28 June Ras Mains Answer Writing Practice

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SUBJECT – आर्थिक सर्वेक्षण – शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियां

TOPIC – शहरीकरण और शहरी विकास | बुनियादी सामाजिक सेवाएँ – शिक्षा और स्वास्थ्य | अन्य सामाजिक सेवाएँ/कार्यक्रमआर्थिक सर्वेक्षण

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Q1 राजस्थान सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए उठाए गए कदमों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।10M

Answer:

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए उठाए गए कदम

  1. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का एकीकरण:
    1. स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा: कक्षा 1 से शुरू।
    2. शाला दर्पण शिक्षक ऐप: शिक्षकों के लिए लॉन्च किया गया।
    3. ऑनलाइन सुरक्षा और डिजिटल लर्निंग कौशल: साइबर सुरक्षा जागरूकता पहल और डिजिटल लर्निंग कौशल अभिविन्यास।
    4. शाला सिद्धि: गुणवत्ता सुधार के लिए स्कूल मानकों और मूल्यांकन पर राष्ट्रीय कार्यक्रम।
    5. क्लिक योजना: कक्षा 6वीं से 10वीं के छात्र → कंप्यूटर प्रशिक्षण
    6. दीक्षा राइज़ पोर्टल: वेब पोर्टल पर ई-सामग्री बनाई और प्रकाशित की गई है।
    7. ई-शिक्षा पहल, जिसमें 300 स्कूलों में रोबोटिक्स लैब और बोर्ड के छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं के लिए ‘स्कूल के बाद स्कूल’ योजना शामिल है।
    8. उच्च प्राथमिक विद्यालयों में समग्र शिक्षा अभियान (एसएमएसए) के तहत कंप्यूटर सहायता प्राप्त शिक्षण कार्यक्रम (CALP)
  2. शिक्षकों को सशक्त बनाना:
    1. राजस्थान राज्य संकाय विकास अकादमी: उच्च शिक्षा सुधार के लिए स्वीकृत।
    2. उत्कृष्टता के लिए शिक्षक इंटरफ़ेस (TIE) कार्यक्रम: 500 शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण।
    3. निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम: प्राथमिक शिक्षकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण।
    4. शिक्षक प्रदर्शन मूल्यांकन कार्यक्रम।
  3. संस्थागत सुदृढ़ीकरण और सुधार:
    1. राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण (SSSA): राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, स्कूल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए।
    2. आदर्श विद्यालय योजना: माध्यमिक/वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित करती है।
    3. स्वामी विवेकानंद सरकारी मॉडल स्कूल: आर्थिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में संचालित।
    4. व्यावसायिक शिक्षा: विभिन्न ट्रेडों के साथ व्यावसायिक शिक्षा स्कूलों को मंजूरी दी गई।
  4. वैश्विक सहभागिता और सहयोग:
    1. राजीव गांधी शैक्षणिक उत्कृष्टता छात्रवृत्ति योजना: 500 छात्रों को अध्ययन के लिए विदेश भेजना।
    2. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: शिक्षक प्रशिक्षण और अन्य कार्यक्रमों के लिए यूनिसेफ के साथ सहयोगात्मक पहल।
    3. राज्यों के लिए शिक्षण-अधिगम और परिणाम को सुदृढ़ बनाना (स्टार्स) परियोजना: विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित परियोजना।
  5. सामाजिक जागरूकता और समावेशिता को बढ़ावा देना:
    1. मीना-राजू और गार्गी मंच: बाल विवाह और दहेज जैसे सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना।
    2. लिंग ऑडिट: चुनिंदा जिलों में लड़कियों की 100% शिक्षा, प्रतिधारण और नामांकन सुनिश्चित करना।
    3. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए गतिविधियाँ: समावेशी शिक्षा सेवाएँ।
    4. ‘घर पर स्कूल’ कार्यक्रम: विशेष स्कूल के छात्रों के लिए 24×7 शैक्षिक हेल्पलाइन।
    5. ‘सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान’: छात्रों को ‘अच्छा स्पर्श बुरा स्पर्श’ के बारे में शिक्षित करना।
    6. प्रस्तावना और मौलिक कर्तव्यों का वाचन: हर स्कूल में हर शनिवार को।

मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र: जोधपुर और कोटा के लिए योजना बनाई गई।

Q2 राज्य में स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार के लिए राजस्थान सरकार द्वारा किये गए प्रयासों पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। 10M

Answer:

राजस्थान सरकार ने “राजस्थान सार्वजनिक स्वास्थ्य मॉडल” तैयार करने और राज्य में स्वास्थ्य संकेतकों को बढ़ाने के लिए अनेक पहलों को क्रियान्वित किया है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य

  • मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य (MA-Voucher) योजना: सरकारी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में निजी केंद्रों पर निःशुल्क सोनोग्राफी जांच के लिए गर्भवती महिलाओं को क्यूआर कोड आधारित ई-वाउचर प्रदान किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना: वित्तीय सहायता 5,000 रुपये से बढ़ाकर 6,500 रुपये की गई। (Budget 2024-25).
  • ब्लॉक स्तर पर आदर्श आंगनबाड़ी: स्वास्थ्य जांच, पोषण और प्रीस्कूल शिक्षा को बढ़ावा देता है। (Budget 2024-25).
  • इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना (IGMPY): कम वजन वाले शिशुओं के जन्म दर को कम करने तथा गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 3 वर्ष तक की आयु के बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए सभी 33 जिलों में कार्यान्वित किया गया।
  • ‘प्रसव Watch’ Application: संस्थागत प्रसव की निगरानी में उत्कृष्टता के लिए पुरुस्कृत ।

स्वास्थ्य सेवा सुलभता और वित्तीय सहायता : 

  • राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम, 2022: सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में निःशुल्क ओपीडी और आईपीडी सेवाओं, साथ ही चुनिंदा निजी सुविधाओं की गारंटी देता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 और अनुच्छेद 21 के आधार पर 20 अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
  • मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना: पूर्व नाम चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करना। कवरेज ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख की गई।
  • राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) : दवाओं की घर-घर डिलीवरी (Budget 2024-25)
  • मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना: 1 मई, 2022 से निःशुल्क दवाइयां और नैदानिक ​​सेवाएं प्रदान करने के लिए “मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना” और “मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना” का विस्तार किया गया।
  • चिरंजीवी जीवन रक्षा योजना: सड़क यातायात दुर्घटना पीड़ितों को 72 घंटे तक निःशुल्क आपातकालीन उपचार प्रदान किया जाता है।
  • मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना: विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं के लिए ₹10 लाख तक का बीमा कवर प्रदान करता है।
  • राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण: मानसिक रोगियों की देखभाल के लिए स्थापित।

रोग की रोकथाम और नियंत्रण :

  • निरोगी राजस्थान अभियान: मौसमी, संचारी और गैर-संचारी रोगों तथा प्रदूषण से निपटने के लिए 18 दिसंबर, 2019 को लॉन्च किया गया।
  • शुद्ध के लिए युद्ध अभियान: खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए 26 अक्टूबर, 2020 को लॉन्च किया गया।
  • टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान: इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में क्षय रोग (टी.बी) का उन्मूलन करना है।
  • अंधत्व नियंत्रण नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य: ‘दृष्टि के अधिकार’ का लक्ष्य.
  • सिलिकोसिस नीति: यह योजना सिलिकोसिस से पीड़ित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है तथा इसमें पहचान, पुनर्वास, रोग की रोकथाम और कार्यस्थलों पर नियंत्रण के उपाय शामिल हैं।
  • राज्य में जूनोटिक रोग नियंत्रण के लिए ‘राज्य एक-स्वास्थ्य कार्य योजना’ बनाई जाएगी।

चिकित्सा शिक्षा और बुनियादी ढांचा :

  • मेडिकल कॉलेज: सीएसएस चरण-III के अंतर्गत 15 नए चिकित्सा केंद्रों का कार्य प्रगति पर है।
  • राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के एकीकृत कॉलेज शुरू किए गए हैं (AYUSH)
  • दुर्लभ बीमारियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना हेतु बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘जेनजाइम’ के साथ समझौता किया गया।
  • कोविड-19 जांच: सभी जिला मुख्यालयों पर आरटी पीसीआर जांच सुविधाएं उपलब्ध। ऑक्सीजन और आईसीयू बेड क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि।
  • डिजिटलीकरण → JHPIEGO के साथ समझौता: गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल बनाने के लिए।
  • PCTS mobile app लॉन्च : प्रदेश की 53 हजार से अधिक आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र की महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं की दिन-प्रतिदिन की रिपोर्टिंग इस मोबाइल पर कर सकेंगी।

प्राथमिक स्वास्थ्य और AYUSH एकीकरण

  • जनता क्लिनिक: शहरी गरीब और कमजोर आबादी को उच्च गुणवत्ता वाली प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है।
  • राजस्थान राज्य AYUSH अनुसंधान केंद्र: अजमेर में स्थापित
  • स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्रों के रूप में 500 आयुर्वेद औषधालय चालू किये गये।

महिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम

  • IM (इंदिरा महिला) शक्ति उड़ान योजना: निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना तथा दूरदराज के क्षेत्रों में मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • एनीमिया मुक्त राजस्थान के लिए शक्ति दिवस: बच्चों, किशोरियों, विवाहित महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में एनीमिया को कम करने के लिए विशेष गतिविधियों का आयोजन करवाया गया।
  • राजस्थान जननी शिशु सुरक्षा योजना (RJSSY): गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए निःशुल्क दवा, प्रयोगशाला परीक्षण, भोजन, रक्त सुविधाएं और रेफरल परिवहन की सुविधा प्रदान की जाती है।

स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार

  • NFHS-5 2019-21 vs. NFHS-4 2015-16
    • नवजात मृत्यु दर: प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 29.8 से घटकर 20.2 हो गई।
    • शिशु मृत्यु दर: प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 41.3 से घटकर 30.3 हो गई।
    • संस्थागत प्रसव: 84% से बढ़कर 94.9% हो गए।
  • मातृ मृत्यु अनुपात: प्रति 100,000 जन्मों पर 113 (SRS 2018-20). 

यह सब प्रयास स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा रोग निवारण प्रयासों के माध्यम से स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार लाने में राजस्थान की महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाते हैं।

Q3 निम्नलिखित विषय पर लगभग 250 शब्दों में निबंध लिखिए –
लोकतंत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

Answer:

लोकतंत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व: समृद्धि की दिशा
कांपती हैं बिजली बादल, बहती हैं नदियाँ जब महिलाएं आती हैं,
सामाजिक परिवर्तन की ओर, एक नई दिशा बताती हैं।

लोकतंत्र, एक समानिकरणात्मक तंत्र है जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार होते हैं। महिलाएं समाज की अदृश्य शक्ति हैं। महिलाओं का प्रतिनिधित्व न केवल एक समृद्धि के अंग रूप में कारगर होता है बल्कि यह समाज के सभी क्षेत्रों में विकास की दिशा में एक नई ऊंचाइयों की ओर पहुँचने का एक माध्यम भी है।

आँकड़ों के अनुसार, विश्व भर में महिलाएँ लोकसभा के कुल सदस्यों के 14.44% का प्रतिनिधित्व करती हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा केवल 10.5% है। राज्य विधानसभाओं में तो स्तिथि बदतर है, जहाँ राष्ट्रीय औसत मात्र 9% है। आज़ादी के पिछले 75 वर्षों में लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 % भी नहीं बढ़ा है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि हमें इस क्षेत्र में और भी मेहनत करनी होगी।

महिलाओं के राजनैतिक प्रतिनिधित्व में कमी के प्रमुख करण हैं लिंग संबंधी रूढ़ियाँ, अशिक्षा, सामाजिक कंडीशनिंग, पारिवारिक उत्तरदायित्व का असमान वितरण, राजनीतिक नेटवर्क का अभाव, राजनीतिक दलों की संरचना और प्रतिकूल वातावरण।

सरकार इन सब कुरीतियों से समाज को मुक्त करवाने में प्रयासरत है। संविधान का अनुच्छेद 243D से पंचायती राज संस्थाओं में एक तिहाई सीटों को महिलाओं के लिये आरक्षित किया गया है। यह आंकड़ा राजस्थान में 50% है (आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं)। हाल ही में संसद ने 106वाँ  संविधान संशोधन अधिनियम 2023 को पारित किया है जिससे आगामी कुछ वर्षों में भारत में सभी विधानमंडल सदस्यों या विधि-निर्माताओं (सांसद, विधायक) में कम से कम 33% महिलाएँ होंगी।

कार्ल संडबर्ग ने कहा, “समाज में बदलाव का सबसे बड़ा स्रोत है महिलाओं का सकारात्मक प्रतिनिधित्व।” इस विचार का सारांश है कि महिलाएं ही समाज को एक नई दिशा में एक नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती हैं। उनका प्रतिनिधित्व आने वाली पीढ़ियों को एक सशक्त और समृद्ध समाज की दिशा में पहुँचाएगा।

सरकारी प्रयासों के साथ, भारतीय समाज को भी महिलाओं को आगे लाने के लिए कुछ सुधार लाए जाने आवश्यक हैं जैसे पारिवारिक कार्यों के वितरण में समानता, महिलाओं को अधिक सक्षम बनाने के लिए औपचारिक और राजनीतिक शिक्षा, राजनीतिक दलों में गिल फॉर्मूला पर आधारित महिला कोटा, पार्टी के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा आदि। इससे उन्हें नेतृत्व के अवसर मिलते हैं और वे राजनीतिक प्रक्रिया में बेहतरीन योजनाएं बना सकती हैं। महिलाएं समाज में ऊंचाइयों पर पहुँचने का संघर्ष करती हैं, और उन्हें उच्च स्थान पर लाने में उन्हें समर्थ बनाने का कार्य हम सभी का है।

महात्मा गांधी ने कहा, “समाज की स्वस्थता का मूल आधार उसकी महिलाओं की स्थिति में छुपा होता है।” 

इन प्रयासों से ही हम एक समृद्धि और समान समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं, जहाँ हर व्यक्ति को उसके योगदान के आधार पर समानता की सही मात्रा मिले। वर्तमान में युवा भारतीय महिलाएँ संभवतः किसी भी अन्य समूह की तुलना में आकांक्षी भारत का अधिक प्रतिनिधित्व करती हैं। अवसर मिलने पर वे हमारी गतिहीन राजनीति में एक नई ऊर्जा ला सकती हैं और इसे स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और आजीविका जैसी बुनियादी आवश्यकताओं के वितरण की दिशा में ले जा सकती हैं।  

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