रंगमहल की सभ्यता
रंगमहल सभ्यता हनुमानगढ़ जिले में स्थित प्राचीन सरस्वती एवं दृषद्वती नदी घाटी में पल्लवित-पुष्पित हुई। इस स्थल का उत्खनन 1952-54 ई. में स्वीडन की पुरातत्वविद् श्रीमती हन्नारिड के निर्देशन में हुआ। रंगमहल से प्राप्त मृत्पात्र गहरे लाल, गुलाबी तथा कहीं-कहीं पीलापन लिए हुए हैं। लाल रंग के पात्रों पर काले रंग के डिजाइन के कारण ही इसे रंगमहल नाम मिला। इसे कुषाणकालीन सभ्यता के समान माना जाता है।
सभ्यता | कुषाणकालीन सभ्यता |
नदी | दृषद्वती नदी घाटी |
जिला | हनुमानगढ़ |
उत्खनन वर्ष | 1952-54 ई. |
उत्खनन कर्ता | श्रीमती हन्नारिड |
रंगमहल की सभ्यता से प्राप्त अवशेष :
- यहाँ से घंटाकार मृत्पात्र, टोंटीदार घड़े, छोटे-बड़े प्याले, कटोरे, बर्तनों के ढक्कन, दीपदान, धूपदान आदि मिले हैं। पात्रों पर मानव तथा पशु आकृतियाँ चित्रित हैं।
- यहाँ से बच्चों के खेलने की मिट्टी की छोटी पहिएदार गाड़ियाँ भी मिली हैं।
- कुषाण शासकों के सिक्के एवं मिट्टी की मुहरें भी यहाँ मिली हैं।