Rajasthan ki Nadiya

राजस्थान के जल संसाधन

राजस्थान के जल संसाधन | राजस्थान राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यह एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ जीवन स्तर के लिए लोग कृषि पर निर्भर करते है तथा कृषि विकास सिंचाई पर निर्भर है। परन्तु राजस्थान, जल उपलब्धता की दृष्टि से काफी पिछड़ा राज्य है, जहाँ भू-जल उपलब्धता के गिरते स्तर एवं बारहमासी जलप्रवाह की कमी के कारण स्थिति और विकट होती जा रही है। राज्य का लगभग 61.11 प्रतिशत हिस्सा मरुस्थल है। यहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 20 सेमी. है। जल उपलब्धता की इस तस्वीर को, यहाँ के पर्यावरण, भौगोलिक स्थिति और बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकता और अधिक विकट बना रही है।

धरातलीय जल या सतही जल

राजस्थान में सतही जल की संयुक्त उपलब्धता 43.26 बीसीएम (अरब घन मीटर) है। राज्य की सीमा के भीतर उपलब्ध सतही जल 25.38 बीसीएम है और विभिन्न अंतरराज्यीय संधियों से आवंटित पानी 17.88 बीसीएम है। राज्य में देश के कुल सतही जल का मात्र 1.16 प्रतिशत जल उपलब्ध है।

राजस्थान के सतही जल संसाधन के संदर्भ में महत्वपूर्ण पृष्ठ

भूजल

राजस्थान में कुल भूजल उपलब्धता राष्ट्रीय संसाधनों का 1.72% है। प्रदेश में 249 प्रखंड हैं, जिनमें से केवल 31 प्रखंड सुरक्षित स्थिति में हैं.

राजस्थान में सिंचाई की स्तिथि

राजस्थान के जल संसाधन के संदर्भ में महत्वपूर्ण सरकारी विभाग

  • जल संसाधन विभाग
    • राज्य की अर्थव्यवस्था में जल संसाधन विभाग का वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से राज्य के अल्प जल संसाधनों के दोहन, उपयोग एवं प्रबंधन का महत्वपूर्ण योगदान है।
  • राजस्थान भूमिगत जल बोर्ड
    • भारत सरकार द्वारा राजस्थान भूमिगत जल बोर्ड की स्थापना की गई 1955 में इस बोर्ड का नियंत्रण राजस्थान सरकार को सौप दिया।
    • 1971 से इस बोर्ड को भू-जल विभाग के नाम से जाना जाता ही।
    • इसका कार्यालय जोधपुर है।
  • जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग

जल प्रबंधन

राजस्थान में परंपरागत जल प्रबंधन

जलग्रहण विकास

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 342.87 लाख हैक्टेयर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.40 प्रतिशत है। राज्य के क्षेत्रफल में से 101 लाख हैक्टेयर भूमि बंजर है, जबकि राज्य में कुल स्त्रोतों से उपलब्ध जल की मात्रा 1.16 प्रतिशत ही है। इसके अतिरिक्त वर्षा के कम दिन, वर्षा की तीव्रता एवं वर्षा पद्वति में हुए परिवर्तन के कारण राज्य में भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है साथ ही उपजाऊ भूमि भी बंजर भूमि में परिवर्तित हो रही है।

राजस्थान में जल की उपलब्धता भीषण समस्या के समाधान हेतु राज्य सरकार द्वारा राज्य में वर्षा जल के अधिकतम संग्रहण, संरक्षण एवं उपलब्ध जल का न्यायोचित उपयोग करने के परिप्रेक्ष्य में “राजीव गांधी जल संचय योजना‘ प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है।

राजीव गाँधी जल संचय योजना

राजीव गाँधी जल संचय योजना के अन्तर्गत राज्य में संचालित विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य की योजनाओं में उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का प्रभावी कनवर्जेन्स, विभिन्न लाईन विभागों के समन्वय, कॉर्पोरेट जगत, धार्मिक ट्रस्टों एवं सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों एवं जनसहयोग एवं राज्य सरकार द्वारा पृथक से बजट उपलब्ध करवाकर कर जल संरक्षण एवं जल भराव संरचनाओं की गतिविधियों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है।

राजीव गांधी जल संचय योजना के प्रथम चरण का सूत्रपात दिनांक 20 अगस्त, 2019 को राज्य के 33 जिलों के सभी 295 ब्लॉकों के लगभग 4,000 गावों में किया गया है, जिसकी कार्य अवधि 2 वर्ष निर्धारित की गई है।

प्रथम चरण के अन्तर्गत लगभग 1.88 लाख कार्य चिन्हित किये गए हैं, जिनकी लागत लगभग ₹2,250 करोड़ है। दिसम्बर, 2020 तक 23,146 कार्य शुरू किए गए एवं 19,036 कार्य पूर्ण किए जा चुके है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वाटरशेड कम्पोनेंट)

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वाटरशेड कम्पोनेंट) इस योजना में केन्द्रीयांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 निर्धारित किया गया है। राज्य को दिसम्बर, 2020 तक कुल ₹4,161.87 करोड़ केन्द्रीयांश एवं राज्यांश के हिस्से के रूप में प्राप्त हुए हैं, जो कुल स्वीकृत राशि का लगभग 53.29 प्रतिशत है। इस योजना पर ₹4,030.52 करोड़ व्यय कर कुल 33.41 लाख हैक्टेयर क्षेत्र उपचारित किया गया।

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