मदा नहर परियोजना की शुरूआत 2008 में हुई थी। नर्मदा नहर गुजरात में 458 किमी. तथा राजस्थान में 74 किमी. लम्बाई में विस्तृत है। गुजरात में इस पर सरदार सरोवर बांध का निर्माण किया गया है। राजस्थान में नर्मदा नहर सीलू गाँव (साँचोर, जालौर) द्वारा प्रवेश करती है। तथा बाड़मेर में गडामलानी तक यह नहर बनायी गई है। यह राजस्थान की पहली परियोजना है जिसमें स्प्रिंलर एवं ड्रिप सिंचाई पद्धति (फव्वारा पद्धति) अपनायी गई है। नर्मदा नहर पर सिंचाई के उद्देश्य से तीन लिफ्ट नहरें निकाली गई है:
- साँचौर
- भादरेडा
- पनोरिया
ईसरदा परियोजना
बनास नदी के अतिरिक्त जल को लेने के लिए यह परियोजना सवाई माधोपुर के ईसरदा गांव में बनी हुई है। इससे सवाईमाधोपुर, टोंक, जयपुर की जलापूर्ति होती है।
परवन वृहद बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना
- ‘परवन’ वृहद बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना झालावाड़ के निकट परवन नदी पर निर्माणाधीन है।
- परियोजना को वर्ष 2023 में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है।
- परियोजना के अर्न्तगत 1,821 गांवों में पेयजल उपलब्ध करवाने के साथ-साथ झालावाड़, बारां एवं कोटा जिले के 637 गांवों की 2,01,400 हैक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
- यह परियोजना तापीय विद्युत परियोजना हेतु 79 मिलियन घनमीटर जल उपलब्ध करवाएगी, जिससे कुल 2,970 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा सकेगा।
- राज्य सरकार द्वारा परवन परियोजना की संशोधित प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति राशि ₹7,355.23 करोड़ की जारी की गई। परियोजना पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसम्बर, 2020 तक ₹446.00 करोड व्यय किये जा चुके हैं।
नवनेरा बैराज (ई.आर.सी.पी.)
- यह परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) का एक अभिन्न हिस्सा होगी।
- नवनेरा बैराज परियोजना की लागत ₹1,595.06 करोड़ है, परियोजना का कार्य प्रगतिरत है|
- यह परियोजना 2023 तक पूरी होने की सम्भावना है।
राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना (आर.डबल्यू.एस.एल.आई.पी.)
- 27 जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं के पुनर्वास और नवीनीकरण के लिए राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना को जापान इन्टरनेशनल कॉपरेशन एजेंसी (जाइका) से ऋण सहायता प्राप्त करने के लिए मंजूरी दी गई है।
- इस परियोजना के तहत कुल सिंचित क्षेत्र 4.70 लाख हैक्टेयर को जल दक्षता में वृद्धि से लाभ होगा।
- परियोजना की अवधि 8 वर्ष होगी।
- परियोजना की अनुमानित लागत ₹2,348.87 करोड़ (35,468 मिलियन येन) है।
राजस्थान के मरू क्षेत्र हेतु जल पुनर्गठन परियोजना (आर.डबल्यू.एस.आर.पी.डी.)
- इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के पुनर्गठन के लिए न्यू डवलपमेंट बैंक द्वारा इस परियोजना को वित्त पोषित किया गया है।
- इसका लाभ श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, बीकानेर, झुन्झूनू, सीकर जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों को मिलेगा |
राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना
- फसल उत्पादन के पूर्वानुमान के लिए मौसमी उपज आंकड़ो का उपयोग करके और भू-जल स्थितियों की जानकारी प्रदान करके सूखा प्रबन्धन के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना विश्व बैंक व केन्द्र सरकार द्वारा अनुमोदित की गई है।
- इस योजना हेतु नोडल विभाग जल संसाधन विभाग, राजस्थान है एवं भू-जल विभाग इसमें सहयोगी विभाग है।
राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ: लघु व मध्यम
क्र. सं. | जिला | राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ |
1 | अजमेर | नारायण सागर बाँध |
2 | अलवर | जयसागर बाँध |
3 | बाराँ | बैंथली, ल्हासी, अंधेरी, परवन, विलास |
4 | बाड़मेर | बाटाडू का कुआँ |
5 | भरतपुर | बारेठा बाँध |
6 | बूंदी | चाकण, मेज, कनकसागर, गरदड़ा |
7 | चित्तौड़गढ़ | बडगाँव, वागन, ओराई सिंचाई परियोजना, गम्भीरी |
8 | चूरू | तालछापर बांध |
9 | दौसा | चीर-मीरी, रेहडियो सागर, सिल्ल-मिली, माधो सागर |
10 | धौलपुर | तालाबशाही, पार्वती परियोजना |
11 | डूंगरपुर | सोम-कमला-अम्बा, एडवर्ड/गैवसागर, भीखाभाई सागवाड़ा |
12 | जयपुर | कानोता बांध, छापरवाड़ा बाँध |
13 | जालौर | बाँकली बाँध |
14 | झालावाड़ | चोली, पिपलाद, गागरीन, काली सिन्ध, छापी, भीमसागर, हरिश्चन्द्र सागर, मनोहरथाना |
15 | झुंझुनं | अजीतसागर बाँध |
16 | जोधपुर | जसवंत सागर बाँध, बाल समन्द, उम्मेद सागर बाँध |
17 | कोटा | गोपालपुरा, तकली, अलनिया, हरिश्चन्द्र, सावन भादो |
18 | पाली | जवाई नहर |
19 | राजसमंद | नन्द समन्द |
20 | सवाईमाधोपुर | ईसरदा, इंदिरा गाँधी लिफ्ट सिंचाई (चम्बल पर), पिपलदा, मोरेल |
21 | सिरोही | सूकड़ी सेलवाडा |
22 | उदयपुर | जाना सागर, सोम कागदर, मानसी वाकल परियोजना |
23 | भीलवाड़ा | मेजा बाँध |
24 | करौली | पांचना बाँध |
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