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SUBJECT – आर्थिक सर्वेक्षण – एसडीजी
TOPIC – राज्य वित्त और विकास के लिए अन्य संसाधन | सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)
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Q1 एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा वित्त पोषित किन्हीं दो परियोजनाओं के नाम बताइए।2M
Answer:
- राजस्थान माध्यमिक नगर विकास क्षेत्र परियोजना (RSTDSP)
- जनवरी, 2021 से नवंबर, 2027 तक
- राजस्थान शहरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम– (RUIDP चरण-III)
- राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम (चरण 1 और चरण 2)
Q2 रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना। 5M
Answer:
- यह परियोजना न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) द्वारा वित्त पोषित है।
- परियोजना मई, 2018 से प्रभावी है और फरवरी, 2025 तक पूरी होने वाली है।
- परियोजना की कुल लागत ₹3,291.63 करोड़ अनुमानित है और इसे सात वर्षों में निष्पादित करने का प्रस्ताव है।
- श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, बीकानेर, जोधपुर, सीकर, झुंझुनू, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों को लाभ |
- मुख्य विशेषताएं:
- इंदिरा गांधी फीडर की रिलाइनिंग
- SEM की समस्या दूर होगी
- जल उपयोगकर्ता संघ की क्षमता निर्माण, सूक्ष्म सिंचाई, कृषि विविधीकरण आदि सहित कमांड क्षेत्र विकास गतिविधियाँ।
- IGMN की वितरण प्रणाली का पुनर्वास
Q3 सतत विकास लक्ष्य एजेंडा 2030 को प्राप्त करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा की गई महत्वपूर्ण पहलों पर चर्चा करें।10M
Answer:
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 17 वैश्विक लक्ष्यों का एक समूह है, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2015 में सतत विकास के 2030 एजेंडे के भाग के रूप में स्थापित किया गया था।
सतत विकास लक्ष्यों के प्रति राजस्थान की प्रतिबद्धता :
संस्थागत व्यवस्था
- योजना विभाग को नोडल विभाग घोषित किया गया है।
- एसडीजी क्रियान्वयन केन्द्र आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय में कार्यरत है।
- राज्य में राज्य एवं जिला स्तरीय क्रियान्वयन एवं निगरानी समितियां संस्थागत हैं।
- रिपोर्ट का प्रकाशन : राजस्थान सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 3.0
नीतियां और पहल:
लक्ष्य 1: गरीबी उन्मूलन → ग्रामीण गरीबी दूर करने में राजीविका और रूडा की भूमिका, रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना
लक्ष्य 2: भुखमरी की समाप्ति → श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना, मुख्यमंत्री मुफ्त अन्नपूर्णा भोजन पैकेट योजना
लक्ष्य 3: अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली → स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम, 2022, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना
लक्ष्य 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा → राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का गठन, शिक्षक इंटरफेस फॉर एक्सीलेंस (TIE) कार्यक्रम आदि
लक्ष्य 5: लैंगिक समानता: राजस्थान राज्य महिला नीति 2021, आईएम शक्ति निधि योजना, आईएम (इंदिरा महिला) शक्ति उड़ान योजना
लक्ष्य 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता → जल जीवन मिशन, ग्राम स्वास्थ्य और स्वच्छता एवं पोषण समितियों (VHSNC), एसबीएम के तहत प्रशिक्षण
लक्ष्य 7: सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा → राजस्थान अक्षय ऊर्जा नीति, 2023 ; हरित हाइड्रोजन नीति ; राजस्थान बायोमास और अपशिष्ट से ऊर्जा नीति-2023
लक्ष्य 8: सभ्य कार्य और आर्थिक विकास → RITI का गठन, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना
लक्ष्य 9: उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचा → RICCO, iStart राजस्थान द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका
लक्ष्य 10: असमानताओं में कमी → मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना, मुख्यमंत्री चिरंजीवी श्रमिक संबल योजना-2023, इंदिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना (IGSCCY)
लक्ष्य 11: संधारणीय शहर और समुदाय → लवकुश वाटिकाएँ, ग्रीन लंग्स
लक्ष्य 12: जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन → राजस्थान ई-कचरा प्रबंधन नीति 2023, राजस्थान जैव ईंधन प्राधिकरण
लक्ष्य 13: जलवायु कार्रवाई → राजस्थान जलवायु परिवर्तन नीति 2023
लक्ष्य 14: जल के नीचे जीवन → तीन जलाशयों अर्थात् जयसमंद, माही बजाज सागर और कडाना बैकवाटर में आदिवासी मछुआरों के उत्थान के लिए ‘शून्य राजस्व’ मॉडल पर महत्वाकांक्षी योजना; मछली लैंडिंग केंद्रों का निर्माण,
लक्ष्य 15: भूमि पर जीवन → राजस्थान वन नीति 2023, राजस्थान वानिकी और जैव विविधता विकास परियोजना
लक्ष्य 16: शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएँ → राजस्थान में शांति और अहिंसा विभाग की स्थापना, राजस्थान परिवर्तन और नवाचार संस्थान (RITI)
लक्ष्य 17: लक्ष्य प्राप्ति में सामूहिक साझेदारी → महात्मा गांधी जन-भागीदारी विकास योजना (MGJVY), इन्वेस्ट राजस्थान समिट 2022, राजीव गांधी जल संचय योजना (RGJSY)
राजस्थान सरकार द्वारा इन सार्वभौमिक, परस्पर संबद्ध और सहभागी दृष्टिकोणों के कार्यान्वयन से समावेशिता सुनिश्चित होगी और ‘किसी को पीछे न छोड़ने’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
Q4 निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 250 शब्दों में निबंध लिखिए –
धर्म एवं राजनीति में सम्यक दर्शन कितना आवश्यक
Answer:
धर्म एवं राजनीति में सम्यक दर्शन कितना आवश्यक
जिस प्रकार नमक का धर्म खारापन, पानी का धर्म तरलता, अग्नि का धर्म ऊष्मा एवं पृथ्वी का धर्म दृढ़ता है वैसे ही मानव का धर्म मानवता होता है। अपने इस धर्म से निरपेक्ष होने पर उनकी उपयोगिता और महत्ता स्वतः नष्ट हो जाती है।
जैसा कि हम जानते हैं कि धर्म एवं राजनीति का मेल घातक माना जाता है। इसे तथाकथित पढ़े लिखे लोगों द्वारा भ्रम के रूप में लाया गया है। इसे हम एक भय के रूप में पाल पोश रहे हैं इसके सामने गांधीजी के इस सम्यक दर्शनपूर्ण आग्रह की भी परवाह नहीं की कि “धर्म विहीन राजनीति” मधुमक्खी के छत्ते की तरह है जिसमें मधु को कुछ नहीं होता, किंतु वहाँ काटने वाले विषैले बर्रे के झुंड जरूर होते हैं। समस्या का हल भ्रम द्वारा नहीं अपितु केवल सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र से ही हो सकता है।
वर्तमान धर्म एवं राजनीति के स्वरूप को सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र की जरूरत है। भ्रमित ज्ञान के आधार पर हम धर्म एवं राजनीति और इनके मेलजोल पर सम्यक निश्चय नहीं कर सकते। इसके लिये धर्म और राजनीति तथा इनके परस्पर संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ में सही विवेचन करना आवश्यक है।
अगर धर्म की बात करें तो धर्म एक ऐसा दिव्य मंत्र है, जो संपूर्ण सृष्टि के धारण एवं संचालन के निमित्त, संपूर्ण मानवता, मानवीय मूल्यों की अभिव्यक्ति को प्राप्त कराने हेतु सभी प्रकार के कर्मों के निर्धारण एवं संपादन द्वारा मुक्ति प्रदान करने की व्यवस्था करता है। आदि पुरुष मनु के अनुसार धर्म का स्वरूप-
धृति क्षमा दमोस्तेय, शौचमिन्द्रिय निग्रहः।
धी: विधा सत्यम् अक्रोधो दशकम धर्मलक्षणम्
अर्थ- अर्थ सत्य, अहिंसा, अक्रोध, ईश्वर, धैर्य, क्षमा, अंदर और बाहर की शुद्धि, अस्तेय, विद्या एवं विवेक धारण यह मनुष्य मात्र के धर्म माने जाते हैं। धर्म रूपी व्यवस्था के पालन से व्यक्ति एवं समाज दोनों की उन्नति साथ-साथ होती है एवं किसी का अहित भी नहीं होता। यह सत्य है कि सामाजिक सुरक्षा एवं सुव्यवस्था में जितना स्थान पुलिस और प्रशासन का होता है उससे कहीं ज्यादा योगदान धर्म के मूलभूत तत्त्वों एवं सिद्धांतों का होता है।
अगर राजनीति की बात की जाए तो हम कह सकते हैं कि राजनीति सामाजिक व्यवस्था का ही एक रूप है। एक निश्चित भूमि पर अपनी विशिष्ट संस्कृति और एकात्मक बहाव के साथ जीवन यापन करने वाले जब अपने राष्ट्र को जनहित में संचालित करने हेतु उचित नीति और व्यवस्था का पालन करते हैं, वह राजनीति कहा जाता है।
धर्म एवं राजनीति के स्वरूप की सम्यक विवेचना एवं समृद्ध दर्शन के उपरांत यह भ्रम खत्म हो जाता है कि राजनीति और धर्म का मेल घातक भी हो सकता है। राजनीति वह कार्यकारी व्यवस्था है जिसके द्वारा व्यष्टि एवं समष्टि के मध्य समन्वय एवं संतुलन स्थापित किया जाता है। वही धर्म, मानव के मूलभूत तत्त्व है जो उसे सुख, शांति, सामंजस्य और समृद्धि के साथ रहने की शक्ति प्रदान करते हैं। इन सिद्धांतों की बदौलत ही व्यक्ति और समाज लौकिक एवं पारलौकिक उन्नति प्राप्त करता है। इस प्रकार धर्म एवं राजनीति एक ही उद्देश्य को प्राप्त करने के व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक पहलू हैं। इन दोनों पहलुओं का मेल एक दूसरे की क्षमता बढ़ाने के लिये आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य भी है।सामाजिक सुव्यवस्था स्थापित करने वाली राजनीति में मान्य सिद्धांतों का समावेश अनावश्यक है तभी इस दिशा में व्याप्त भ्रम दूर हो सकेगा। समावेशन न होने की स्थिति में हिंसा, अलगाव, दंगे, हाथापाई, हिंसक प्रदर्शन, हड़ताल, भ्रष्टाचार आदि में दिनोंदिन वृद्धि होगी। धर्म का प्रभाव न रहने से अधर्म का प्रभाव बढ़ेगा। जैसा की विधित है प्रकाश की अनुपस्थिति में अंधकार का प्रभुत्व हो जाता है। अतः यह स्पष्ट है कि राजनीति में धर्म का मेल घातक नहीं अपितु मंगलकारी ही होता है।