17 June Ras Mains Answer Writing

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SUBJECT – Indian Economy

TOPIC – कृषि- भारतीय कृषि में वृद्धि एवं उत्पादकता की प्रवृत्तियाँ | खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और खाद्य प्रबंधन | कृषिगत सुधार और चुनौतियाँ।औद्योगिक क्षेत्र की प्रवृत्तियाँ – औद्योगिक नीति एवं औद्योगिक वित्त | उदारीकरण,वैश्वीकरण, निजीकरण और आर्थिक सुधार। अवसंरचना और आर्थिक वृद्धि

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Q1 पीएम किसान सम्पदा योजना के उद्देश्य और घटक क्या हैं? 5M

Answer:

कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और कृषि-प्रसंस्करण समूहों के विकास के लिए योजना

  • मंत्रालय – MoFPI
  • कुल 6000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 2017 में घोषित
  • उद्देश्य – किसानों की आय दोगुनी करना, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार, भोजन की बर्बादी कम करना, निर्यात बढ़ाना, उपभोक्ताओं के लिए विकल्प बढ़ाना, कुपोषण का इलाज करना, मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना।
  • 7 घटक –
    • मेगा फ़ूड पार्क -अब तक 24 मेगा फूड पार्क चालू हैं
    • राजस्थान में – ग्रीनटेक मेगा फूड पार्क, अजमेर
    • एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना
    • कृषि-प्रसंस्करण समूहों के लिये अवसंरचना
    • बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का निर्माण
    • खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमताओं का निर्माण/विस्तार
    • खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना
    • मानव संसाधन संस्थान

Q2 भारतीय औद्योगिक क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए किए गए प्रमुख सुधारों को सूचीबद्ध कीजिए । 10M

Answer:

देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 17% योगदान और 27.3 मिलियन से ज़्यादा कर्मचारियों के साथ, विनिर्माण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत सरकार को उम्मीद है कि 2025 तक अर्थव्यवस्था का 25% उत्पादन विनिर्माण से आएगा।

चुनौतियां – 

  • बुनियादी ढांचे का अभाव
    • बिजली
    • परिवहन
    • संचार
  • वित्त की कमी
    • अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर MSMEs 
    • Bad loan / Poor NPA/अपरिपक्व पूंजी बाजार 
    • खराब प्रदर्शन –
      • खराब ऋण-इक्विटी अनुपात 
      • खराब ब्याज कवरेज अनुपात 
    • balance sheet की 4 समस्या – बैंक + Infrastructure companies + NBFCs + Real estate companies
  • नौकरशाही की ओर से बाधाएँ
    • लालफीताशाही 
    • भ्रष्टाचार 
    • अत्यधिक अनुपालनाएं 
    • चक्रव्यूह चुनौती: प्रवेश में आसानी, निकास में बाधाएं
    • Ex – भारत में, एक फर्म शुरू करने में औसतन 18 दिन लगते हैं। न्यूज़ीलैंड में, यह केवल आधे दिन का समय है। भारत में एक अनुबंध को लागू करने में लगभग 4 साल लगते हैं और लगभग एक तिहाई दावा लागत (claim cost) लगती है। चीन में यह केवल 1.5 साल है [Eco Survey].
  • बाहरी समस्याएं
    • अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध 
    • चीन के साथ प्रतिस्पर्धा 
    • रूस-यूक्रेन युद्ध (महंगे इनपुट)
    • कोविड-19 (वैश्विक मंदी)
    • अस्थिर FPI

किए गए सुधार – 

  • वित्तीय सुधार
    • MSME के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) 
    •  भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड, 2016
    • संस्थागत ऋण –
      • ICICI – भारतीय औद्योगिक ऋण एवं निवेश निगम 
      • IFCI – भारतीय औद्योगिक वित्त निगम 
      • IDBI – भारतीय औद्योगिक विकास बैंक 
      • SIDBI – भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक 
    • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI scheme). 
    • कॉर्पोरेट कर में कटौती [मौजूदा के लिए 22% और नए के लिए 15%] 
    • बजट 2024 – पूंजीगत व्यय बजट 11.11 लाख करोड़ है [11% वृद्धि] पूंजीगत व्यय से जीडीपी अनुपात – 3.4% 
    • बांड बाजार के विकास के लिए SEBI सुधार, बैंकों के लिए 4R [अब NPA 10% से घटकर 4% हुआ] Recognize, Recapitalize, Resolve, Reform
  • शासन सुधार
    • उद्यमी मित्र portal 
    • राष्ट्रीय Single Window प्रणाली 
    • Make In India 2.0 
    • GST 
    • PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) 
    • औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम
    •  29 श्रम कानूनों को 4 संहिताओं में युक्तिसंगत बनाना – वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता, 2020
  • बाहरी समस्याओं को हल करने के लिए सुधार
    • कई उद्योगों को स्वचालित मार्ग (automatic route) से 100% FDI प्राप्त करने की अनुमति देना
      • Ex हाल ही में रक्षा विनिर्माण को स्वचालित मार्ग से 100% एफडीआई की अनुमति दी गई। 
    • इस्पात उद्योग के क्षेत्र में भारत और जापान के बीच समझौता। 
    • उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकियों में निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यूएई-भारत समझौता। 
    • उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत और अमेरिका के बीच समझौता। 
    • कोविड-19 के झटकों से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान (ABY)

भारत वर्तमान में शीर्ष तीन पसंदीदा वैश्विक विनिर्माण स्थानों में से एक है और 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के निर्यात को प्राप्त करने की पर्याप्त क्षमता रखता है। ये सुधार भारत को एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाएंगे।

Q3भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कई समस्याओं को हल करने की अपार क्षमता है। हालाँकि, कई चुनौतियों के कारण, हम अभी भी इस उद्योग की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाए हैं। समझाएँ। 10M

Answer:

Sol -खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कच्चे कृषि और पशुधन उत्पादों को उपभोग के लिए उपयुक्त मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों में बदलना शामिल है। यह भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो निर्यात का 13% और औद्योगिक निवेश का 6% हिस्सा है।

कई समस्याओं को हल करने की क्षमता – 

  • बेरोज़गारी
    • सभी पंजीकृत कारखानों के लगभग 12% श्रमिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कार्यरत हैं। 
    • लगभग 50 लाख अपंजीकृत श्रमिक
  • भोजन की बर्बादी
    • Food processing can save the 92500 crore post harvest losses 
  • किसानों की कम आय
    • कृषि परिवार की औसत आय औसत भारतीय आय से कम है।
    • डेयरी, मांस, पोल्ट्री, मसालों में खाद्य प्रसंस्करण से अतिरिक्त बफर आय हो सकती है।
  • खाद्य मुद्रास्फीति
    • जमाखोरी या फसल खराब होने के कारण कृषि वस्तुओं की कीमतें कई गुना बढ़ जाती हैं।
    • केचप और पैकेज्ड फूड जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं को विकल्प प्रदान करते हैं।
  • कम कृषि निर्यात [कृषि निर्यात नीति 2018 के तहत $60 बिलियन का लक्ष्य] 
  • कुपोषण की समस्या
    • 57% महिलाएँ [15-49 वर्ष आयु] एनीमिया से पीड़ित हैं।
    • 5 वर्ष से कम आयु के 67% बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं।
    • चावल और दूध को सुदृढ़ बनाने (fortification) जैसी खाद्य प्रसंस्करण विधियों से एनीमिया, बौनापन, दुर्बलता और कुपोषण की समस्या का समाधान हो सकता है। 
  • एकल फसल (monocropping) की समस्या
    • खाद्य प्रसंस्करण, बाजरा, कृषि वानिकी, पशुपालन आदि को बढ़ावा देकर sustainable कृषि को बढ़ावा देता है।
  • भारत में प्राथमिक क्षेत्र में मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी का अभाव
    • खाद्य प्रसंस्करण कृषि और उद्योग के बीच की कड़ी है। इसलिए यह कृषि में नई तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देता है। 

चुनौतियां – 

कृषिक्षेत्र के स्तर पर – 

  • उत्पाद में गुणवत्ता की कमी
  • उत्पादन में कमी (मात्रा)
  • सुरक्षा मानदंड [उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का अत्यधिक उपयोग] – Sanitary and phytosanitary (SPS) measures 

फैक्ट्री स्तर पर – 

  • > 75% असंगठित है  – ऋण संकट, पुरानी मशीनरी, कालग्रस्थ कौशल
  • बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा और वैश्वीकरण 
  • खराब गुणवत्ता और सुरक्षा मानक 
  • विपणन और पैकेजिंग की अत्यधिक लागत 

लॉजिस्टिक के स्तर पर – 

  • कोल्ड चेन, रेफ्रिजरेटेड ट्रकों की संख्या 
  • सड़क और रेल नेटवर्क, कच्ची सड़कें 
  • Logistics संबंधी बाधाएं- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग, कुल सड़क नेटवर्क का 2 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद, सभी माल का 40 प्रतिशत परिवहन करते हैं। 
  • पोर्ट और कस्टम पॉइंट पर निकास (exit) संबंधी समस्याएं।

उपभोक्ता स्तर पर – 

  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं 
  • Ex – MDH- मसालों में कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशकों के इस्तेमाल का आरोप। 
  • ताज़ा भोजन को प्राथमिकता (संस्कृति)
  • ब्रांड को प्राथमिकता
  • कोई राष्ट्रीय भोजन नहीं

उपरोक्त चुनौतियों के कारण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को अभी भी अपनी क्षमता पर खरा उतरना बाकी है, जैसा कि तथ्यों से स्पष्ट है – 

  • भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फल और सब्ज़ी उत्पादक देश है, फिर भी केवल 2% फ़सल का ही प्रसंस्करण हो पाता है।
  • भारत में विश्व की सबसे बड़ी पशुधन आबादी है, लेकिन सम्पूर्ण मांस उत्पादन का केवल लगभग 1% ही मूल्यवर्धित वस्तुओं में परिवर्तित हो पाता है।
  • वर्तमान में भारत अपने कृषि उत्पादन का 10% से भी कम प्रसंस्करण कर रहा है [USA – 65%]

सरकार की पहल जैसे- खाद्य एवं कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) मानदंडों के अंतर्गत शामिल करना, स्वचालित रूट के तहत 100% FDI की अनुमति देना, NABARD के साथ 2000 करोड़ रुपये का विशेष खाद्य प्रसंस्करण कोष स्थापित करना, प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना से इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।

Q4 भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किए गए सुधारों को सूचीबद्ध करें।10M

Answer:

भारत की कृषि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, कम आय वाली आबादी के लिए किफायती खाद्य कीमतें बनाए रखने और देश के लगभग 55% कार्यबल को रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं और किसानों की आजीविका को खतरे में डालती हैं।

Q5 एलपीजी सुधार के दौरान उठाए गए कदमों और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनके दीर्घकालिक प्रभाव का संक्षेप में वर्णन करें। 10M

Answer:

भारत ने 1991 में एक गंभीर आर्थिक संकट के जवाब में LPG (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) सुधारों की शुरुआत की। इस संकट की विशेषताएं थीं: भुगतान संतुलन का संकट, कम GDP वृद्धि, उच्च मुद्रास्फीति, और बढ़ता राजकोषीय घाटा।

उपाय – 

  • उदारीकरण
    • खतरनाक और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील उद्योगों को छोड़कर आयात लाइसेंसिंग को समाप्त कर दिया गया।
    • आयात और निर्यात पर मात्रात्मक प्रतिबंधों को हटाना।
    • करों में कमी
    • रुपये को चालू खाते में पूर्णतः परिवर्तनीय तथा पूंजी खाते में आंशिक रूप से परिवर्तनीय बनाया गया।
    • बाजार द्वारा निर्धारित विनिमय दर व्यवस्था अपनाई गई, जिसमें कभी-कभी RBI द्वारा हस्तक्षेप किया जाते थे।
    • नरसिम्हन समिति – बैंकों के निजीकरण और RBI को नियंत्रण मुक्त करने की सिफारिश।
  • निजीकरण
    • रणनीतिक विनिवेश (strategic disinvestment), पूर्ण निजीकरण (Complete privatization) या सांकेतिक निजीकरण (token privatization) के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को कम करना।
    • 1991-92 में विनिवेश के जरिए 2500 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। सरकार लक्ष्य से 3,040 करोड़ रुपए अधिक जुटाने में सफल रही।
    • एयर इंडिया का निजीकरण
    • हवाई अड्डों का निजीकरण – मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद आदि
    • LIC, ONGC, कोल इंडिया आदि का विनिवेश।
  • वैश्वीकरण –
    • विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी में अप्रतिबंधित प्रवेश
    • FTAs पर हस्ताक्षर, आर्थिक ब्लॉकों में शामिल होना

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • भारत की GDP वृद्धि दर बढ़ी- 
    भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है [1991 में – 17वें स्थान पर] 
  • आज, क्रय शक्ति समता के आधार पर यह तीसरा सबसे बड़ा देश है 
  • केरल के जीएसडीपी में धन प्रेषण (Remittances) का हिस्सा 36% है। 
  • FDI का प्रवाह मजबूत रहा – संसाधनों का बेहतर उपयोग 
  • बेरोज़गारी में कमी 
    • IBM के भारत में अमेरिका से अधिक कर्मचारी हैं। 
  • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई 
  • सकल घरेलू उत्पाद GDP के प्रतिशत % के रूप में कर राजस्व में वृद्धि हुई 
  • निर्यात बढ़ा 
  • गरीबी दर में कमी आई – लगभग 50% से 21% तक [सुरेश तेंदुलकर समिति] 
    • 600 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की 
  • बेहतर सेवा वितरण और बेहतर विकल्प 
    • 1991 में किसी को भी टेलीफोन लैंडलाइन कनेक्शन पाने में दो साल लग जाते थे। शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के प्रमुख एन.आर. नारायणमूर्ति याद करते हैं कि 1980 के दशक में उन्हें कंप्यूटर आयात करने की अनुमति पाने में तीन साल और टेलीफोन कनेक्शन पाने में एक साल से ज़्यादा समय लगा था। 
  • आईटी सेक्टर में उछाल- इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल 
  • श्रम का विशेषज्ञता – वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global value chain) 
  • शांति – जब व्यापार बंद हो जाता है, तब युद्ध होता है [जैक मा]
  •  
  • 1990 में – $ 97 million
    $ 85 billion पार [लगभग 1000 गुणा] 

LPG सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को बदल दिया है, इसे और अधिक खुला, प्रतिस्पर्धी और लचीला बना दिया है। इन सुधारों ने वृद्धि और वैश्विक कनेक्शन जैसे उल्लेखनीय लाभ दिए हैं, लेकिन आय असमानता और पर्यावरणीय नुकसान जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है

Q6 Write a letter to the Editor of a national daily highlighting the deteriorating condition of historical sites (buildings) in Rajasthan, suggesting measures to protect them. 

Answer:

E-84, Van Vihar
Ambabari, Jaipur 

12 December, 2023

The Editor 
The Times of India
Jaipur

Subject: Need for proactive State action to protect our heritage sites.

Sir

I would like to draw the attention of the authorities and the public to the deteriorating condition of historical sites in Rajasthan. Rajasthan has a lot of treasures and every village has some connection with the history. Many historical buildings and structures are being neglected in Rajasthan. As some of these monuments are not more than 100 years old, these are neither under the care of the state nor the centre.

As per records, the ASI (Archeological Survey of India) at present is looking after 227 buildings, including forts and places of archeological significance, in the state as protected monuments. But the inclusion of more monuments in the category will facilitate their conservation and help attract more tourists and develop tourism in the state. It is, therefore, suggested that the state Archaeological Dept should make sincere efforts to identify and include all historical monuments in the category of protected buildings and restore and protect them. There are a number of baoris (step-wells), forts, and palaces in Rajasthan which need conservation and restoration. There is a provision of grant upto Rs. 5 lakh by the ASI for the restoration of such structures.

Yours truly 

Manish Kumar 

(A concerned citizen)

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