राजस्थान कला व संस्कृति का घर है। यहाँ के त्यौहारों, पर्वो तथा मेलों की अनोखी सांस्कृतिक परम्परा का उदाहरण अन्यत्र मिलना कठिन है। राजस्थान के बारे में कहा जाता है की यह सात वार और नौ त्योहार वाला प्रदेश है। हर त्यौहार व मेला, यहाँ के लोक जीवन की किसी किंवदन्ती अथवा किसी ऐतिहासिक कथानक से जुड़ा हुआ है। इसी कारण इन मेलों तथा त्यौहारों के आयोजन में सम्पूर्ण लोक जीवन पूरी सक्रियता से भाग लेता है।और यहाँ की लोक-संस्कृति जीवंत हो उठती है। यह मेले व त्यौहार लोगों को एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं। इन मेलों में कुछ का महत्व स्थानीय है तो कुछ देश व्यापी हैं। मेलों का महत्व देवताओं एवं देवियों की आराधना को लेकर भी है। इन मेलों को विशेष महीनों तथा तिथियों के साथ जोड़कर प्रकृति के साथ सम्बन्ध स्थापित किया जाता है।यहां के धार्मिक मेलों में संबंधित धर्म अनुयायियों के अतिरिक्त अन्य धर्म के लोग एवं अन्य जाति के लोग भी खुलकर भाग लेते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार राजस्थान में आयोजित होने वाले त्यौहार व मेले
क्र. सं. | माह (विक्रमी पंचांग) | त्यौहार | मेले |
1. | चैत्र (विस्तार से पढ़े…..) | धुलंडी हिन्दू धर्म में नव वर्ष गणगौर घुड़ला त्यौहार गुलाबी गणगौर/चुंदड़ी गणगौर राम नवमी स्वामी नारायण जयंती कामदा एकादशी हनुमान जयंती | तिलवाड़ा का मेला, बाड़मेर शीतला माता का मेला, (चाकसू, जयपुर) केसरियाजी का मेला, उदयपुर श्रीमहावीरजी मेला, करौली कैला देवी का मेला, करौली करणी माता का मेला, बीकानेर जीण माता का मेला, सीकर |
2. | बैसाख़ (विस्तार से पढ़े…..) | बरुथिनी एकादशी अक्षय तृतीया/ आखा तीज परशुराम जयंती गंगा सप्तमी सीता नवमी मोहनी एकादशी नरसिंह जयंती बुद्ध पूर्णिमा/पीपल पूर्णिमा | धींगा गवर का बेंतमार मेला, जोधपुर डिग्गी कल्याण जी का मेला, टोंक भर्तृहरि का मेला, अलवर सीताबाड़ी का मेला, बारां बाणगंगा मेला, जयपुर गोमती सागर मेला, झालावाड़ मातृकुण्डिया मेला, चित्तौड़गढ़ गौतमेश्वर मेला, प्रतापगढ़ मारकंडेश्वर मेला, सिरोही नारायणी माता मेला, अलवर गेर मेला, सिरोही |
3. | ज्येष्ठ (विस्तार से पढ़े…..) | नारद जयंती वट सावित्री व्रत शनि जयंती गंगा दशहरा निर्जला एकादशी वट पूर्णिमा | सीता माता मेला, प्रतापगढ़ सीता बाड़ी का मेला(केलवाड़ा, बारां) गंगा दशमी मेला(कामां, भरतपुर) |
4. | आषाढ़ (विस्तार से पढ़े…..) | गुप्त नवरात्रा भड़ल्या नवमी देवशयनी एकादशी गुरु पूर्णिमा/ व्यास पूर्णिमा | – |
5. | श्रावण (विस्तार से पढ़े…..) | कामिका एकादशी हरियाली अमावस्या नाग पंचमी रक्षाबंधन / नारियल पूर्णिमा | कल्पवृक्ष मेला (मांगलियावास, अजमेर) गुरुद्वारा बुद्धा जोहड़ मेला, श्रीगंगानगर |
6. | भाद्र पद (विस्तार से पढ़े…..) | कजली तीज ऊभ छठ कृष्ण जन्माष्टमी गोगानवमी बछबारस रामदेव जयंती हरतालिका तीज गणेश चतुर्थी ऋषि पंचमी राधा अष्टमी तेजा दशमी जलझूलनी एकादशी अनंत चतुर्दशी | कजली तीज मेला, बूंदी गोगाजी का मेला, (गोगामेड़ी, हनुमानगढ़) रामदेवजी का मेला, (रामदेवरा, जैसलमेर) गणेश चतुर्थी, (रणथम्भौर, सवाईमाधोपुर) हरिराम बाबा का मेला, (झोरड़ा, नागौर) भोजन थाली मेला राधा अष्टमी मेला तेजाजी का मेला, (परबतसर, नागौर) |
7. | अश्विन (विस्तार से पढ़े…..) | श्राद्ध या पितृ पक्ष थम्बुड़ा व्रत शारदीय नवरात्रा विजयादशमी शरद पूर्णिमा | मुकाम का जाम्भेश्वर मेला,बीकानेर करणी माता का मेला, बीकानेर जीण माता का मेला, सीकर दशहरा मेला सालासर बालाजी, चूरू |
8. | कार्तिक (विस्तार से पढ़े…..) | करवा चौथ अहोई अष्टमी धनतेरस(धन्वंतरि जयंती) रूप चौदस दिवाली गोवर्धन पूजा भैया दूज आंवला नवमी देवउठनी एकादशी | पुष्कर मेला, अजमेर कपिल मुनि का मेला (कोलायत, बीकानेर) चंद्रभागा मेला(झालरापाटन, झालावाड़) रामेश्वरम मेला, सवाईमाधोपुर |
9. | मार्गशीर्ष | कोई त्यौहार नहीं | मार्गशीर्ष पूर्णिमा – मानगढ़ धाम मेला, बांसवाड़ा |
10. | पौष | कोई त्यौहार नहीं | पौष कृष्ण दशमी – नाकोड़ा जी का मेला, बाड़मेर |
11. | माघ (विस्तार से पढ़े…..) | तिल चौथ षटतिला एकादशी मौनी अमावस्या बसंत पंचमी/ सरस्वती जयंती भीष्म अष्टमी | बेणेश्वर मेला, डूंगरपुर रानी सती का मेला, झुंझुनू मरू मेला, जैसलमेर नागौर मेला श्री चौथ माता का मेला, सवाईमाधोपुर |
12. | फाल्गुन (विस्तार से पढ़े…..) | विजय एकादशी महाशिवरात्रि फुलेरा दूज होलिका दहन | मुकाम का जाम्भेश्वर मेला,बीकानेर फूलडोल महोत्सव एकलिंगजी मेला, उदयपुर रणकपुर मेला, पाली तिलस्वाँ महादेव मेला(मांडलगढ़, भीलवाड़ा) |
ज्येष्ठ मास
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ वर्ष का तीसरा महीना होता है।अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मई-जून महीने में आता है।
ज्येष्ठ माह में आने वाले त्यौहार निम्न है :
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
प्रतिपदा – नारद जयंती | दशमी – गंगा दशहरा इस दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। |
एकादशी – अपरा एकादशी | एकादशी – निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत मे पानी का पीना वर्जित है इसिलिये इस निर्जला एकादशी कहते है। |
अमावस्या – वट सावित्री व्रत इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु व सौभाग्य में वृद्धि की कामना से वट या बरगद के पेड़ की पूजा करती है। यह व्रत सत्यवान सावित्री की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।यह पतिव्रत के संस्कारों को आत्मसात करने वाला व्रत है। | पूर्णिमा – वट पूर्णिमा |
अमावस्या – शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन सूर्य पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए प्रतिवर्ष इस दिन शनि जंयती मनाई जाती है। |
राजस्थान में ज्येष्ठ मास में लगने वाले मेले
मेला | स्थान | तिथि |
सीता माता मेला | सीता माता, प्रतापगढ़ | ज्येष्ठ अमावस्या |
सीता बाड़ी का मेला | केलवाड़ा, बारां | ज्येष्ठ अमावस्या |
गंगा दशमी मेला | कामां, भरतपुर | ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी से बारस तक |
आषाढ़ मास
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ वर्ष का चौथा महीना होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जून-जुलाई महीने में आता है।यह माह भारत में वर्षा ऋतू के आगमन का माह होता है।
आषाढ़ माह में आने वाले त्यौहार निम्न है :
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
एकादशी – योगिनी एकादशी | प्रतिपदा – गुप्त नवरात्रा प्रारम्भ |
नवमी – भड़ल्या नवमी आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ल्या नवमी मनाया जाता है। इस तिथि को भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक कोई मांगलिक एवं शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं इस पक्ष में इस दिन किसी भी प्रकार की शुभ गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह तिथि मुख्य रुप से विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए अधिक प्रसिद्ध है। | |
एकादशी – देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ होता है। माना जाता इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद कार्तिकशुक्ल एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी पर उन्हें उठाया जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। | |
पूर्णिमा – गुरु पूर्णिमा/ व्यास पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। |