मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (एम.जे.एस.ए.)

दिनांक 27 जनवरी, 2016 को राज्य में “मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान” प्रारम्भ किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति, जल उपलब्धता एवं अकाल के दौरान पानी के अभाव से उत्पन्न समस्याओं का निराकरण करना है। इन समस्याओं के मददेनजर विभिन्न विभागों के समन्वय एवं राज्य स्तर से पृथक बजट उपलब्ध कराकर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान प्रारम्भ किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • मुख्यमंत्री ने 27 जनवरी 2016 को झालावाड़ जिले में गांव गर्दनखेड़ी से अभियान शुरू किया था।
  • वर्ष 2016 को # जलक्रांति वर्ष के रूप में निर्धारित किया गया है
  • इस योजना के अंतर्गत 2016 में 3000 प्राथमिकता वाले और 3 साल तक हर साल 6000 गांवों को लाभान्वित करके 2020 तक राज्य के लगभग 21 हज़ार गांवों को  जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है।
  • यह योजना चार-जल संकल्पना पर आधारित है, इस संकल्पना में प्रयुक्त जल संरक्षण की योजना में ग्रामीण इलाकों में उपलब्ध अपवहन का संचयन (वर्षा जल, भूजल, भूमिगत जल और मिट्टी में नमी)जलग्रहण, उचित उपयोग, नवीनीकरण और नए जल संचयन संरचनाओं का निर्माण शामिल है ।

योजना के प्रमुख उद्देश्य:

  • राजस्थान को जल स्थायी राज्य बनाने के लिए
  • विभिन्न विभागों के संसाधनों के अभिसरण के माध्यम से प्रभावी जल संरक्षण सुनिश्चित करने व सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए
  • सामुदायिक भागीदारी व पानी बजट के माध्यम से एक गांव कार्य योजना तैयार करने,फसल पद्धति में बदलाव के लिए
  • स्थायी उपायों के माध्यम से पीने के पानी के लिए गांव को एक आत्मनिर्भर इकाई बनाने,सिंचित और उपजाऊ क्षेत्रों में वृद्धि करके फसल उत्पादन में वृद्धि करने  के लिए
  • जनता द्वारा योगदान: इस योजना में कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में किसी भी राशि का दान करके अपना योगदान दे सकता है। मुख्यमंत्री ने स्वयं  6 महीने के वेतन का योगदान दिया है।
  • जल-बजट: पानी के बजट की अवधारणा ग्राम सभा में शुरू की गई, जहां पानी के उपयोग (पीने, सिंचाई, पशुधन और अन्य वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए) का निर्धारण और विभिन्न संसाधनों से उपलब्ध जल संरक्षण के लिए पानी का बजट तैयार किया जाता है कार्यो को पहचान कर स्वीकृत किया जाता है और उस अनुसार मिशन की कार्य योजना तैयार की जाती है।
प्रथम चरण :
  • अभियान के तहत, चयनित गांवों में, पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियों जैसे तालाबों, बावडियो , टांके आदि का निर्माण किया गया है और नई तकनीकों के साथ निक, टाँके, लगाम आदि का निर्माण किया गया है।
  • राज्य से 295 पंचायत समितियों के 3 हजार 529 गांवों का चयन किया गया 95,192 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं।
द्वितीय चरण :
  • 9 दिसम्बर, 2016 को अभियान का आरम्भ कर 4,213 गांवों में लगभग 1,30,393 जल संरक्षण कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं।
  • इसके अतिरिक्त, अभियान में 66 शहरों (प्रत्येक जिले के 2) को भी शामिल किया गया हैं।
तृतीय चरण:
  • तृतीय चरण में 4,314 गांवों में 1,56,152 जल संरक्षण कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं।

अभी तक तीनों चरणों में 12,056 गावों में 3,81,737 कार्य पूर्ण किए गए हैं एवं 148 लाख पौधे लगाए गए हैं।

चतुर्थ चरण :
  • इस योजना का चतुर्थ चरण 3 अक्टूबर, 2018 से शुरू कर 3,963 गांवों में 1.80 लाख कार्य चिन्हित किए गए हैं।

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