राजस्थानी साहित्य की प्रमुख रचनाएँ

राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ

राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ

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रचनारचनाकारवर्णन
कान्हड़ेदव प्रबंधपद्मनाथ जालौर के चौहान शासक कान्हड़दे एवं अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध (1311 ई.) पर प्रकाश डालता है।
डिंग कोशमुरारीदान
पृथ्वीराज रासोचंदबरदाईइसे हिन्दी का पहला महाकव्य माना जाता है। इस ग्रंथ में राजपूतों की उत्पत्ति आबू के अग्निकुण्ड से बताई गई है। इसमें पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल एवं तराइन के युद्ध (1191-1192 ई.) की जानकारी प्राप्त होती है।
पृथ्वीराज विजयजयानकचौहानो के इतिहास व अजमेर के विकास पर प्रकाश डालता है।
वीर सतसई नाथूसिंह महियारिया
पद्मावतमलिक मोहम्मद जायसीइस काव्य ग्रंथ से अलाउद्दीन खिलजी के चितौड़ आक्रमण (1303 ई.) पर प्रकाश पड़ता है।
राव जैतसी रो छंदबिठू सूजो नागरजोतयह ग्रंथ बीकानेर के शासकों बीका, लूणकर्ण और जैतसी (1526-1541ई.) के शासनकाल की जानकारी देता है।
पाबुप्रकासमोडा आशिया यह ग्रंथ पाबूजी के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालता है।
अमर काव्य अमरदान लालस
अमरसारपं जीवधरमहाराणा प्रताप और अमरसिंह के शासन एवं जनजीवन का चित्रण करता है।
अमीरनामा मुंशी भुसावनलालटोक के नवाब अमीर खाँ पिण्डारी के जीवन से सम्बन्धित
रतन जसप्रकाशसागरदान
सेनाणीमेघराज मुकुलइस कविता में बूंदी के हाड़ा शासक की पुत्री सलह कंवर(हाड़ी रानी) के बलिदान की गाथा बताई गई है जिसमे राव चुण्डावत रतन सिंह द्वारा निशानी मांगने पर हाड़ी रानी ने अपना सिर काट कर निशानी के तौर पर भिजवा दिया था।“चुण्डावत मांगी सैनाणी, सिर काट दे दियो हाड़ी रानी”
चंवरीमेघराज मुकुल
सूरज प्रकाश करणीदानयह डिंगल काव्य राठौड़ों की तेरह शाखाओं का उल्लेख करता है। ये राठौड़ों की वंशावली कुश (राम के छोटे पुत्र) से शुरू करता है। यह सुमेल (1544 ई.) व धरमत के युद्ध (1658 ई.) एवं मुगल दरबार में सैय्यद बन्धुओं के प्रभाव का भी उल्लेख करता है।
बिड़द सिणगारकरणीदान
शकुन्तलाकरणीदान
ढोला मारू रा दूहाकवि कल्लोल
कनक सुंदरी शिवचंद भरतिया
एकलिंग महात्म्य कान्ह व्यासमेवाड़ महाराणाओं की वंशावली के लिए उपयोगी है। कुछ विद्वान कुम्भा को इस ग्रंथ का रचयिता मानते हैं।
खुमाण रासो दलपति विजयहल्दीघाटी के युद्ध के समय प्रताप-शक्तिसिंह मिलन व महाराणा अमरसिंह के शासनकाल (1597-1620 ई.) के दौरान मेवाड़-मुगल सम्बन्धों पर प्रकाश डालता है।
वीसलदेव रासो नरपति नाल्हयह रचना अजमेर के शासक विग्रहराज चतुर्थ (वीसलदेव) के शासन काल (1158-1163 ई.) की जानकारी उपलब्ध करवाती है।
विजय पाल रासो नल्ल सिंहयह रासो काव्य विजयगढ़, करौली के यादव राजा विजयपाल के विषय में है।
छत्रपति-रासो कवि काशी छंगाणीयह ग्रंथ बीकानेर का इतिहास है। 1642 ई. में बीकानेर के शासक कर्णसिंह और नागौर के अमरसिंह के मध्य जाणिया गांव की सीमा को लेकर हुए युद्ध जो ‘मतीरे की राड’ नाम से विख्यात है, का भी इसमें वर्णन है।
दरिन्दे हमीदुल्ला
हम्मीर रासो शारंगधर, जोधराजरणथंभौर के राणा हम्मीर का चरित्र वर्णन है।
हम्मीर महाकाव्यनयनचन्द्र शूरिअलाउदीन खिलजी की रणथंभौर विजय पर प्रकाश डालती है।
रामरासोमाधोदास चारण
हम्मीर मद मर्दनजयसिंह सूरि
गुण भाषा हेमकवि
गुण रूपककेशवदास
राजिया रा सोरठा कृपाराम
राजरूपककवि वीरभाण
वीर विनोदश्यामलदासपाँच जिल्दों का ये ग्रंथ वस्तुत: मेवाड़ का इतिहास है। इसमें मेवाड़ राजवंश की उत्पत्ति राम के पुत्र ‘कुश’ से बताई गई है।
बुद्धि सागरजान-कवि
ग्रंथराजगोपीनाथ
पगफैरो, सोजती गेट, आलीजा आज्यो घरांमणि मधुकर
रूठी राणीकेसरीसिंह बारहठ
चेतावनी रा चूंगटियाकेसरीसिंह बारहठ
अमरफलडॉ. मनोहर शर्मा
रूकमणी हरणवीठलदास
रणमल छंदश्रीधर व्यास
बृजनिधि ग्रंथावलीप्रतापसिंह
रंगीलों मारवाड़भरत व्यास
सुधि सपनों के तीरमणि मधुकर
भक्तमालनाभादास
सागर पाखीकुंदनमाली
वैराग्य सागरनागरीदास
अजितोदय भट्ट जगजीवनमारवाड़ के शासक अजीतसिंह के शासन (1707-1724 ई.) पर प्रकाश डालती है।
हां चांद मेरा है।हरिराम मीणा
सुदामाचरित्रमोहन राज
बरखा बीनणीरेवतदान चारण
मारवाडी व्याकरणरामकरण आसोपा
बादलीचंदसिंह विरकाली
राजस्थानी कहावतांमुरली व्यास
सगत रासो गिरधर आसियायह ग्रंथ मेवाड़ के इतिहास के लिए उपयोगी है। यह हल्दीघाटी के युद्ध एवं शक्ति सिंह के वंशजों पर भी प्रकाश डालता है।
ढोला मारवाड़ी चडपड़ीकवि हररात
ढोला मारवण री चौपाईकुशललाभ
मेघदूतमनोहर प्रभाकर
रेंगती है चीटियांजबरनाथ पुरोहित
हूं गोरी किण पीव रीयादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’
जोग-संजोग, चांदा सेठाणी यादवेन्द्र शर्मा
जमारो, समंदर अर थार यादवेन्द्र शर्मा
बातां री फुलवारी, हिटलर, अलेखूविजदान देथा
दुविधा, सपन प्रिया, उलझन, अंतराल, चौधराइन की चतुराईविजदान देथा
मैकती काया मुहकती धरतीअन्नाराम सुदामा
धरती धोरा री, मींझर, लीलटॉन्सकन्हैया लाल सेठिया
पातल और पीथलकन्हैया लाल सेठिया
एक बीनणी दो बीन श्रीलाल नथमल जोशी
परण्योड़ी कुंवारी, श्रीलाल नथमल जोशी
आभै पटकी, धोरां रो धोरी श्रीलाल नथमल जोशी
हाला झाला री कुण्डलियांईसरदास
अचलदास खीची री वचनिकाशिवदास गाडणराजस्थानी चम्पू काव्य गागरोन के शासक अचलदास और मालवा के सुल्तान होशंगशाह गौरी के मध्य हुए युद्ध (1423 ई.) का वर्णन
राजस्थानी शब्दकोषसीताराम लालस
टाबरा री बातां, माँझळ रात, मूमललक्ष्मी कुमारी चूड़ावत
डूंगजी जवारजी री बात लक्ष्मी कुमारी चूड़ावत
महादेव पार्वती री बेलीकिसनो
द्रोपदी विनयरामनाथ कवियाइस रचना के माध्यम से नारी चेतना को जाग्रत करने का प्रयास किया गया है।
बोलि किसन रूकमणीपृथ्वीराज राठौड़(पीथल)यह रचना सोलहवीं शताब्दी के धार्मिक एवं सामाजिक जीवन पर प्रकाश डालती है।
सती रासो सूर्यमल्ल मिश्रण(मीसण)
वीर सतसईसूर्यमल्ल मिश्रण(मीसण)
वंश भास्कर सूर्यमल्ल मिश्रण (मीसण)चम्पू शैली (गद्य-पद्य मिश्रित) का डिंगल भाषा में लिखा गया यह महाकाव्य बूंदी के इतिहास के साथ ही राजस्थान एवं भारत के इतिहास का विवेचन भी करता है। ये राजस्थान में मराठों की गतिविधियाँ और कृष्णाकुमारी के विषपान (1810 ई.) का भी उल्लेख करता है।
नैणसी की ख्यात मुँहणोत नैणसी1610-1670 ई.के इस ग्रंथ में मारवाड़ राज्य के साथ-साथ मालवा, बुन्देलखण्ड, मेवाड, आमेर, बीकानेर, किशनगढ़ आदि के इतिहास का विवेचन किया है। इस ग्रंथ की शैली अकबरनामा के सदृश होने के कारण मुंशी देवीप्रसाद ने नैणसी को ‘राजपताने के अबुल-फजल’ की संज्ञा दी है। इस ख्यात को “मारवाड़ का गजेटियर” भी कहा जाता है।
मारवाड़ रा परगना री विगतमुँहणोत नैणसीइस रचना की तुलना ‘आइनए-अकबरी’ से की जाती है। इसमें जोधपुर राज्य के छ: परगनों का इतिहास एवं प्रशासनिक प्रबन्ध का वर्णन है।
शत्रु साल रासो डूंगरसी
कुवलयमाला उद्योतन सूरिप्रतिहार शासक वत्सराज के शासन प्रबन्ध की जानकारी मिलती है।
बुद्धि रासो जल्ल
केहर प्रकाशकवि बख्तावर
अक्षर बावनीमाधौदास बारहठ
राणा रासोदयाल (दयाराम)
किरतार बावनीदुस्सा आढा
वीरमदेव सोलंकी रा दूहादुस्सा आढा
राधा, बोल भारमलीसत्यप्रकाश जोशी
जुड़ाव, अँधारै रा घावपारस अरोड़ा
गाँव, रंग-बदरंगगोरधन सिंह शेखावत
कठैई कीं व्हेगौ है, म्हारा बाप, दीठाव रै बेजां मॉयतेजसिंह जोधा
बोलै सरणाटौ, हूणीयै रा सोरठा, बातां में भूगोळहरीश भादाणी
जूंझती जूण
मोहम्मद सादिक
चित मारो दुख नैमोहन आलोक
पागी, कावड़, मारग, तोपनामा, राग-वियोगचंद्रप्रकाश देवल
आ सदी मिजळी मरैसांवर दइया
रिन्दरोहीअर्जनदेव चारण
उतरयो है आभौमालचंद तिवाड़ी
सीर रो घरवासु आचार्य
अणहद नाद, अगनी मन्तरभगवतीलाल व्यास

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