बरोर की सभ्यता
गंगानगर जिले का बरोर गाँव सरस्वती नदी तट पर अवस्थित है। यहाँ 2003 ई. में उत्खनन कार्य शुरू हुआ। उत्खनन से प्राप्त अवशेषों के आधार पर यहाँ की सभ्यता को प्राक् एवं विकसित सैन्धव काल की माना जाता है। यहाँ से प्राप्त मृद्भाण्डों में काली मिट्टी मिली है। मई, 2006 में मिट्टी के एक पात्र में सेलखड़ी के लगभग 8000 मनके मिले हैं, उनके साथ शंख की तराशी चूड़ियाँ, अँगूठी, बोरला तथा लाजवर्द मनके मिले हैं। लाजवर्द मनके केवल अफगानिस्तान में मिलते हैं ।
सभ्यता स्थल | बरोर गाँव |
सभ्यता | प्राक् एवं विकसित सैन्धव काल |
नदी | सरस्वती नदी |
जिला | गंगानगर |
बरोर से प्राप्त अवशेष :
- मिट्टी के एक पात्र में सेलखड़ी के लगभग 8000 मनके मिले हैं, उनके साथ शंख की तराशी चूड़ियाँ, अँगूठी, बोरला तथा लाजवर्द मनके मिले हैं। लाजवर्द मनके केवल अफगानिस्तान में मिलते हैं ।
- बरोर से शहरी सभ्यता के पुरावशेष, सुनियोजित नगर विन्यास, भवन निर्माण में कच्ची ईंटों का प्रयोग, उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था और विशिष्ट मृद्भाण्ड परंपरा विकसित सैन्धव सभ्यता के समान है।
- यहाँ से बटन के आकार की मुहरें भी उपलब्ध हुई हैं।
सोंथी सभ्यता
खोजकर्ता – अमलानन्द घोष(1953 ई.)
इस स्थल की खोज अमलानन्द घोष द्वारा 1953 ई. में की गई। यह स्थल कालीबंगा प्रथम नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर हड़प्पायुगीन सभ्यता के अवशेष मिले है।